2024 चुनाव: कांग्रेस ने बनाए पैनल, असंतुष्टों को भी मिली जगह

05:54 pm May 24, 2022 | सत्य ब्यूरो

2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी को देखते हुए कांग्रेस ने कुछ नए पैनल बनाए हैं। एक पैनल में चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के पूर्व सहयोगी सुनील कानुगोलू और कांग्रेस में असंतुष्ट गुट G-23 के दो नेताओं को भी जगह दी गई है। इन नेताओं में गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा शामिल हैं।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को भी इस पैनल में जगह मिली है। इस पैनल को पॉलिटिकल अफेयर्स ग्रुप का नाम दिया गया है। 

कांग्रेस ने द टास्क फोर्स- 2024 का भी गठन किया है। यह टास्क फोर्स 2024 में होने वाले आम चुनाव के लिए पार्टी की रणनीति को बनाएगा। टास्क फोर्स में G-23 के किसी भी नेता को जगह नहीं मिली है।

कुछ दिन पहले राजस्थान के उदयपुर में हुए चिंतन शिविर में कांग्रेस ने इस बात का फैसला किया था कि वह लगातार मिल रही चुनावी हार से उबरने और चुनावी रणनीति पर काम करने के लिए दो पैनल का गठन करेगी।

पॉलिटिकल अफेयर्स ग्रुप के पैनल की कमान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथ में रहेगी और वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, अंबिका सोनी, दिग्विजय सिंह, केसी वेणुगोपाल और जितेंद्र सिंह इसमें बतौर सदस्य काम करेंगे। जबकि टास्क फोर्स में पी. चिदंबरम, प्रियंका गांधी वाड्रा, मुकुल वासनिक, जयराम रमेश, केसी वेणुगोपाल, अजय माकन और रणदीप सुरजेवाला को जगह मिली है।

कांग्रेस ने कहा है कि टास्क फोर्स के हर सदस्य को संगठन, मीडिया, वित्त और चुनाव प्रबंधन सहित तमाम मामलों का काम दिया जाएगा और इन सभी सदस्यों के साथ पार्टी के तेजतर्रार व कुशल कार्यकर्ताओं की एक टीम भी होगी। 

उदयपुर में हुए चिंतन शिविर में यह फैसला भी लिया गया था कि कांग्रेस राहुल गांधी की अगुवाई में भारत जोड़ो यात्रा निकालेगी। भारत जोड़ो यात्रा के लिए भी पार्टी ने एक पैनल बनाया है। इस पैनल में वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह, सचिन पायलट, शशि थरूर, रवनीत सिंह बिट्टू आदि नेता शामिल हैं।

चुनौतियों का पहाड़ 

लगातार चुनावी हार से पस्त कांग्रेस के लिए 2024 का चुनाव बेहद अहम है। लेकिन 2024 का चुनाव लड़ने के लिए उसे 2022 और 2023 के चुनावी राज्यों में बड़ी जीत हासिल करनी होगी वरना वह यूपीए गठबंधन का नेतृत्व भी मजबूती से नहीं कर पाएगी। 

जबकि के. चंद्रशेखर राव और ममता बनर्जी भी यूपीए से हटकर विपक्षी दलों का एक नया सियासी फ्रंट खड़ा करना चाहते हैं। ऐसे में गिने-चुने दो राज्यों में सरकार चला रही कांग्रेस के सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा है और देखना होगा कि 2 साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए वह किस तरह खुद को तैयार कर पाती है।