महाराष्ट्रः कहां तो एनसीपी के विलय की बातें, कहां चाचा-भतीजे की दूरी फिर बढ़ी
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने गुरुवार को पुणे में अपने चाचा शरद पवार के बगल में बैठने से किनारा कर लिया। पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान चाचा के बगल में बैठने से बचने के लिए मंच के मेज पर रखी नेमप्लेट अजित ने बदलवा दी। यह सब उस कार्यक्रम में मौजूद लोगों के सामने हुआ। अजित पवार और शरद पवार वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट (वीएसआई) की सालाना आमसभा की बैठक में भाग लेने के लिए शहर में थे, जिसके अध्यक्ष पूर्व मंत्री और अजित पवार गुट के नेता दिलीप वाल्से पाटिल हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी से बेहतर प्रदर्शन किया है। चुनाव नतीजों के बाद दोनों एनसीपी के विलय की बातें की जाने लगीं, हालांकि दोनों दलों के बीच अदालत में मुकदमा अभी भी चल रहा है। लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में पवार खानदान का दबदबा बनाये रखने के लिए दोनों के एकसाथ आने की चर्चा चलती रहती है।
वीएसआई गवर्निंग बॉडी की बैठक के बाद, अजित पवार, शरद पवार और अन्य नेता मंच पर आए। वहां की बैठने की व्यवस्था के अनुसार, डिप्टी सीएम और उनके चाचा को एक दूसरे के बगल में बैठना था। हालाँकि, जब अजित पवार मंच पर गए तो उन्होंने नेमप्लेट बदलवा दी और सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटिल के बगल में बैठ गए। दोनों ने एक दूसरे से बातचीत भी ज्यादा नहीं की। पिछली बार जब उन्होंने मंच साझा किया था, तो उनमें खूब बातें हुई थीं। लेकिन गुरुवार को दोनों पवार ने अपने भाषणों में एक-दूसरे का उल्लेख भर किया।
NCP (SP) Supremo Sharad Pawar & Deputy Chief Minister Ajit Pawar shared same stage during the annual general meeting of Vasantdada Sugar Institute in Pune!!#AjitPawar #SharadPawar #VasantdadaSugarInstitute #Pune #MaharashtraPolitics #SugarIndustry #VSIAGM #PuneNews… pic.twitter.com/3g5tztVcSk
— Pune Mirror (@ThePuneMirror) January 23, 2025
कार्यक्रम के बाद अजित पवार ने इस घटना को तूल नहीं दिया। पत्रकारों के पूछने पर अजित ने कहा- “यह खबर नहीं हो सकती। बाबासाहब पाटिल पहली बार सहकारिता मंत्री बने हैं और पवार साहब से बात करना चाहते थे. इसलिए, मैंने बैठने की व्यवस्था बदलने को कहा था।” उन्होंने यह भी कहा कि उनकी आवाज काफी तेज है और पहली दो लाइनों में बैठे लोग उन्हें सुन सकते हैं।
इस घटना पर भतीजे और विधायक रोहित पवार का कहना है कि अजित पवार और शरद पवार को एक परिवार के रूप में एक साथ आना चाहिए। रोहित पवार को सीनियर पवार के नजदीक माना जाता है। उन्होंने पहले भी दोनों परिवारों को एकसाथ आने की वकालत की थी।
इस महीने की शुरुआत में भी, अजित पवार और शरद पवार ने बारामती में एक कृषि प्रदर्शनी के दौरान मंच साझा किया था, लेकिन एक-दूसरे से बातचीत नहीं की। जहां अजित ने अपने भाषण में अपने चाचा का नाम लिया, वहीं शरद पवार ने अपने भाषण में अपने भतीजे का जिक्र नहीं किया। लेकिन इसी कार्यक्रम में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले और अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार भी थी, दोनों में खूब बातचीत हुई। हालांकि सूत्रों का कहना है कि गुरुवार के कार्यक्रम के बाद चाचा-भतीजे में अलग से बात हुई। लेकिन उस संबंध में अभी तक कोई खास जानकारी बाहर नहीं आई है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, अजित पवार की पार्टी ने 59 सीटों में से 41 पर जीत हासिल की। शऱद पवार की पार्टी को सिर्फ दस सीटों पर जीत हासिल हुई। हालांकि उसने 86 उम्मीदवार उतारे थे। शरद पवार ने एनसीपी स्थापित की थी। लेकिन पिछले साल अजित पवार के 41 विधायकों के साथ चले जाने के बाद पार्टी टूट गई। अजित पवार ने महायुति सरकार का हिस्सा बनने के लिए एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया। उसके बाद चाचा भतीजा में संबंध सामान्य नहीं हो पाये।