दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को पूर्व विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर की ओर से पत्रकार प्रिया रमानी के ख़िलाफ़ दायर की गई मानहानि की याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में एमजे अकबर ने दावा किया था कि प्रिया रमानी ने उन पर यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाकर उनकी छवि को ख़राब करने की कोशिश की।
प्रिया रमानी ने अकबर के इन आरोपों का जवाब यह कहकर दिया था कि इस मामले में सत्य और पूर्ण सत्य ही उनका एकमात्र हथियार है। अकबर कई अख़बारों के संपादक रह चुके हैं।
प्रिया ने 2017 में लिखे गए एक आर्टिकल में और 2018 में किए गए ट्वीट में अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। प्रिया ने ये आरोप तब लगाए थे जब दुनिया भर में #MeToo अभियान चला था और महिलाओं ने आगे आकर उनके साथ हुए यौन उत्पीड़न को बयां किया था।
प्रिया ने अपने ट्वीट में एक मैगज़ीन के लिए लिखे गए पुराने आर्टिकल को पोस्ट किया था। प्रिया ने अक्टूबर 2017 में वोग मैगज़ीन के लिए यह आर्टिकल लिखा था। प्रिया ने इसमें लिखा था, “मैं इस आर्टिकल को एमजे अकबर के बारे में लिखने से शुरू कर रही हूं। मैंने कभी उनका नाम नहीं लिया क्योंकि उन्होंने ‘कुछ नहीं’ किया था। इस आदमी के बारे में कई महिलाओं के पास बेहद खराब अनुभव हैं और उम्मीद है कि वे इसे साझा करेंगी।”
प्रिया ने आगे लिखा था, “अकबर ने मुझे शाम को 7 बजे साउथ मुंबई के एक होटल में बुलाया। वहां डेटिंग का माहौल ज़्यादा था और इंटरव्यू का कम। इसके बाद उन्होंने मुझे शराब ऑफ़र की और खुद वोदका पीने लगे। अकबर ने मुझे हिंदी फ़िल्म का एक पुराना गाना सुनाया।”
प्रिया लिखती हैं, “उस रात मैं किसी तरह बच गई। अकबर ने मुझे काम दिया और मैंने कई महीने उनके साथ काम किया। लेकिन मैंने यह तय कर लिया था कि आपके साथ कभी कमरे में अकेले नहीं रहूंगी। आप गंदे फ़ोन कॉल और मैसेज करने में एक्सपर्ट हैं।”
कई अन्य ने भी लगाए आरोप
#MeToo कैंपेन में प्रिया के अलावा एम.जे. अकबर पर 10 अन्य महिला पत्रकारों ने भी यौन दुर्व्यवहार और छेड़खानी के आरोप लगाए थे। अकबर पर प्रेरणा सिंह बिंद्रा, शुमा राहा, हरिन्दर बावेजा, अंजू भारती, सुतापा पॉल, कनिका गहलोत, ग़जाला वहाब, सुपर्णा शर्मा और दो विदेशी महिला पत्रकारों ने भी आरोप लगाए थे।