+
राष्ट्रपति चुनावः ओमप्रकाश राजभर की पार्टी मुर्मू के साथ, यूपी में सिन्हा को नुकसान

राष्ट्रपति चुनावः ओमप्रकाश राजभर की पार्टी मुर्मू के साथ, यूपी में सिन्हा को नुकसान

यूपी में राष्ट्रपति चुनाव के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा को शुक्रवार को बड़ा झटका लगा। ओमप्रकाश राजभर की पार्टी ने द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का ऐलान किया है। यूपी में राजभर की पार्टी अखिलेश यादव की सपा के साथ है। सपा ने सिन्हा का समर्थन किया है। राजभर के समर्थन से यूपी में मुर्मू और मजबूत हो गई हैं। राजभर के इस ऐलान से अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश और यूपी में विपक्ष की स्थिति क्या है।

राष्ट्रपति चुनाव की वजह से यूपी की राजनीति जबरदस्त ढंग से प्रभावित होने जा रही है। अखिलेश यादव और सपा के विश्वस्त साथी ओमप्रकाश राजभर ने शुक्रवार को एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का ऐलान किया है। राजभर के इस ऐलान से राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्षी एकता के दावे दिल्ली से लेकर लखनऊ और रांची तक छिन्न-भिन्न हो गए हैं। अब मुर्मू ऐतिहासिक जीत की ओर बढ़ रही हैं।

पीटीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के पहले से ही लड़खड़ा रहे अभियान को इससे बड़ा झटका लगा है। राजभर ने शुक्रवार सुबह अपनी पार्टी के फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि यह फैसला पार्टी नेताओं और पदाधिकारियों के साथ चर्चा के बाद लिया गया। उत्तर प्रदेश विधानसभा में राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारत समाज पार्टी (एसबीएसपी) के छह विधायक हैं।

ओमप्रकाश राजभर ने पत्रकारों को बताया कि अमित शाह की उनकी फोन पर बात हुई थी, उसके बाद ही उन्होंने मुर्मू के समर्थन का फैसला किया। जेल में बंद यूपी के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास अंसारी के वोट के बारे में पूछे जाने पर राजभर ने कहा कि अब्बास अंसारी भी मुर्मू को ही वोट देंगे।

हालांकि अभी तक, राजभर और उनकी पार्टी इस बारे में अप्रत्यक्ष संकेत भेज रही थी कि उसके विधायक मुर्मू को वोट देंगे या नहीं। मंगलवार को ही एसबीएसपी के एक प्रवक्ता ने कहा था कि पार्टी अभी भी सपा के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा बनी हुई है। लेकिन शुक्रवार के घटनाक्रम से स्थितियां बदल गई हैं। सपा के सूत्रों का कहना है कि अखिलेश ने गुरुवार को राजभर से संपर्क की कोशिश की थी लेकिन राजभर के पास अखिलेश से बात करने का समय नहीं था। बहरहाल, इस घटनाक्रम के बावजूद राजभर ने अभी सपा गठबंधन से अलग होने का ऐलान नहीं किया है।

पिछले महीने के अंत में राष्ट्रपति चुनाव के लिए सिन्हा ने अपना नामांकन पत्र जमा किया था, उस समय अखिलेश यादव सहित कई शीर्ष विपक्षी नेता मौजूद थे। लेकिन यूपी में अब यशवंत का अभियान कमजोर हो गया है।

शिवसेना का झटका

यशवंत सिन्हा के अभियान को कई असफलताओं का सामना करना पड़ रहा है। इस सप्ताह की शुरुआत में, शिवसेना प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था कि उनकी पार्टी एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार मुर्मू का समर्थन करेगी। ठाकरे की घोषणा पार्टी सांसदों के साथ उनकी बैठक के एक दिन बाद हुई, जहां कई सांसदों ने उनसे मुर्मू का समर्थन करने और बीजेपी और शिंदे गुट के साथ संभावित सुलह का दरवाजा खोलने का "अनुरोध" किया।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें