खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह ने आज सुबह सरेंडर करने से पहले मोगा के रोडे गांव में गुरुद्वारे में पाठ किया, लोगों को संबोधित किया और फिर गुरुद्वारे से बाहर निकल कर पंजाब पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। रोडे गांव खालिस्तानी नेता भिंडरावाले का गांव है। सब कुछ शांतिपूर्वक हुआ। अमृतपाल सिंह के पुलिस हिरासत में लिए जाने का कहीं भी किसी भी तरफ से विरोध नहीं हुआ। समझा जाता है कि अमृतपाल के सरेंडर की पूरी रूपरेखा पहले ही बना ली गई थी। सारी कार्रवाई पूरी होने के बाद पंजाब पुलिस ने 7ः45 बजे सुबह उसकी गिरफ्तारी की घोषणा की, हालांकि उसने पूरी सूचना तब तक शेयर नहीं की थी।
पुलिस अमृतपाल सिंह का पीछा एक महीने से अधिक समय से कर रही थी। पुलिस को आज सुबह ही उसके रोडे गांव में होने की सूचना मिली। चूंकि अमृतपाल खुद को भिंडरावाले का अनुयायी बताता है तो पुलिस की नजर रोडे गांव पर पहले से ही थी और यहां पर भारी पुलिस बल पहले से ही तैनात था। रोडे गांव में आज सुबह जो कुछ हुआ, उससे लगता है कि अकाल तख्त के नेताओं का दबाव पड़ने के बाद अमृतपाल ने आज सरेंडर किया। अन्यथा अगर पुलिस को उसके यहां होने की जानकारी थी तो उसने फौरन गिरफ्तार क्यों नहीं किया।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि अमृतपाल सिंह ने आत्मसमर्पण करने से पहले मोगा जिले के रोडे गांव में एक गुरुद्वारे में पाठ किया और उस समय जो श्रद्धालु वहां मौजूद थे, उन्हें संबोधित भी किया। अधिकारियों ने बताया कि उसे गुरुद्वारे के बाहर गिरफ्तार किया गया।
मोगा खालिस्तानी अलगाववादी और आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले का इलाका है। अपने समर्थकों के बीच "भिंडरावाले 2.0" के रूप में जाने जाने वाले अमृतपाल को असम की डिब्रूगढ़ जेल ले जाया जा रहा है, जहां उनके आठ सहयोगी पहले से ही राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत बंद हैं।
अमृतपाल 18 मार्च से फरार चल रहा था, जब पंजाब पुलिस ने उसके 'वारिस पंजाब दे' संगठन के सदस्यों पर एक बड़ी कार्रवाई शुरू की थी।