राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी की ओर से बुलाई गई बैठक में कांग्रेस के नेता भी शामिल होंगे। ममता बनर्जी ने विपक्षी दलों को पत्र लिखकर राष्ट्रपति चुनाव के संबंध में 15 जून को दिल्ली में बुलाई गई बैठक में आने की अपील की थी। कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश और रणदीप सिंह सुरजेवाला बैठक में शामिल होंगे।
विपक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती साझा उम्मीदवार उतारने की है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को राष्ट्रपति चुनाव के लिए सभी विपक्षी दलों के बीच आम सहमति बनाने के लिए बातचीत की जिम्मेदारी दी है।
सोनिया गांधी इस संबंध में डीएमके प्रमुख एम के स्टालिन, एनसीपी के मुखिया शरद पवार, सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी से भी बातचीत कर चुकी हैं।
ममता बनर्जी ने बैठक में शामिल होने के लिए 22 विपक्षी राजनीतिक दलों के नेताओं को निमंत्रण भेजा था। इनमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के अलावा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन, आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी आदि शामिल हैं।
पवार के इनकार से मुश्किल
शरद पवार के राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का उम्मीदवार बनने से इनकार करने के बाद विपक्ष की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अब विपक्ष को किसी बड़े चेहरे को सामने करना होगा और मजबूती के साथ चुनाव लड़ना होगा। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस पद के लिए उम्मीदवार बनने से इनकार कर चुके हैं।
आज़ाद, सिब्बल के नाम की चर्चा
यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद को विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाया जा सकता है। एक चर्चा राज्यसभा के सांसद और कांग्रेस के पूर्व नेता कपिल सिब्बल को भी उम्मीदवार बनाए जाने की है।
समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के नेता भी इस बैठक में शिरकत करेंगे। झारखंड में कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चला रही झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता भी इस बैठक में शामिल होंगे। जबकि एनसीपी की ओर से शरद पवार और प्रफुल पटेल बैठक में भाग लेंगे।
आगे है एनडीए
बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार आंकड़ों के लिहाज से विपक्ष से काफी आगे है और अगर विपक्षी दल उम्मीदवार के चयन को लेकर बंट जाते हैं तो निश्चित रूप से एनडीए के उम्मीदवार की राह आसान हो जाएगी। विपक्षी दलों के उम्मीदवार के चयन में यूपीए में शामिल राजनीतिक दलों के साथ ही टीआरएस, टीएमसी, शिवसेना, आम आदमी पार्टी, वामदलों की भी अहम भूमिका रहेगी क्योंकि ऐसा ना होने की सूरत में वोट बढ़ जाएंगे और विपक्ष के उम्मीदवार की स्थिति कमजोर हो जाएगी।
वाईएसआर कांग्रेस, बीजेडी
2017 के राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए को के. चंद्रशेखर राव यानी केसीआर की टीआरएस के साथ ही वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी का भी समर्थन मिला था। लेकिन इस बार केसीआर विपक्षी दलों का गठबंधन बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। ऐसे में वे एनडीए का समर्थन नहीं करेंगे।
इस सूरत में वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी की भूमिका अहम होगी। बीजेपी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर इन दोनों दलों के नेताओं के संपर्क में है और इनका समर्थन जुटाने की कोशिश कर रही है।
बता दें कि राष्ट्रपति के चुनाव के लिए 18 जुलाई को मतदान होगा जबकि नतीजे 21 जुलाई को आएंगे। नामांकन की अंतिम तारीख 29 जून है।