पंजाब के कांग्रेसी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के ख़िलाफ़ कांग्रेसी विधायकों का एक 'कॉकस' बन रहा है और उनके ख़िलाफ़ खुली बग़ावत होने के आसार हैं। अमरिंदर सिंह के ख़िलाफ़ छह विधायक पहले ही घोषित रूप से बाग़ी तेवर अख्तियार किए हुए हैं। अब आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता अमन अरोड़ा के ताज़ा बयान ने पंजाब की सियासत में खलबली मचा दी है। अरोड़ा ने कहा है कि कांग्रेस के 40 विधायक असंतुष्ट हैं और अमरिंदर के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को गिराकर नई सरकार और नया मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। अरोड़ा ने साफ़ कहा कि कैप्टन के ख़िलाफ़ बग़ावत करने वालों को आम आदमी पार्टी अपने 19 विधायकों का समर्थन देगी और नवजोत सिंह सिद्धू की अगुवाई में नई सरकार गठित करने में सक्रिय सहयोग देगी।
अमरिंदर के ख़िलाफ़ खोला मोर्चा
पटियाला कैप्टन अमरिंदर सिंह का गृह जिला है। वहां के 4 कांग्रेसी विधायक शुतराणा के निर्मल सिंह, राजपुरा के हरदयाल कंबोज, समाना के राजेंद्र सिंह और घिन्नौर के मदनलाल जलालपुर इन दिनों मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ मोर्चा खोले हुए हैं। ये विधायक पंजाब में अफ़सरशाही द्वारा सरकार चलाने और भ्रष्टाचार के बोल-बाले के ख़िलाफ़ खुलेआम अपनी सरकार की निंदा कर रहे हैं। इन विधायकों का आरोप है कि पंजाब में कांग्रेस का शासन है लेकिन कांग्रेस के ज्यादातर विधायकों की एक बात नहीं सुनी जा रही है। पुलिस प्रशासन उन्हें कुछ नहीं समझता और उनसे ज्यादा तरजीह शिरोमणि अकाली दल के लोगों को मिलती है। इन चारों विधायकों को मनाने की राज्य कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की तमाम कोशिशें फिलहाल तक नाकाम साबित हुईंं हैं।
कैप्टन की पत्नी परनीत कौर और मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से भी असंतुष्ट अथवा बाग़ी हुए विधायकों को मनाने की कवायद की गई लेकिन यह बेनतीजा रही। नाराज विधायकों के तेवर दिन-ब-दिन ज्यादा तल्ख हो रहे हैं और यकीनन आने वाले दिनों में इससे कैप्टन की मुश्किलों में इजाफा होगा।
‘शह’ दे रहे विरोधी दल
कुछ कांग्रेसी विधायकों ने भी इन असंतुष्ट विधायकों का समर्थन किया है। साथ ही विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल भी नाराज तथा असंतुष्ट कांग्रेसी विधायकों को किसी न किसी तरह ‘शह’ दे रहे हैं। इन कांग्रेसी विधायकों से पहले नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी डॉक्टर नवजोत कौर सिद्धू ने कैप्टन के ख़िलाफ़ सियासी मोर्चा खोल दिया था। आम आदमी पार्टी सिद्धू को कैप्टन की सरकार गिराकर नया मुख्यमंत्री बनाने की बात कह रही है लेकिन पूरे प्रकरण पर ख़ुद सिद्धू फिलहाल ख़ामोश हैं।
जानकारी के मुताबिक़, कांग्रेस के बहुत सारे विधायक मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की कार्यशैली और उनके अफ़सरशाही पर ज्यादा भरोसा करने को लेकर खासे ख़फा हैं। खफा कांग्रेसी विधायकों व कुछ बड़े क़द के नेताओं का कैप्टन के ख़िलाफ़ बाकायदा एक 'कॉकस' बन चुका है और यह उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाने के लिए सक्रिय हो गया है। आम आदमी पार्टी और अकाली दल के वरिष्ठ नेता इस 'कॉकस' के नियमित संपर्क में हैं। सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री और उनका ख़ेमा इस गुप्त बाग़ी अथवा असंतुष्ट ग्रुप से बेख़बर नहीं है तथा वक्त आने पर जवाब देने के लिए तैयार है।
अफ़सरशाही को लेकर नाराज़गी
पंजाब के कई विधायकों की यह पुरानी शिकायत है कि राज्य की अफ़सरशाही सरकार पर पूरी तरह हावी है और वह चुने हुए प्रतिनिधियों की उपेक्षा तथा बेइज्जती करती है। यह मामला प्रदेश कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ के आगे भी सामूहिक रूप से कई बार उठाया गया, उन्होंने आला अधिकारियों को लताड़ने वाले कुछ सार्वजनिक बयान भी दिए लेकिन सूरत नहीं बदली।
विधायकों की अपनी सरकार के प्रति शिकायतें बढ़ती गईंं। यहां तक कि चार विधायक खुली बग़ावत पर आ गए। इससे पहले कई शिकायतें मुखरता से जग जाहिर करके सिद्धू दंपति बग़ावत कर ही चुके थे। सूत्रों के अनुसार यह सिलसिला अब रफ्तार पकड़ेगा। दरअसल, कांग्रेस का कोई विधायक, अपने समर्थकों अथवा कांग्रेसियों से ही अफ़सरों के रिश्वत खाने की शिकायत कर रहा है तो कोई पुलिस द्वारा नाजायज तौर पर फ़ोन टैपिंग की। ऐसे कुछ अधिकारी बदले गए तो साफ हुआ कि आरोप लगाने वाले विधायकों की शिकायतों में दम है।
मंत्रियों के भी नाराज़ होने की चर्चा
कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई वाली पिछली कांग्रेस सरकार के समय भी अफ़सरशाही और मुख्यमंत्री की किचन कैबिनेट हावी थी और इस बार भी ऐसा होता दिख रहा है। लेकिन तब बग़ावत का ऐसा माहौल नहीं बना था जैसा अब बन रहा है और चुनौती देने वाला कोई मजबूत ‘कॉकस’ भी वजूद में नहीं आया था। जानकार यह भी बताते हैं कि मंत्रिमंडल के कुछ सदस्य भी मुख्यमंत्री से ख़फा हैं। जानकारों के मुताबिक़, विधायकों की तो छोड़िए, कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने मंत्रियों को भी कई-कई दिन तक मिलने का समय नहीं देते और उनके फ़ोन तक नहीं सुनते।
पिछले दिनों मुख्यमंत्री विदेश में थे तो वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल को उन्हें चिट्ठी लिखकर अपनी बात रखनी पड़ी। जबकि मनप्रीत सिंह बादल को मुख्यमंत्री का अच्छा विश्वासपात्र माना जाता है। एक नाराज विधायक का कहना है, ‘जब मनप्रीत सरीखे मंत्री को ऐसा करना पड़ रहा है तो बाक़ी विधायकों और मंत्रियों के साथ क्या बीती होगी, ख़ुद अंदाजा लगाइए!’