पंजाब उन 3 राज्यों में से एक है जहां पर कांग्रेस सत्ता में है। लेकिन राज्य में पार्टी के नेताओं के भीतर जो लड़ाई चल रही है, उससे ऐसा नहीं लगता कि पार्टी सत्ता में लौटने के लिए गंभीर है। पंजाब में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा इसको लेकर पार्टी के नेता आमने-सामने हैं। ऐसे में सवाल यह है कि पार्टी क्या खुद ही पंजाब को हाथ से फिसलने देना चाहती है।
कुछ दिन पहले पंजाब में कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष सुनील जाखड़ का एक वीडियो सामने आया था जिसमें वह अमरिंदर सिंह के हटने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए उनके साथ 42 विधायकों का समर्थन जबकि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के साथ सिर्फ 2 विधायकों का समर्थन होने का दावा कर रहे थे।
इसके बाद प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू का एक वीडियो सामने आया जिसमें उन्होंने कहा कि ऊपर के लोग कमजोर मुख्यमंत्री चाहते हैं। सिद्धू मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भतीजे की ईडी द्वारा गिरफ्तारी के मामले में नैतिकता और ईमानदारी का हवाला देते दिखे हैं।
सिद्धू की सियासी ख्वाहिश पंजाब का मुख्यमंत्री बनने की है। कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को इस पद से हटाकर पहले ही अपना सियासी नुकसान करा चुकी है।
हालांकि उसने पंजाब में पहली बार दलित सिख समाज के किसी नेता को मुख्यमंत्री बना कर एक बड़ा दांव खेला था और चरणजीत सिंह चन्नी ने भी साढ़े 3 महीने के अपने कार्यकाल में खुद को आम आदमी का मुख्यमंत्री साबित करने की पूरी कोशिश की। लेकिन मामला फंस गया मुख्यमंत्री के चेहरे और ईडी की कार्रवाई को लेकर।
सिद्धू, चन्नी और जाखड़ की आपसी लड़ाई से बचने के लिए ही पार्टी आलाकमान ने कहा था कि वह मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं करेगी। लेकिन सिद्धू और चन्नी के भारी दबाव के बाद पार्टी सीएम का चेहरा घोषित करने जा रही है।
कांग्रेस इस बात को जानती है कि सिद्धू और चरणजीत सिंह चन्नी में से किसी एक का नाम घोषित करने से दूसरा नेता और उसके समर्थक नाराज हो जाएंगे और पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर देंगे।
निशाने पर चन्नी
सिद्धू ने अपने बगावती तेवर दिखाने शुरू भी कर दिए हैं। वह टीवी चैनलों से बातचीत में कह चुके हैं कि कोई अवैध शराब बेचने वाला, कोई रेत चोरी करने वाला और किसी माफिया से यारी करने वाला पंजाब को नहीं सुधार सकता। सिद्धू का यह बयान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भतीजे भूपिंदर सिंह हनी की गिरफ्तारी के बाद आया है इसलिए इसे चन्नी पर सीधा निशाना माना जा रहा है।
सिद्धू खुद को पंजाब के सबसे बड़े हितैषी और ईमानदार नेता के रूप में दिखाते हैं लेकिन उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि अपनी राजनीतिक ख्वाहिश के चलते वह कांग्रेस का बड़ा नुकसान कर रहे हैं। पहले वह अमरिंदर सिंह के खिलाफ थे और अब वह चन्नी के खिलाफ हो गए हैं।
तिवारी को नहीं मिली जगह
कांग्रेस ने पंजाब में पार्टी के अकेले हिंदू सांसद मनीष तिवारी को स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल नहीं किया है। तिवारी एक वक्त में राहुल गांधी के बेहद करीबी थे लेकिन वर्तमान में वह असंतुष्ट नेताओं के समूह जी-23 का हिस्सा हैं और कांग्रेस नेतृत्व को असहज करने वाले ट्वीट बीते महीनों में करते रहे हैं।
तिवारी को स्टार प्रचारकों की सूची में जगह न मिलने से पता चलता है की पार्टी की राज्य इकाई में सब कुछ ठीक नहीं है।
आप से मिल रही टक्कर
पंजाब में इस बार कांग्रेस को आम आदमी पार्टी से कड़ी टक्कर मिल रही है और यह बात कई सर्वे में सामने आ चुकी है। ऐसे में पार्टी को अगर सत्ता में लौटना है तो उसे इन झगड़ों को खत्म कर एकजुट होना ही होगा वरना हालात उसके लिए और विपरीत हो सकते हैं क्योंकि लगभग 10 साल मुख्यमंत्री रहे अमरिंदर सिंह कांग्रेस को थोड़ा-बहुत नुक़सान जरूर पहुंचाएंगे और पार्टी नेताओं के झगड़े इस नुक़सान को बढ़ाने का ही काम कर रहे हैं।