आम आदमी पार्टी के पार्षद ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चंडीगढ़ मेयर चुनाव को चुनौती दी है। अदालत ने मामले को बुधवार को सूचीबद्ध करने की इजाजत दे दी है। मंगलवार को हुए चुनाव में बीजेपी का एक पार्षद विजयी हुआ है। आप और कांग्रेस पार्टी के संयुक्त उम्मीदवार कुलदीप कुमार ने कथित धोखाधड़ी और जालसाजी के कारण चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर के लिए हुए चुनाव को रद्द करने की मांग की है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि मेयर का चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीक़े से नहीं हुआ और वोटों की गिनती के दौरान नियमों का घोर उल्लंघन हुआ है। याचिका में नए सिरे से चुनाव कराने के लिए दिशा-निर्देश देने का आग्रह किया गया है।
मेयर चुनाव में भाजपा के मनोज सोनकर को 16 वोट मिले। बीजेपी के ख़िलाफ़ कांग्रेस-आप गठबंधन में उतरे उम्मीदवार को 12 वोट मिले। इस प्रक्रिया में आठ वोट अवैध घोषित कर दिये गये। गठबंधन के पास कुल 20 पार्षद थे और माना जा रहा था कि चुनाव में कांग्रेस-आप के उम्मीदवार को हराना मुश्किल होगा।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका में सिंह ने आरोप लगाया है कि नियमों से पूरी तरह हटकर, पीठासीन अधिकारी ने पार्टियों के नामांकित व्यक्तियों को वोटों की गिनती की निगरानी करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।
याचिका में आरोप लगाया गया है, 'पीठासीन अधिकारी ने बहुत ही अजीब ढंग से सदन को संबोधित किया कि वह चुनाव लड़ रहे दलों द्वारा नामित सदस्यों से कोई सहायता नहीं चाहते हैं और वह वोटों की गिनती खुद करेंगे। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने आवाज़ उठाई लेकिन उनके अनुरोधों पर ध्यान नहीं दिया गया, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उपायुक्त, प्रतिवादी नंबर 2 और तय प्राधिकारी, जो पिछले साल के चुनाव में भी इसी पद पर थे, चुप रहे।'
रिपोर्ट के अनुसार याचिका में आगे कहा गया है कि पीठासीन अधिकारी के सामने तीन टोकरियाँ थीं- दो आप-कांग्रेस गठबंधन और भाजपा के उम्मीदवारों के लिए और एक अवैध वोटों के लिए। याचिका के अनुसार, चुनाव के वीडियो से पता चलता है कि पीठासीन अधिकारी ने 'केवल भ्रम पैदा करने के उद्देश्य से वोटों को एक टोकरी से दूसरी टोकरी में बदल दिया, जिसके दौरान उन्होंने जालसाजी और छेड़छाड़ करके चुनाव प्रक्रिया में पूरी तरह गड़बड़ी की।'
सिंह ने याचिका में आगे आरोप लगाया कि पीठासीन अधिकारी ने सभी नियमों और विनियमों के विपरीत परिणाम की घोषणा की कि आठ वोट अवैध घोषित कर दिए गए, लेकिन उन्होंने वोटों की अमान्यता और उस पार्टी के लिए एक भी शब्द नहीं कहा, जिसे ये अवैध वोट मिले थे।'
याचिका में तर्क दिया गया कि पीठासीन अधिकारी की हरकतें चुनाव के लिए लोकतंत्र और लोकतांत्रिक प्रणाली की हत्या के अलावा कुछ नहीं हैं। याचिका में चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर भाजपा के साथ साठगांठ करने का भी आरोप लगाया गया है। याचिका में कहा गया है, 'अधिकांश अधिकारी, जो चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार थे, जिनमें पीठासीन अधिकारी और नगर निगम के सचिव भी शामिल थे, हरियाणा कैडर के अधिकारी हैं, जहां भाजपा सरकार सत्ता में है और वे पार्टी के प्रभाव में हैं।'
याचिका में मंगलवार के चुनावों को रद्द करने और स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से नए चुनाव कराने की मांग की गई है।