विरोधियों को निशाने पर लेने वाली बीजेपी के नेता पुलवामा जैसे मुद्दे पर ख़ुद कितने गंभीर हैं, इसकी बानगी बीजेपी सांसद मनोज तिवारी के रवैए से मिलती है। देखें नीचे का वीडियो।
'भारतीय सेना अभी लाहौर में होती'
साल 2013 में हुए आतंकवादी हमले पर मनमोहन सिंह सरकार की तीखी आलोचना करते हुए बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने कहा था कि यदि आज नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री होते तो अब तक भारतीय सेना लाहौर पहुँच चुकी होती। इस समय नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं और गिरिराज सिंह उन्हीं की सरकार में सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम मंत्रालय में राज्य मंत्री हैं। उनसे यह सवाल पूछा जाना चाहिए है कि उनकी सरकार ने भारतीय सेना को कहाँ तक पहुँचाया है।
निशाने पर राहुल गाँधी
साइबर आर्मी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को निशाने पर लिया। उसने फ़ोटोशॉप कर राहुल गाँधी को पुलवामा के हमलावर के साथ दिखाया और कहा वह कांग्रेस अध्यक्ष के नज़दीक है। लेकिन ऑल्ट न्यूज़ ने पड़ताल कर यह साबित कर दिया कि यह फ़ेक न्यूज़ का मामला था। जिस फ़ेसबुक पेज़ पर राहुल की यह फ़ेक न्यूज़ चला, उसने 'वन्स अगेन मोदी राज' का नारा लिख रखा है और वहाँ भगवा झंडा भी लगा रखा है।
निशाने पर प्रियंका
साइबर आर्मी के निशाने पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी भी हैं। फ़ेसबुक पर नरेंद्र दामोदर मोदी नाम के पेज़ पर यह कहा गया है कि प्रियंका गाँधी ने पुलवामा हमले से पहले 7 फ़रवरी को दुबई में पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा से मुलाक़ात की थी।
इसके बाद ट्विटर पर गौरव प्रधान नाम के आदमी के हैंडल से कहा गया है कि पाकिस्तान की बोर्डर एक्शन टीम कुछ हैरतअंगेज कार्रवाई करना चाहती है और प्रियंका जब दुबई में थीं, उसी दौरान 'नोमी' यानी बाज़वा ने प्रियंका को यह जानकारी दी। इसके बाद इसी ट्विटर हैंडल से प्रियंका गाँधी से इस बाबत सवाल भी पूछा गया। लेकिन ऑल्ट न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में इसे फ़र्ज़ी पाया और कहा कि पूरी तरह से फ़ेक न्यूज़ का मामला है।
इसी तरह एक वीडियो ट्वीट किया गया, जिसमें प्रियंका गाँधी पुलवामा हमले के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में हँसती हुई दिखती हैं। हालाँकि यह वीडियो से ही साफ़ है कि यह फ़र्जी है। ऑल्ट न्यूज़ ने पड़ताल कर इसे भी फ़र्ज़ी क़रार दिया। इस तरह साफ़ है कि किस तरह प्रियंका और राहुल के ख़िलाफ़ नफ़रत का माहौल बनाया जा रहा है। उनके ख़िलाफ़ झूठ फैला कर बेहद घटिया और बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं।
यह साफ़ है कि जानबूझ कर देश में युद्धोन्माद फैलाया जा रहा है। चुनाव के ठीक पहले इसके राजनीतिक निहितार्थ हैं। सवाल यह उठता है कि क्या एक ऐसा वातावरण बनाया जा रहा है जिसमें कश्मीर या आतंकवाद से जुड़े मुद्दों पर सरकार से कोई सवाल न पूछा जाए
क्या देश को लड़ाई की ओर धकेला जाएगा और इस पर सवाल करने वालों को निशाने पर लिया जाएगा। क्या अगला चुनाव पुलवामा के नाम पर लड़ा जाएगा और साइबर आर्मी ने इसकी शुरुआत कर ली है ये सवाल लाज़िमी हैं।
दूसरे कई सवाल भी उठते हैं। आज बीजेपी का कहना है कि आतंकवाद पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए और ऐसा कुछ भी नहीं कहना चाहिए, जिससे सेना का मनोबल गिरे। लेकिन जब बीजेपी विपक्ष में थी, उसने इन बातों का ख्याल नहीं रखा था। उसने हर आतंकवादी हमले या सीमा पर झड़प के बाद केंद्र सरकार को कमज़ोर क़रार दिया था और उसे कटघरे में खड़ा किया था। पुलवामा हमले के बाद पूरा विपक्ष केंद्र सरकार के साथ खड़ा है। वह सुरक्षा में हुई चूक जैसे ज़रूरी सवाल भी नहीं उठा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि यह समय इन बातों का नहीं है, और हम पूरी तरह से सरकार के साथ हैं। पर बीजेपी ने विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस सरकार के साथ यह दरियादिली नहीं दिखाई थी। ये सवाल महत्वपूर्ण इसलिए भी हैं कि कुछ महीने बाद चुनाव होने हैं और इस बात की पूरी संभावना है कि प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पुलवामा को मुद्दा बनाया जाएगा।