राहुल गांधी बिहार में क्यों हुए सक्रिय, लालू-तेजस्वी से भी मिले
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पटना में संविधान पर आधारित सेमिनार 'न्याय का अधिकार' को संबोधित किया। राहुल ऐसे समय पटना पहुंचे हैं, जब लालू यादव की पार्टी आरजेडी अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक उसी दिन कर रही है। बिहार में कांग्रेस के सामने असली चुनौतियां हैं। वहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। कांग्रेस के पोस्टर और बैनर पूरे राज्य में दिख रहे हैं, लेकिन जमीन पर उनकी मौजूदगी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। स्थानीय स्तर पर पार्टी का संगठन उतना मजबूत नहीं है जितना होना चाहिए। राहुल का ध्यान भी बिहार में अपने पार्टी के संगठन पर है।
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राहुल गांधी की पटना यात्रा के दौरान शनिवार शाम को महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुआ। राहुल ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे और राजद नेता तेजस्वी यादव से मुलाकात की। हालांकि पहले से यह मुलाकात तय नहीं थी। इससे साफ संकेत है कि दोनों दल विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ सकते हैं। हालांकि कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है।
लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में आरजेडी राज्य की राजनीति पर मजबूत पकड़ बनाए हुए है। दोनों पक्ष आपसी एकता को बरकरार रखने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौड़ अपने गठबंधन की ताकत का दावा कर रहे हैं तो आरजेडी के एजाज अहमद का मानना है कि नेताओं के बीच बैठकों के लिए दरवाजे खुले रहते हैं। लेकिन दोनों तरफ से अभी भी कूटनीतिक शब्दों का इस्तेमाल हो रहा है।
जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनावों की ओर बढ़ रहा है, शनिवार के घटनाक्रम संकेत दे रहे हैं कि चीजें किस ओर जा रही हैं। राहुल गांधी और लालू प्रसाद यादव की मुलाकात इस गठबंधन के भविष्य को तय करने जा रहे हैं।दोनों पक्ष सावधानी से अपने विकल्पों और एक-दूसरे के लिए उनकी अहमियत पर विचार कर रहे हैं। आने वाले दिन बताएंगे कि क्या यह राह में एक और झटका है या बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में आने वाले बड़े बदलाव का संकेत है। फिलहाल, सभी की निगाहें पटना पर टिकी हैं कि ये दोनों पुराने सहयोगी अपने जटिल होते संबंधों को कैसे आगे बढ़ाते हैं।
पटना पहुंचकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्री @RahulGandhi जी ने आदरणीय श्री @laluprasadrjd जी और श्रीमती @RabriDeviRJD जी से उनके आवास पर भेंट की। श्री Tejashwi Yadav जी एवं सम्पूर्ण राजद परिवार ने स्नेहपूर्वक श्री राहुल गांधी जी से भेंट कर आवास भ्रमण भी कराया!#Bihar pic.twitter.com/kCh1U3RuhM
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) January 18, 2025
बहरहाल, राहुल गांधी ने बहुत सावधानी से उस सेमिनार में जाना स्वीकार किया जो संविधान पर केंद्रित है। राहुल के रुख से लग रहा है कि संविधान और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में आरएसएस की गद्दारी के मुद्दे को बिहार में भी आगे बढ़ाना चाहते हैं। इसलिए न्याय का अधिकार सेमिनार में उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत पर हमला करने में देर नहीं लगाई।
राहुल गांधी ने बिहार में क्या कहा
राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस संविधान को लोगों के दिलो-दिमाग में बैठाना चाहती है। लेकिन इसको आरएसएस, भाजपा से खतरा है। संघ प्रमुख मोहन भागवत कहते हैं कि हिंदुस्तान को आजादी 15 अगस्त 1947 को नहीं मिली है। वे ऐसी बात कहकर संविधान को नकार रहे हैं, क्योंकि उनकी नजरों में 'आजादी और संविधान' का कोई मतलब नहीं है। इसीलिए वह हिंदुस्तान की हर संस्था से आंबेडकर जी, गांधी जी, भगवान बुद्ध जी, फुले जी की सोच को मिटा रहे हैं।
राहुल ने कहा कि पहले नरेंद्र मोदी और बीजेपी के लोग कहते थे कि- अगर हमारी 400 से ज्यादा सीटें आईं, तो हम संविधान बदल देंगे। लेकिन.. जब हम लोगों ने मिलकर नरेंद्र मोदी को संविधान की सच्चाई समझाई, तो उन्होंने संविधान को माथे से लगा लिया।
राहुल ने कहा कि संविधान सिर्फ किताब नहीं है। इस किताब में हजारों साल की सोच है। इसमें हिंदुस्तान की सोच है। इस संविधान में भगवान बुद्ध, नारायण गुरु जी, बसवन्ना जी, फुले जी, गांधी जी, आंबेडकर जी की आवाज है। इतना ही नहीं, इसमें दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों के साथ हुए अन्याय का दुख-दर्द भी है। हमारे संविधान ने इस दर्द को कम करने का काम किया है।
नेता विपक्ष ने कहा- बीजेपी के लोग संविधान को ख़त्म करना चाहते थे, लेकिन हिंदुस्तान की जनता ने कहा कि अगर आप इसकी इज्जत नहीं करेंगे तो हम आपको उठाकर फेंक देंगे।
इसीलिए तो हम यहां आए हैं 🔥🔥🔥 pic.twitter.com/18CnWrKrA5
— Congress (@INCIndia) January 18, 2025
राहुल गांधी ने कहा कि मैं आपको कुछ आंकड़े देना चाहता हूं। आपने रिप्रेजेंटेशन की बात की, आपने कहा कि पॉलिटिकल रिप्रेजेंटेशन होना चाहिए, लेकिन आज के हिंदुस्तान में एमएलए और एमपी के पास कोई पॉवर नहीं है। मैं लोकसभा में बीजेपी के पिछड़े वर्ग, दलित वर्ग, आदिवासी वर्ग के सांसदों से मिलता हूं। वे कहते हैं कि हमारे पास कोई पॉवर नहीं है। यानी पॉवर कहीं और है, रिप्रजेंटेशन कहीं और... इसका मतलब ये नहीं है कि रिप्रेजेंटेशन नहीं मिलना चाहिए, लेकिन मेरा कहना है सिर्फ रिप्रेजेंटेशन से काम नहीं होने वाला है। आप हिंदुस्तान की बड़ी-बड़ी कंपनियों की लिस्ट निकालिए। मीडिया में एंकर्स की लिस्ट निकालिए, मालिकों की लिस्ट निकालिए। इस कंपनियों के मालिक, मैनेजमेंट में आपको एक भी पिछड़ा, दलित, आदिवासी वर्ग के व्यक्ति का नाम नहीं मिलेगा।
नीतीश की जाति जनगणना पर हमला
राहुल ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार की जाति जनगणना पर भी हमला किया। राहुल ने आरोप लगाया कि बिहार में नीतीश कुमार सरकार द्वारा कराया गया जाति सर्वेक्षण लोगों को बेवकूफ बनाने की कवायद है। उन्होंने कहा कि देश भर में जाति जनगणना "यह पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण है कि नौकरशाही और अन्य क्षेत्रों में ओबीसी, दलितों और श्रमिकों की कितनी भागीदारी है। जाति जनगणना का मकसद सिर्फ विभिन्न जातियों की गिनती जानना नहीं है, बल्कि देश की संपत्ति में उनकी भागीदारी भी जानना है... हम बिहार सरकार की तरह जाति सर्वेक्षण नहीं चाहते हैं। बिहार सरकार ने जो किया वह सिर्फ लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए था।''बीपीएससी आंदोलनकारियों से मिले राहुल
राहुल गांधी ने बिहार लोकसेवा आयोग की परीक्षा में धांधली के खिलाफ आंदोलन चला रहे युवकों से भी मुलाकात की। राहुल गांधी ने उनकी मांगों का समर्थन किया। राहुल ने कहा कि सिर्फ बिहार में ही नहीं कई बीजेपी शासित राज्यों में पर्चे लीक होने की घटनाएं हुई। सरकार नौकरियां दे नहीं रही, दूसरी तरफ परीक्षा देने वाले युवकों की उम्मीदें टूट जाती हैं।राहुल गांधी ने बिहार पेपर लीक, जाति जनगणना का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने याद दिलाया कि किस तरह बीजेपी जाति जनगणना की विरोधी है। राहुल गाधी का बिहार दौरा ऐसे समय हुआ है जब कांग्रेस का संगठन बहुत बेहतर स्थिति में नहीं है। राहुल ने पटना में कांग्रेस न्याय योद्धा कार्यकर्ताओं की बैठक को भी संबोधित किया। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि जब तक वो मजबूती से खड़े नहीं होंगे तब तक पार्टी अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सकती।