यूपी चुनावः पांचवें चरण में अयोध्या और पटेलों की छवि दांव पर, क्या संकेत दे रहा है अखिलेश का रोड शो   

07:03 pm Feb 25, 2022 | सत्य ब्यूरो

यूपी में पांचवे चरण का मतदान 27 फरवरी को है। आज शाम 6 बजे चुनाव प्रचार बंद हो गया। पूर्वी उत्तर प्रदेश के 12 जिलों में 61 सीटों पर हो रहे इस चुनाव का यह बहुत महत्वपूर्ण चक्र है। अब तक हुए चार चरणों में जिस तरह समाजवादी पार्टी ने सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी को जिस तरह चुनौती दी है, उसने सारे चुनावी समीकरणों को ध्वस्त कर दिया है। 

कौन कौन हैं खास उम्मीदवार 

सिराथू से केशव प्रसाद मौर्य (बीजेपी), पल्लवी पटेल (सपा, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की बहन) इलाहाबाद पश्चिमी से सिद्धार्थनाथ सिंह, इलाहाबाद दक्षिण से नंद गोपाल नंदी, मनकापुर से रमापति शास्त्री, चित्रकूट सदर चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय, कुंडा से रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, प्रतापगढ़ से कृष्णा पटेल (केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की मां), रामपुर खास से आराधना मिश्रा (कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी की बेटी), अयोध्या से तेजनारायण पांडे उर्फ पवन पांडे। 

अयोध्या किस तरफ

पांचवे चरण का मतदान बीजेपी के इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अयोध्या के मतदाता इस बार भी उसे या तो राम मंदिर की कसौटी पर कसेंगे या फिर अपनी बुनियादी जरूरतों से जूझ रही अपनी जिन्दगी के सवालों को कसौटी पर कसेंगे। अयोध्या की लड़ाई बीजेपी के लिए जितनी आसान है, उतनी ही मुश्किल भी है। अयोध्या ऐसा करती भी रही है। इस सीट कम्युनिस्ट विधायक तक रह चुके हैं। इसलिए अयोध्या के मतदाताओं का दिमाग कब पलट जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता। अयोध्या में इसकी झलक कल और आज दिखी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कल अयोध्या में हुए रोडशो में इतनी भीड़ नहीं थी, जितनी आज उसी अयोध्या में अखिलेश यादव के रोडशो में भीड़ थी। अब तो चुनाव आयोग ने रैलियों और रोड शो में असीमित संख्या की छूट दे दी है, इसके बावजूद बीजेपी नेताओं के रोडशो में भीड़ न जुटना काफी मायने रखता है। 

सिराथू में पटेलों की राजनीति

सिराथू में योगी सरकार के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य काफी मुश्किल में घिरे हुए हैं। सपा प्रत्याशी पल्लवी पटेल को जिताने के लिए खुद अखिलेश यादव और अन्य सपा नेताओं ने सिराथू के कई दौरे किए। तमाम सर्वे में पल्लवी पटेल को मजबूती से चुनाव लड़ते पाया गया है। सिराथू और प्रतापगढ़ इस चुनाव में तय करेंगे कि अपना दल के संस्थापक स्व. सोनेलाल पटेल के परिवार का कितना दबदबा कायम रह पाता है। 

यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य

दरअसल, सोनेलाल पटेल की बड़ी बेटी अनुप्रिया पटेल तो बीजेपी के साथ है और मोदी कैबिनेट में मंत्री है। जबकि सोनेलाल पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल (प्रतापगढ़) और छोटी बेटी पल्लवी पटेल (सिराथू) सपा के साथ हैं और सपा टिकट पर लड़ रहे हैं। इन्होंने अपना अलग अपना दल बनाया हुआ है। अनुप्रिया पटेल और मां कृष्णा पटेल में बीजेपी को लेकर मतभेद है। सोनेलाल पटेल की विधवा ने बेटी से कहा था कि वो मोदी कैबिनेट से हट जाए लेकिन वो नहीं मानी। इसके बाद कृष्णा पटेल ने अपना दल अलग बना लिया और सपा के साथ गठबंधन कर लिया लेकिन चुनाव सपा टिकट पर लड़ रही हैं।    

मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह इलाहाबाद पश्चिम से

मजबूत सिद्धार्थनाथ सिंह भी फंसे

इलाहाबाद पश्चिम से योगी कैबिनेट के मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और इलाहाबाद दक्षिण से नंदगोपाल नंदी राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी हैं। इन दोनों की जीत बहुत आसान मानी जा रही थी लेकिन बेरोजगार छात्रों और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों ने पूरे चुनाव की फिजा बदल दी है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में घुसकर जिस तरह पुलिस ने घुसकर छात्रों को पीटा था, उस दर्द को छात्र भूले नहीं है और तमाम छात्र नेता बीजेपी के विरोध में प्रचार कर रहे हैं। नंदगोपाल नंदी की सीट तो भी गनीमत है लेकिन सिद्धार्थनाथ सिंह को कड़ी चुनौती मिल रही है।  

आराधना मिश्रा अपने पिता प्रमोद तिवारी के साथ रामपुर खास में

कांग्रेस निकालेगी यह सीट

पांचवें चरण में कांग्रेस को जिस सीट पर ज्यादा जीत की उम्मीद है वो रामपुर खास है। वहां से आराधना मिश्रा दो बार से विधायक रही हैं। उनके पिता प्रमोद तिवारी कांग्रेस के पुराने नेताओं में से हैं और कांग्रेस में उनकी बहुत इज्जत है। यहां पर कहीं से भी बीजेपी या सपा की कोई हवा नजर आती है। कांग्रेस इस सीट को इस बार भी आसानी से निकाल सकती है। 

रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, कुंडा से

राजा भैया की दबंगई कब तक

कुंडा (प्रतापगढ़) से राजा भैया अजेय बने हुए हैं। हालांकि वो बीजेपी समर्थक हैं लेकिन उन्होंने अपनी भी पार्टी जनसत्ता पार्टी बना रखी है। देखना यह है कि कुंडा के लोग राजा भैया की कथित दबंगई पर ईवीएम बटन दबाते हैं या फिर उनके कथित गुंडाराज को खत्म करने के लिए वोट देते हैं। उन्हें बीएसपी से ही मात मिलती रही है। लेकिन इस बार बीएसपी रेस में ही नहीं है। लेकिन तमाम राजनीतिक दल इस बात पर सहमत हैं कि राजा भैया का हारना जरूरी है, ताकि इस इलाके से दबंगई की राजनीति का अंत है। राजा भैया अपने तमाम विवादास्पद कारनामों से सुर्खियों में रहते रहे हैं।

यूपी में पांचवें चरण के बाद छठे चरण का चुनाव 3 मार्च और अंतिम चरण यानी सातवें चरण का मतदान 7 मार्च को होगा। नतीजे 10 मार्च को आएंगे। अब तक चार चरणों में चुनाव कमोबेश शांतिपूर्ण रहा है लेकिन ईवीएम को लेकर जनता और राजनीतिक दलों में सवाल बना हुआ है। चुनाव के इतने लंबे चरण के बावजूद चुनाव आयोग ठीक से ईवीएम का इंतजाम नहीं कर पाया है। तमाम जगहों से शिकायतें हर चरण में आती हैं। चुनाव आयोग का पूरा क्रियाकलाप खासतौर पर यूपी में दांव पर लगा हुआ है।