जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों ने किया धमाका, 44 जवान शहीद

04:41 pm Feb 21, 2019 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

जम्मू-कश्मीर के पुलावामा ज़िले में हुए एक बहुत ही बड़े आत्मघाती हमले में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के 44 जवान शहीद हो गए हैं। इसके अलावा लगभग 43 जवान बुरी तरह घायल हैं। पुलिस का कहना है कि आतंकवादियो ने योजनाबद्ध तरीके से सोच समझ कर यह विस्फोट किया है। समाचार एजेन्सी एएनआई का कहना है कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी गुट जैश-ए-मुहम्मद ने हमले की ज़िम्मेदारी ली है। 

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आत्मघाती हमला

समाचार एजेन्सी पीटीआई का कहना है कि आतंकवादी गुट जैश-ए-मुहम्मद के लोगों ने विस्फोटकों से भरी एक गाड़ी सीआरपीएफ़ के एक बस से टकरा दी। धमाका इतना ज़ोरदार था कि इससे सीआरपीएफ़ बस के टुकड़े-टुकड़े हो गए। यह बस सीआरपीएफ़ की 54वीं बटालियन की थी। समझा जाता है कि पुलवामा के रहने वाले संदिग्ध आतंकवादी आदिल अहमद डार ने विस्फोटकों से लदी बस सीआरपीएफ़ के बस से टकरा दी। 

संदिग्द आतंकवादी आदिल अहमद डार

सीआरपीएफ़ (ऑपरेशन्स) के आईजी ज़ुल्फ़िकार हसन ने हमले की पुष्टि करते हुए कहा है, 'सीआरपीएफ़ के काफ़िले में 70 गाड़ियाँ थीं और उसी में से एक बस इसकी चपेट में गई। गाड़ियों का काफ़िला जम्मू से श्रीनगर जा रहा था।' उन्होंने कहा है कि राज्य पुलिस ने मामले की जाँच शुरू कर दी है। इसके पीछे कौन लोग हैं, यह कहना अभी जल्दबाज़ी होगी। सीआरपीएफ़ के महानिदेशक आर. आर. भटनागर ने कहा कि काफ़िले में लगभग 2500 जवान थे। 

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बख़्तरबंद गाड़ियाँ क्यों नहीं

सीआरपीएफ़ के पूर्व आईजी वीपीएस पंवार ने सवाल उठाया कि इस केंद्रीय पुलिस बल को बख़्तरबंद गाड़ियाँ यानी आर्मर्ड वीकल क्यों नहीं मुहैया कराई गईं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को इस बारे में पहले भी कहा जा चुका है। इसके अलावा पंवार ने यह भी कहा कि सीआरपीएफ़ के जवानों की ट्रेनिंग में गड़बड़ी नहीं है। 

इस आतंकवादी हमले से यह सवाल उठता है कि इतनी ज़बरदस्त सुरक्षा व्यवस्था के बीच इतनी बड़ी वारदात कैसे हो गई। निश्चित रूप से सुरक्षा में कहीं न कहीं चूक है। दूसरी बात यह है कि वहां 'रोड ओपनिंग पार्टी' सक्रिय है यानी सेना या सीआरीपएफ़ के काफ़िले के निकलने से पहले वहां सड़क के आगे-आगे उपकरणों से लैस टीम चलती है जो यह पता करती चलती है कि कोई विस्फोटक वगैरह न हो। सीआरपीएफ़ के इस काफ़िले के आगे-आगे भी यह 'रोड ओपनिंग पार्टी' चल रही थी। ऐसे में आतंकवादी ने कैसे अपनी गाड़ी सीआरपीएफ़ की बस से टकरा दी सरकार से ये सवाल पूछे जाएँगे। 

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जम्मू-कश्मीर के पुलिस आईजी एस. पी. पाणि ने कहा है कि पुलिस दल ने वारदात की जगह पहुँच कर जाँच शुरू कर दी है। वारदात के स्थल से सबूत इकट्ठे किए जा रहे हैं। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले को घिनौना काम बताते हुए इसकी निंदा की है। उन्होंने कहा है कि बहादुर जवानों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा। पूरा देश शहीद जवानोें के परवार वालों के साथ खड़ा है। मोदी ने कहा है कि उन्होंने इस मामले पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह से बात की है। 

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि राज्य में हिंसक वारदातों को अंजाम देने और अस्थिरता पैदा करने वाले तत्व कुंठित हैं और हर हाल में हिंसा बरक़रार रखना चाहते हैं। लगता है कि वारदात को अंजाम देने वाले सीमा पार से मिले निर्देश पर काम कर रहे थे।   

राहुल गाँधी ने इस हमले पर चिंता जताते हुए कहा है कि वह इस कायराना हमले से बेहद दुखी हैं। उन्होंने कहा कि इस हमले में सीआरपीएफ़ के कई जवान शहीद हो गए हैं और दूसरे कई घायल हैं। राहुल ने मारे गए जवानों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की है। 

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा ने कहा है कि वह जवानों की शहादत से बेहद दुखी हैं। उन्होंने कहा, 'यह घनघोर चिंता का विषय है। सरकार को कठोर कदम उठाने चाहिए।' प्रियंका ने शहीद जवानों के प्रति सम्मान में दो मिनट का मौन भी रखा। उन्होंने शहीदों के परिवार वालों से कहा कि वे हौसला बनाए रखें, पूरा देश उनके साथ खड़ा है। 

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ट्वीट किया है कि यह हमला कायराना है और इसकी जितनी निंदा की जाए कम है। देश शहीदों को सलाम करता है और उनके परिजनों के साथ खड़ा है। 

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इसकी निंदा करते हुए शहीद जवानों के प्रति श्रद्धांजलि प्रकट की है। 

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की नेता महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि इस घटना की जितनी निंदा की जाए, कम है। उन्होंने कहा, ‘बॉर्डर पर हो रही भिड़ंतों और सर्जिकल स्ट्राइक से कोई फ़ायदा नहीं हो रहा है। केंद्र सरकार और सभी राजनीतिक दलों को इस खून-खराबे के ख़ात्मे के लिए एक मंच पर आना चाहिए।’

गृह मंत्री शुक्रवार को जाएँगे कश्मीर

गृह मंत्री राजनाथ सिंह शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर जाएँगे। वह राज्य की सुरक्षा स्थितियों का जायजा लेंगे और गवर्नर और आला अफ़सरों से मुलाक़ात करेंगे। उन्होंने सीआपीएफ़ के महानिदेशक से फ़ोन पर बात की है। 

प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जीतेंद्र सिंह ने कहा है, 'जिन्होंने यह घिनौना काम किया है, उन्हें किसी कीमत पर नहीं बख्शा जाएगा। सरकार की आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों से आतंकी संगठन बौखलाए हुए हैं और इस तरह का हमला किया है।' उन्होंने इसके आगे जोड़ा कि इसके साथ ही उन लोगों को भी नहीं छोड़ा जाना चाहिए जो इस तरह के आतंकवादी हमलों के प्रति नरमी बरतने की बात करते हैं। 

फ़ारूक़ का पलटवार

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने जीतेंद्र सिंह की बातों पर पलटवार करते हुए कहा है कि वह संकीर्ण राजनीति कर रहे हैं। अब्दुल्ला ने कहा उन्होंने, उनकी पार्टी नेशनल कॉन्फ़्रेंस ने या कांग्रेस पार्टी ने कभी भी किसी रूप में आतंकवाद का समर्थन नहीं किया है। इस वारदात के पीछे जो लोग हैं, उनका पता लगाया जाए और उनके ख़िलाफ़ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। 

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने इस मामले की जानकारी ली है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर उन्हें पूरी जानकारी दी है।