नागरिकता विधेयक : पंजाब में भी प्रदर्शन तेज़, फैलेगी विरोध की आग?

04:09 pm Dec 12, 2019 | अमरीक - सत्य हिन्दी

नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में असम, त्रिपुरा सहित पूरे राज्यों में ज़बरदस्त विरोध के बीच पंजाब में भी इसका विरोध तेज़ हो रहा है। राजनीतिक दल तो अपने फ़ायदे-नुक़सान को देखकर विरोध कर ही रहे हैं लेकिन कई ग़ैर-सरकारी संगठन और सामाजिक संस्थाओं के कार्यकर्ता सड़क पर उतरे हैं। गुरुवार को भी इनका विरोध जारी रहा। इस विधेयक के लोकसभा और राज्यसभा में पास होने से पहले से ही विरोध हो रहा है। मानवाधिकार दिवस तो नागरिकता संशोधन बिल विरोधी दिन के रूप में बदल गया था। 

कई संगठनों के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को मालवा के इलाक़े में झनीर सहित कई जगहों पर प्रदर्शन किया। इससे पहले भी जब राज्यसभा में विधेयक पर बहस हो रही थी तब नागरिकता विधेयक के विरोध में पंजाब के चार प्रमुख वामपंथी संगठनों और कई जम्हूरी संगठनों ने अमृतसर में संयुक्त तौर पर एक बड़ी रैली का आयोजन किया था। लंबा जुलूस निकाला गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पुतले जलाए। पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में भी आइसा के छात्रों ने भी बुधवार देर रात विरोध-प्रदर्शन किया।

आरएमपीआई के अखिल भारतीय महासचिव मंगत राम पासला ने कहा कि बीजेपी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सांप्रदायिक एजेंडे को लागू करने के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पास किया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन बिल पास करके देश के संविधान की धर्मनिरपेक्ष मूल अवधारणा की हत्या की है। यह विधेयक देश में फैली फिरकापरस्ती में ज़बरदस्त इज़ाफा करेगा और अल्पसंख्यकों पर सरकारी संरक्षण में ज़ुल्म बढ़ेंगे। पंजाब के लोग इसके विरोध में हैं। 

माझा इलाक़े के अमृतसर के साथ-साथ ऐसी रोष रैलियाँ तरनतारन, झब्बाल, अजनाला, भिखीविंड, गुरदासपुर, बटाला और छरहटा में भी की गईंं। मालवा और दोआबा इलाक़ों में भी यही आलम था। मालवा के मानसा ज़िले के बोहा कस्बे में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य पूर्व विधायक हरदेव अर्शी ने नागरिकता संशोधन विधेयक विरोधी विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए इसे बीजेपी की आलोचना की। सीपीआई इसके विरोध में 26 दिसंबर को मानसा में महारैली करेगी।

राज्य की राजधानी चंडीगढ़ में जम्हूरी अधिकार सभा ने बिल के विरोध में बड़ा आयोजन किया और बाद में रैली निकाली। सभा के महासचिव (शहीद भगत सिंह के भांजे) प्रोफ़ेसर जगमोहन सिंह ने कहा कि जो 1947 में सांप्रदायिक ताक़तें नहीं कर पाईंं, उसे मोदी सरकार ने कर दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का नागरिकता संशोधन बिल हर लिहाज़ से एक सांप्रदायिक एजेंडा है। जम्हूरी अधिकार सभा ने भी पंजाब के अलग-अलग शहरों में चंडीगढ़ की तरह रोष रैलियाँ निकालींं। प्रतिष्ठित संस्थान देशभक्त यादगार हाल ने भी नागरिकता संशोधन बिल का विरोध किया है। लोक मोर्चा पंजाब के संयोजक अमोलक सिंह कहते हैं कि इस विधेयक की घातकता के दूरगामी नतीजे होंगे। प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष डॉ. सुखदेव सिंह कहते हैं कि यह बिल सरासर फ़ासीवादी है।

कांग्रेस और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह शुरू से ही इस बिल का विरोध कर रहे हैं। फ़िलहाल शिरोमणि अकाली दल यह कहकर बीजेपी का समर्थन कर रहा है कि इसमें मुसलमानों को भी शुमार किया जाता तो बेहतर होता। इससे आगे बादल की सरपरस्ती वाला अकाली दल खामोश हो जाता है। जबकि शिरोमणि अकाली दल के प्रतिद्वंद्वी पंथक और टकसाली अकाली दल नागरिकता संशोधन बिल का पुरजोर विरोध कर रहे हैं।