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दिल्ली चुनाव 2025ः राहुल के बयान पर केजरीवाल की प्रतिक्रिया के क्या मायने हैं

दिल्ली चुनाव 2025ः राहुल के बयान पर केजरीवाल की प्रतिक्रिया के क्या मायने हैं

राहुल गांधी ने सोमवार शाम को दिल्ली में अपनी पहली चुनावी रैली को संबोधित किया। राहुल के भाषण के बाद केजरीवाल की प्रतिक्रिया ने बता दिया कि इस चुनाव में आप परेशान है। क्योंकि केजरीवाल से कोई भी नेता अगर सवाल कर रहा है तो केजरीवाल फौरन उसे गाली बता देते हैं। क्या राहुल की एक ही चुनावी सभा ने दिल्ली चुनाव का माहौल बदल दिया है। वरिष्ठ पत्रकार प्रेम कुमार का आकलनः

राहुल गांधी दिल्ली के सीमापुरी में उन सभी का दिल जीत लिया जो कांग्रेस को अपने दम पर दिल्ली में चुनाव लड़ने को वजन देते हैं। ऐसे लोगों में कांग्रेसी भी हैं और गैर कांग्रेसी भी। राहुल गांधी ने पहली बार अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ मुंह खोला है और अरविन्द केजरीवाल ने भी त्वरित प्रतिक्रिया देकर यह जता और बता दिया है कि कांग्रेस के बदले हुए तेवर से उन्हें नुकसान होने जा रहा है।

राहुल गांधी ने अपने भाषण में आरएसएस और बीजेपी के लिए अगर यह कह दिया कि वे इनके पहले भी विरोधी थे, आज भी हैं और आगे भी रहेंगे, तो यह कोई नई बात नहीं है। लेकिन, राहुल गांधी ने अगर अरविन्द केजरीवाल से कुछ तीखे सवाल पूछ दिए तो यह निश्चित रूप से नई और बड़ी बात है। राहुल गांधी ने पूछा-

  • क्या दिल्ली को अरविन्द केजरीवाल ने पेरिस बना दिया?
  • क्या भ्रष्टाचार को खत्म कर दिया?
  • क्या अरविन्द केजरीवाल जातीय जनगणना कराएंगे?

राहुल गांधी ने मोदी और केजरीवाल को एक जैसा होने का भी संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि अरविन्द केजरीवाल और नरेंद्र मोदी दोनों-

  • - झूठे साबित हुए हैं।
  • - झूठे सपने दिखाते हैं।
  • - उद्योगपतियों के खिलाफ नहीं बोलते।
  • - अडानी का नाम तक नहीं लेते।

अरविन्द केजरीवाल ने राहुल गांधी को ट्वीट के जरिए तुरंत जवाब दिया लेकिन जवाब यह था कि वे ‘जवाब देना नहीं चाहते’। पूरे ट्वीट को देखें तो अरविन्द केजरीवाल ने कहा- “आज राहुल गांधीजी दिल्ली आए। उन्होंने मुझे बहुत गालियां दीं। पर मैं उनके बयानों पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। उनकी लड़ाई कांग्रेस बचाने की है हमारी लड़ाई देश बचाने की।“

नरेंद्र मोदी भी अक्सर अपने लिए गालियां गिनते और गिनाते रहते हैं। अरविन्द केजरीवाल उनसे भी आगे इस मायने में बढ़ गये क्योंकि राहुल गांधी न कभी गालियां देते हैं और न ही सीलमपुर में किसी को गाली दी। फिर भी विक्टिम कार्ड खेलना मोदी-केजरीवाल में समानता को दर्शाता है। इसका मतलब यह है कि राहुल गांधी के बयानों की पुष्टि स्वयं अरविन्द केजरीवाल भी अपने ट्वीट के जरिए कर रहे हैं। 

राहुल गांधी ने दलित, ओबीसी, अल्पसंख्यक सभी वर्ग को हमेशा की तरह अपने भाषण में छूआ। देश में उनकी भागीदारी की बात की। हिन्दुस्तान हर हिन्दुस्तानी का है चाहे व्यक्ति किसी भी जाति या धर्म का हो। संविधान एक बार फिर हाथ में पकड़ते हुए उन्होंने कहा कि संविधान ही हर हिन्दुस्तानी की रक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करता है। कन्याकुमारी से कश्मीर तक 4000 किमी तक की यात्रा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि संविधान बचाने के लिए ही उन्होंने यह यात्रा की थी। इस संविधान पर संघ और बीजेपी के लोग रोज आक्रमण करते हैं। एक तरफ हिंसा और नफ़रत और दूसरी तरफ मोहब्बत की दुकान।

राहुल गांधी ने शीला दीक्षित के शासनकाल की भी याद दिलाई और यह दिल्ली की जनता की भावना के अनुसार है। इसी बहाने उन्होंने राहुल गांधी को उनके ही पुराने बयानों और वायदों की याद दिलाकर हमला बोला। ये अदा एक ऐसे दौर में दिलचस्प कही जा सकती है जब राहुल गांधी पर इंडिया गठबंधन के एक साथी के खिलाफ चुनाव लड़ने का आरोप झेलना पड़ रहा है।

हालांकि अरविन्द केजरीवाल ने जो ट्वीट कर जवाब दिया उसमें एक संदेश भी है। वह संदेश यह है कि राहुल गांधी अगर दिल्ली की सियासत में दिलचस्पी ले रहे हैं तो अरविन्द केजरीवाल देश बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। यह बात अपने आपमें तथ्यात्मक रूप से पुष्ट ना हो लेकिन जवाब देने की सियासत जरूर है।

अरविन्द केजरीवाल की पार्टी आप अगर चुनाव में जीत भी जाती है तब भी वे शायद मुख्यमंत्री के तौर पर अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने के लिए अदालत पर आश्रित होंगे। ऐसी स्थिति से बचने के लिए भी वे देश बचाने वाली सियासत की ओर जा सकते हैं। दिल्ली मे हार के बाद तो यह रास्ता तय है ही। लेकिन, इस रास्ते में अरविन्द केजरीवाल इंडिया गठबंधन के ही दलों को अपने साथ बताना चाहते हैं। इस पर भी गौर करने की जरूरत है।

राहुल गांधी के भाषण के तत्काल बाद से ही दिल्ली की सियासत में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक-दूसरे के खिलाफ दंगल में खड़ी हो चुकी है।

 दिल्ली प्रदेश कांग्रेस जो मेहनत लगातार कर रही थी उस पर अब कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व ने ठप्पा लगा दिया है। इसके बावजूद कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों को संदेश दिया है कि चुनावी दंगल में मर्यादा का ख्याल रखा जाएगा। इसका मतलब साफ है कि ‘एंटी नेशनल’ वाली थीम पर नहीं चलेगी कांग्रेस। इसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि राहुल गांधी की सभा मे अजय माकन नजर नहीं आए। 

कांग्रेस दमखम से चुनाव लड़े तो वह बीजेपी को तीसरे नंबर की पार्टी जरूर बना सकती है। विपक्ष का तेवर नहीं रखने की वजह से कांग्रेस को यह नुकसान होता रहा है। बीजेपी बाय डिफॉल्ट विपक्ष है। वास्तव में बीजेपी दिल्ली में एलजी और केंद्रीय गृहमंत्रालय के अधीन पुलिस होने की वजह से सत्ता में कही जा सकती है। विपक्ष बनने के लिए कांग्रेस के लिए मैदान साफ है। यही वजह है कि बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान होने का अंदेशा लग रहा है। 

कांग्रेस के जाग उठने से सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी को होना तय है। आम आदमी पार्टी को भी नुकसान होगा। उसके दलित, अल्पसंख्यक, जाट समेत अन्य वोट भी कांग्रेस की ओर रुख कर सकते हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी को कोई छोटा नुकसान नहीं होगा। मगर, यह नुकसान कांग्रेस खुद में समेटेगी जो उसका हक है। कांग्रेस का जनाधार उसे वापस होता दिखेगा। तो, यह मान लिया जाना चाहिए कि राहुल गांधी ने एक सभा से दिल्ली की राजनीति बदल दी है।

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