राजस्थान की सियासत में इन दिनों जबरदस्त घमासान मचा हुआ है। राज्य बीजेपी में बड़ा चेहरा कौन है, इसे लेकर सोशल मीडिया पर समर्थकों के बीच लड़ाई चल रही है। कांग्रेस में गहलोत बनाम पायलट के घमासान पर चुटकियां लेने वाली बीजेपी के लिए अपने घर में चल रहे इस घमासान से पार पाना मुश्किल साबित हो रहा है। क्योंकि राज्य की दिग्गज नेता वसुंधरा राजे के समर्थकों ने अपनी नेता के पक्ष में जोरदार लॉबीइंग की हुई है।
वसुंधरा बीते कुछ महीनों से राजस्थान बीजेपी में उनके विरोधियों को अहम पद दिए जाने से नाराज़ हैं। इनमें जयपुर के राजघराने की पूर्व राजकुमारी दिया कुमारी और विधायक मदन दिलावर को प्रदेश महामंत्री बनाया जाना उन्हें खासा अखरा है।
वसुंधरा राजे के समर्थकों ने इन दिनों ‘वसुंधरा राजे समर्थक मंच राजस्थान’ का गठन किया है, जिस पर राज्य बीजेपी के दूसरे नेताओं ने एतराज जताया है। राजे के समर्थकों ने सोशल मीडिया पर भी इस बात का प्रचार किया हुआ है कि वह राज्य बीजेपी में सबसे बड़ी नेता हैं।
राजे के अलावा प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल के पक्ष में भी सोशल मीडिया पर उनके समर्थक प्रचार कर रहे हैं और उन्हें 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की मांग की जा रही है।
सतीश पूनिया समर्थक मोर्चा
वसुंधरा राजे समर्थक मंच राजस्थान के जवाब में सतीश पूनिया समर्थक मोर्चा भी राज्य में बन चुका है। हालांकि पूनिया ने ख़ुद को इससे अलग करते हुए कहा था कि यह किसी की शरारत है और वह ऐसे किसी मोर्चे का समर्थन नहीं करते। उन्होंने कहा था कि ऐसा मोर्चा बनाने वालों के बारे में जांच की जा रही है। लेकिन वसुंधरा ने उन्हें लेकर बने मंच के बारे में इस तरह की कोई सफाई नहीं दी।
पूनिया ने कुछ दिन पहले ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाक़ात की थी और वसुंधरा के समर्थन में सोशल मीडिया पर चल रहे इन ग्रुप्स के बारे में उन्हें बताया था।
जब सतीश पूनिया को राजस्थान बीजेपी का नया अध्यक्ष बनाया गया था तो वसुंधरा राजे उनके स्वागत कार्यक्रमों से दूर रही थीं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक की पसंद माने जाने वाले पूनिया को राजे का धुर विरोधी माना जाता है।
बीजेपी के भीतर चल रही इस लड़ाई में कांग्रेस को भी आनंद आने लगा है। राजस्थान की सरकार में मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा है कि राजस्थान में वसुंधरा के बिना बीजेपी शून्य है। अगर बीजेपी वसुंधरा को नज़रअंदाज करती है तो उसकी स्थिति बेहद ख़राब हो जाएगी।
राजस्थान के सियासी घमासान पर देखिए वीडियो-
मीणा के इस बयान पर सतीश पूनिया ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा, ‘कांग्रेस पहले कहती थी कि बीजेपी में मुख्यमंत्री पद के लिए कोई चेहरा नहीं है लेकिन अब वह कह रही है कि कई चेहरे हैं। यह हमारे लिए अच्छी बात है।’ पूनिया कहते हैं कि पार्टी का संसदीय बोर्ड इस बारे में फ़ैसला लेगा कि राज्य में मुख्यमंत्री कौन होगा।
बीते कुछ समय में राजस्थान बीजेपी के पोस्टर्स से वसुंधरा राजे का चेहरा ग़ायब होने को लेकर भी घमासान हो चुका है। पिछले महीने बीजेपी ने अपने बाग़ी नेता घनश्याम तिवाड़ी को फिर से पार्टी में शामिल किया है। तिवाड़ी का राजे से छत्तीस का आंकड़ा था। राजस्थान में छह बार के बीजेपी विधायक प्रताप सिंह सिंघवी कहते हैं कि राज्य में वसुंधरा से ज़्यादा समर्थक किसी के नहीं हैं।
वसुंधरा सब पर भारी!
राजस्थान में बीजेपी कई गुटों में बंटी हुई है। यहां गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल, सतीश पूनिया, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया और उप नेता राजेंद्र राठौड़ के भी अपने-अपने समर्थक हैं। लेकिन इन सब पर भी वसुंधरा राजे भारी पड़ती दिखाई देती हैं।
बीजेपी आलाकमान वसुंधरा को राज्य की राजनीति से हटाने की पूरी कोशिश कर चुका है। वसुंधरा को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया गया लेकिन वह राज्य की राजनीति से बाहर नहीं निकलीं।
बीजेपी हाईकमान वसुंधरा की ताक़त को नज़रअंदाज नहीं कर सकता क्योंकि राजस्थान में अधिकांश विधायक और सांसद वसुंधरा के खेमे के हैं। राजस्थान में बीजेपी के 72 में से 47 विधायक वसुंधरा खेमे के बताये जाते हैं।
2018 के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद मोदी-शाह की जोड़ी ने नेता विपक्ष के पद पर वसुंधरा की दावेदारी को नकारते हुए गुलाब चंद कटारिया को इस पद पर बिठाया था और राजे के विरोधी माने जाने वाले राजेंद्र राठौड़ को उप नेता बनाया था।
लेकिन इस सबके बाद भी राज्य में वसुंधरा राजे की लोकप्रियता में कमी नहीं दिखाई देती। ताज़ा राजनीतिक हालात में 25 जिलों में वसुंधरा राजे समर्थक मंच की टीम का गठन किया जा चुका है। इस मंच के नेताओं का दावा है कि उनके साथ बीजेपी के ज़मीनी कार्यकर्ताओं से लेकर सांसद-विधायकों तक का भी समर्थन है।