पंजाब: सातवें चरण में माझा क्षेत्र में किसका पलड़ा भारी?

02:20 pm May 27, 2024 | जगदीप सिंधु

भारत के उत्तरी सीमा का सशक्त प्रहरी एवं हरित क्रांति से देश को अन्न उत्पादन से आत्मनिर्भर बनाने वाले पंजाब में 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव अंतिम चरण में 1 जून को होगा। पंजाब की राजधानी केंद्र शासित इकाई चंडीगढ़ की एक सीट पर भी 1 जून को चुनाव होगा। 

राजनीतिक तौर पर पंजाब ने ही केंद्र की भाजपा सरकार को ललकारते हुए अपने दृढ़ निश्चय से गंभीर चुनौती दी और किसान आंदोलन के ज़रिये तीन कृषि क़ानूनों को वापस करने के लिए बाध्य किया। प्रदेश की राजनीति में 20वीं सदी के आरम्भ से कांग्रेस के समांतर ही पंथक राजनीति अकाली दल रूप में प्रदेश में सशक्त रही है। जन संघ के भरपूर प्रयासों के बावजूद भी भाजपा यहाँ की धरती में अपना राजनीतिक आधार कभी बना नहीं पाई।

पंजाब को भौगोलिक दृष्टि से 3 क्षेत्रों में देखा जाता है। माझा जिसमें ब्यास दरिया की पश्चिमी किनारे से ले कर सीमा तक का इलाक़ा माना जाता है। इस क्षेत्र में लोकसभा की तीन सीटें- गुरदासपुर, अमृतसर, खडूर साहिब आती हैं। 

मध्य पंजाब को दोआबा कहा जाता है जो सतलुज दरिया के पश्चिमी किनारे से ब्यास के पूर्वी किनारे के बीच का क्षेत्र है। यहाँ लोकसभा की 2 सीटें आती हैं- जालंधर व होशियारपुर। ये दोनों ही आरक्षित सीटें हैं। इनको अक्सर एनआरआई सीट भी कहा जाता है। क्योंकि इस इलाके से बड़ी संख्या में लोग विदशों में बसे हुए हैं। सतलुज के उत्तरी किनारे से हरियाणा की सीमा तक लगता हुआ इलाका मालवा कहलाता है। यहाँ से 8 सीटें- लुधियाना, फ़िरोज़पुर, फरीदकोट, बठिंडा, संगरूर, पटियाला, श्री फतेहगढ़ साहेब व आनंदपुर साहेब हैं। 

 फ़िलहाल पंजाब में 2 सीट- गुरदासपुर व होशियारपुर भाजपा के खाते  में, 2 सीट- फिरोजपुर व बठिंडा शिरोमणि अकालीदल के पास, संगरूर सीट शिरोमणि अकालीदल (अ ) के खाते में और 7 सीट- आनंदपुर साहेब, श्री फतेहगढ़ साहेब, लुधियाना, पटियाला, फरीदकोट, खडूर साहेब और श्री अमृतसर साहेब कांग्रेस के पास है। जालंधर की सीट पर उपचुनाव में आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की थी पंजाब की सीटों पर वर्तमान में चुनावी समीकरण की स्थितियों के अनुमान प्रत्येक सीट पर अलग अलग है।

माझा

गुरदासपुर सीट पर पिछली बार सनी देओल भाजपा से सांसद बने थे लेकिन अपने संसदीय क्षेत्र में वो कभी सक्रिय दिखाई नहीं दिए। भाजपा ने स्थानीय मतदाताओं की नाराजगी को आँकते हुए अपना प्रत्याशी बदल दिया और दिनेश सिंह बब्बू को नया उम्मीदवार बनाया है। वह सुजानपुर विधानसभा से विधायक रहे हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की पठानकोट इकाई के सचिव रहे बब्बू पंजाब विधानसभा के डिप्टी स्पीकर भी रहे हैं। यहाँ 9 विधानसभा सीटों में से आम आदमी पार्टी केवल 2 सीट ही विधानसभा चुनाव में जीत पाई थी। 

कांग्रेस से सुखजिंदर सिंह रंधावा पंजाब के दिग्गज नेता मैदान में हैं। सुखजिंदर सिंह रंधावा राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी रहे हैं। अकाली दल ने यहाँ से दलजीत सिंह चीमा को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।

हालाँकि, डॉ. दलजीत सिंह चीमा अपने गृह क्षेत्र की लोकसभा सीट आनंदपुर साहिब से चुनाव लड़ने के अधिक इच्छुक थे। आम आदमी पार्टी ने अमन शेर सिंह शैरी कलसी, जो कि बटाला विधानसभा से वर्तमान विधायक हैं, को टिकट दिया है। यहाँ भाजपा को संभवतया शहरी व कस्बाई स्थानों से हिन्दू वोट मिलने के आसार हैं। हालाँकि यहाँ बड़े शहर पठानकोट, गुरदासपुर, बटाला ही हैं लेकिन दीनानगर, सुजानपुर, डेरा बाबा नानक, फतेहगढ़ चूड़ियां, कादियां बड़े कस्बे भी हैं। पूर्व में भाजपा, अकाली दल गठबंधन के संयुक्त वोट पूरे पंजाब में प्रत्याशियों को मिल जाते थे इसलिए उनके प्रत्याशियों को जीत मिलती रही। लेकिन इस बार स्थितियां अलग हो गई हैं। हिन्दू वोट के आसरे भाजपा पंजाब में अपनी जमीन तलाशने में लगी है तो कांग्रेस भी हिन्दू वोटों में खासी पैठ रखती है। ग्रामीण इलाकों में किसान समुदाय के वोटर निर्णायक होंगे। कांग्रेस के सुखजिंदर सिंह रंधावा इन समीकरणों में अन्य प्रत्याशियों में कुछ आगे दिखाई देते हैं।

श्री अमृतसर साहिब से कांग्रेस ने वर्तमान सांसद गुरजीत सिंह औजला पर फिर से अपना विश्वास रखते हुए प्रत्याशी बनाया है। भाजपा ने नये चेहरे के रूप में पूर्व राजनयिक तरनजीत सिंह संधू को मैदान में उतारा है। पंजाब के प्रतिष्ठित पंथक परिवार तेजा सिंह समुद्री की विरासत लिए हुए तरनजीत सिंह संधू राजनीति के मैदान में बिल्कुल नए हैं। अकाली दल ने अमृतसर के तेज तर्रार माने जाने वाले अनिल जोशी को अपना उम्मीदवार बनाया है। अनिल जोशी भाजपा का एक प्रमुख चेहरा पंजाब में रहे हैं। किसान आंदोलन के समय उनकी किसानों के पक्ष की प्रतिक्रियाओं के चलते भाजपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था। 2021 के अगस्त में अनिल जोशी अकाली दल में शामिल हुए थे। आम आदमी पार्टी ने मौजूदा सरकार में कृषि किसान कल्याण, ग्रामीण विकास व पंचायत मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल को यहां से चुनाव मैदान में उतारा है। अबकी बार शहरी ग्रामीण वोटों को संतुलित रूप से अपने पक्ष में करना सभी प्रत्याशियों की चुनौती बनेगी। नवजोत सिंह सिद्धू यहाँ से संयुक्त समीकरण के चलते जीतते रहे। वर्तमान सांसद कांग्रेस के गुरजीत सिंह औजला के खिलाफ़ कोई नाराजगी स्थानीय लोकसभा क्षेत्र में नहीं है जिसका लाभ उनके पक्ष को मज़बूत करता है। शहरी हिन्दू वोट पर भाजपा निर्भर है लेकिन अकाली दल के अनिल जोशी को शहरी हिन्दू वोट का लाभ तथा अकाली दल के ग्रामीण वोटों का भी लाभ मिलने के आसार हैं। वहीं आम आदमी पार्टी ने अपना पूरा जोर सरकार की उपब्धियों पर लगाया है। कांग्रेस के गुरजीत सिंह औजला को अकाली भाजपा वोटों का विभाजन चुनावी लाभ निश्चित तौर पर दे सकता है।  

माझा की तीसरी सीट खडूर साहिब सबसे अधिक चर्चा में है। यहाँ से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अमृत पाल चुनाव मैदान में हैं। पंजाब में कुछ समय पहले जिस तरह का एक घटनाक्रम हुआ था जिसमें तीव्र पंथक विमर्श को लेकर अमृत पाल की सक्रियता रही और उसकी गिरफ्तारी हुई उसने पूरे पंजाब में एक नयी धारा को उत्पन करने की कोशिश की थी। हालाँकि अलगाववादी सोच को पंजाब ने विगत में ही पूरी तरह से ख़ारिज कर दिया था। कांग्रेस ने कुलबीर सिंह जीरा को इस बार अवसर दिया है। आम आदमी पार्टी  ने अपने मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर को यहां प्रत्याशी बनाया है। 

खडूर साहिब की नौ विधानसभा में आम आदमी पार्टी के वर्तमान में 6  विधायक हैं। एक विधायक निर्दलीय तथा एक विधायक कांग्रेस पार्टी से है। भाजपा से यहां मनजीत सिंह मन्ना प्रत्याशी हैं जिन्होंने हाल ही में भाजपा का दामन थामा है। दो बार अकाली दल से विधायक रहे मन्ना ने बिक्रमजीत सिंह मजीठिया से तकरार के चलते काफी मुखरता से मजीठिया को पंजाब में ड्रग्स के मामलों में संलिप्तता के आरोपों पर घेरा था। यहाँ की सीट पर समीकरण काफी पेचीदा दिखाई दे रहे हैं।  किसान वर्ग में जट्ट जाति का झुकाव धार्मिक भाव से प्रेरित अमृत पाल की ओर लगता है जबकि दलित समुदाय, जो मुख्यता श्रमिक कामगार हैं, में कुछ भाग भाजपा की ओर बढ़ सकता है। सेक्युलर वोट जो जाति धर्म की परिधि के बाहर हैं उनका झुकाव आम आदमी पार्टी की ओर अधिक दिखाई देता है। इस वर्ग में अधिकतर कर्मचारी छोटे व्यापारी शिक्षक व अन्य कार्यों-सेवाओं से जुड़े लोग शामिल हैं।

(दोआबा और मालवा क्षेत्र की रिपोर्टें अगली कड़ी में)