पंजाब में ऑपरेशन अमृतपाल सिंह खालसा जारी है। इस ऑपरेशन के तीसरे दिन बीती देर रात वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह के चाचा हरजीत सिंह और उनके ड्राइवर के साथ 19 और 20 मार्च की दरमियानी रात को गिरफ्तार किया गया। वो दोनों शनिवार को अमृतपाल के साथ थे। लेकिन ऑपरेशन के दौरान बच निकले। अमृतपाल का अभी भी पता नहीं चला है। इस बीच अमृतपाल और उनके साथियों पर आनंदपुर खालसा फोर्स (एकेएफ) नामक हथियारबंद जत्था खड़ा करने का आरोप जांच एजेंसियों ने लगाया है। इंडियन एक्सप्रेस ने आज सोमवार को इस बारे में एक विशेष रिपोर्ट प्रकाशित की है।
अमृतपाल सिंह के करीबी सहयोगी दलजीत सिंह कलसी के बैंक खाते में पिछले दो वर्षों में विदेशों से कम से कम 35 करोड़ रुपये आए हैं। दलजीत सिंह कलसी को कल रविवार को हरियाणा में गुड़गांव से गिरफ्तार किया गया है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में जांच एजेंसियों के हवाले से यह जानकारी दी गई है। पंजाब पुलिस का कहना है कि कलसी ही वो शख्स है जो अमृतपाल सिंह खालसा का पूरा फाइनैंस संभालता था। कलसी के मोबाइल में पाकिस्तान के करीब दो दर्जन मोबाइल नंबर भी मिले हैं, जिनसे कालसी के फोन पर कॉल की गई या रिसीव की गई।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में एक वरिष्ठ जांच अधिकारी के हवाले से कहा गया कि अमृतपाल और उसके करीबी सहयोगी आनंदपुर खालसा फोर्स (एकेएफ) के नाम पर सशस्त्र समर्थकों का एक स्वतंत्र बल बनाने की प्रक्रिया में थे।
एजेंसियों के सूत्रों ने कहा कि उन्हें कुछ ऐसे वीडियो मिले हैं जिनमें अमृतपाल के करीबी सहयोगियों को उनके काफिले में यात्रा करते हुए एकेएफ लोगो (निशान) वाले हथियार ले जाते हुए देखा जा सकता है। कई ने AKF लोगो वाले स्टोल पहन रखे थे। सूत्रों ने कहा कि उन्हें यह कहते हुए देखा गया कि वे उन आपराधिक मामलों से परेशान नहीं हैं जो पुलिस उन पर थोप सकती है। एकेएफ बनाने का मामला गंभीर लग रहा है। क्योंकि आतंकवादी भिंडरावाले के समय में ऐसे ही कई आतंकी संगठनों का जन्म पंजाब में हुआ था। उनमें से बाद में कुछ अंतरराष्ट्रीय संगठन बन गए। ऐसे संगठन बाहरी मदद और पैसे के बिना नहीं बन सकते।
जांचकर्ताओं के अनुसार दलजीत सिंह कलसी, जिसे अमृतपाल और वारिस पंजाब दे का मुख्य फाइनेंसर कहा जाता है, ने 2000 के दशक की शुरुआत में स्टर्लिंग इंडिया नाम से एक कंपनी शुरू की थी। दिल्ली में स्थित एक मल्टी-लेवल मार्केटिंग कंपनी के बारे में पता चला है कि उसने पोंजी योजनाओं को चलाने के लिए अनियमित डायरेक्ट सेलिंग रूट का इस्तेमाल किया था। वह 21 अप्रैल, 2018 से फर्जी नाम सरबजीत सिंह के तहत तिरुमल्ला तिरुपति मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी के निदेशक मंडल में भी था।
जांचकर्ताओं ने अब पाया है कि तिरुमल्ला तिरुपति मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी भी मल्टी-लेवल मार्केटिंग में शामिल है और मुंबई में स्थित है। एक सूत्र ने कहा कि इसके निदेशकों में से एक की ड्रग रैकेट में कथित संलिप्तता और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी का इस्तेमाल करने के लिए अपराध शाखा, गोवा द्वारा भी जांच की जा रही है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक जांच एजेंसियों ने पाया कि कलसी आइकॉन इंफ्राप्रॉप प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक मंडल में भी थे और कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 164 (2) (ए) के तहत वित्तीय वर्ष 2014 से 2016 के लिए लगातार तीन वर्षों तक आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करने के लिए अयोग्य घोषित किए गए थे।
जांच एजेंसियों को यह भी पता चला कि अमृतपाल सिंह पुणे निवासी और स्टर्लिंग इंडिया में कलसी के पार्टनर के नाम पर रजिस्टर्ड एक ऑडी कार का इस्तेमाल कर रहा है।
अमृतपाल को आखिरी बार खडूर साहिब-हरिके रोड पर हॉक ढाबा के पास देखा गया था। हरिके के पास भारी पुलिस बल उसे रोकने के लिए इंतजार कर रहा था। सूत्रों ने कहा कि अमृतपाल के पास एक "फ्लैग कार" थी जो उसके वाहन से लगभग 2-3 किलोमीटर आगे चल रही थी और यह वाहन वह था जिसने सबसे पहले भारी पुलिस तैनाती को देखा। फिर उसने यू-टर्न लिया, अमृतपाल के ड्राइवर हरप्रीत को बुलाया और अमृतपाल को इस बारे में सतर्क किया।
इंडियन एक्सप्रेस को सूत्रों ने बताया कि अमृतपाल ने वहीं से तुरंत यू-टर्न ले लिया, उस मर्सिडीज एसयूवी को छोड़ दिया, जिसमें वह पहले यात्रा कर रहा था। अपना रास्ता बदल लिया और उसी "फ्लैग कार" में भाग गया। जांच एजेंसियों का मानना है कि उस दौरान अमृतपाल के पैतृक गांव जल्लूपुर खेड़ा, अमृतसर के रहने वाले ड्राइवर हरप्रीत और चाचा हरजीत सिंह सहित कम से कम पांच लोग थे। जिन लोगों को पुलिस ने अभी तक गिरफ्तार किया है, उनके पास से भारी मात्रा में हथियार और पैसे बरामद हुए हैं।