राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को कुछ राज्यों में पार्टी के विधायकों के द्वारा क्रॉस वोटिंग किए जाने का डर है। इसके लिए पार्टी अपने विधायकों को होटल और रिजॉर्ट में ले जाकर ‘सुरक्षित’ कर सकती है। राजस्थान और हरियाणा को लेकर कांग्रेस निश्चित रूप से चिंतित है क्योंकि यहां के जो हालात बन रहे हैं, वह कांग्रेस के लिए माकूल नहीं हैं।
राजस्थान में बीजेपी समर्थित उम्मीदवार और मीडिया कारोबारी सुभाष चंद्रा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया है।
इसके बाद से कांग्रेस राज्यसभा की तीसरी सीट जीत पाएगी या नहीं, यह सवाल उठ रहा है।
41 वोटों की जरूरत
200 सीटों वाली राजस्थान की विधानसभा में कांग्रेस के पास 108 विधायक हैं जबकि बीजेपी के पास 71 विधायक हैं। राज्यसभा के 1 उम्मीदवार को जिताने के लिए 41 वोटों की जरूरत है।
विधायकों के आंकड़ों के लिहाज से कांग्रेस राजस्थान में राज्यसभा की 2 सीटें आसानी से जीत सकती है जबकि तीसरी सीट जीतने के लिए उसे 15 और विधायकों की जरूरत होगी। दूसरी ओर बीजेपी एक उम्मीदवार को जिता सकती है और दूसरे उम्मीदवार को जिताने के लिए उसे 11 वोटों की जरूरत होगी।
राजस्थान में 13 निर्दलीय विधायक हैं और 8 विधायक छोटी पार्टियों के हैं। कांग्रेस के पास 12 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है।
छोटी पार्टियों में भारतीय ट्राइबल पार्टी के पास दो, सीपीआईएम के पास दो, आरएलडी के पास एक और आरएलपी के पास 3 विधायक हैं। निश्चित रूप से निर्दलीय और छोटी पार्टियों के विधायकों पर सभी की नजर है क्योंकि वह चुनाव में बड़ा खेल कर सकते हैं।
बाहरियों को टिकट देने पर नाराजगी
राजस्थान कांग्रेस में बाहरियों को टिकट देने पर नाराजगी के सुर उठ चुके हैं। कांग्रेस हाईकमान ने यहां से मुकुल वासनिक रणदीप सिंह सुरजेवाला और प्रमोद तिवारी को उम्मीदवार बनाया है जिनमें से कोई भी राजस्थान का नहीं है।
हरियाणा में भी परेशानी
कुछ ऐसा ही हाल हरियाणा का भी है जहां पर मीडिया कारोबारी कार्तिकेय शर्मा के राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार होने से कांग्रेस के उम्मीदवार अजय माकन की सीट पर खतरा पैदा हो गया है।
कार्तिकेय शर्मा को राज्य में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चला रही जननायक जनता पार्टी ने समर्थन दिया है। जननायक जनता पार्टी के पास 10 विधायक हैं। 90 सीटों वाली हरियाणा की विधानसभा में बीजेपी के पास 40 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के पास 31 विधायक हैं।
31 वोटों की जरूरत
एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 31 वोटों की जरूरत है। बीजेपी अपने एक उम्मीदवार को आसानी से चुनाव जिता सकती है जबकि इसके बाद उसके पास 9 वोट और बचेंगे। जेजेपी के पास क्योंकि 10 विधायक हैं। सात विधायक निर्दलीय हैं और हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा और इनेलो के अभय चौटाला भी विधायक हैं।
इन सभी का समर्थन अगर कार्तिकेय शर्मा जुटा लेते हैं तो उनके पास 28 वोट हो जाएंगे। अगर कांग्रेस कुलदीप बिश्नोई को मनाने में कामयाब नहीं हो पाई और कांग्रेस के दो-तीन विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की तो कार्तिकेय शर्मा की राह आसान हो जाएगी।
बता दें कि कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक कुलदीप बिश्नोई नाराज चल रहे हैं और इस वजह से पार्टी परेशान हैं। बिश्नोई की नाराजगी संगठन में हुए बदलावों में उन्हें अहमियत नहीं दिए जाने को लेकर है।
कौन हैं कार्तिकेय शर्मा?
कार्तिकेय शर्मा हरियाणा के बड़े नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे हैं। विनोद शर्मा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और वह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के दोस्त भी हैं। कार्तिकेय शर्मा के ससुर कुलदीप शर्मा भी कांग्रेस में हैं और वह विधायक भी रहे हैं।
ऐसे में कांग्रेस को हरियाणा के विधायकों को भी किसी सुरक्षित जगह पर रखना होगा।