राज्यसभा में विपक्ष का नेता कौन होगा, कांग्रेस ने इस बारे में अभी तक कोई फैसला नहीं किया है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में उतरने के चलते 29 सितंबर को अपना इस्तीफा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेज दिया था।
कांग्रेस में एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के चलते उन्होंने यह पद छोड़ दिया था। अब 2 महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है लेकिन कांग्रेस इस पद पर कौन सा नेता बैठेगा, इसे लेकर कोई फैसला नहीं कर सकी है।
ऐसे में सवाल यह है कि क्या मल्लिकार्जुन खड़गे दोनों पदों पर बने रहेंगे।
सोनिया ने बुलाई बैठक
उधर, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस संसदीय बोर्ड के रणनीतिक ग्रुप की शनिवार को बैठक बुलाई है। इस बैठक में राज्यसभा सांसदों में से सिर्फ मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश और केसी वेणुगोपाल को बुलाया गया है। जबकि राज्यसभा में विपक्ष के नेता के पद की दौड़ में आगे माने जा रहे मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम को बैठक में नहीं बुलाया गया है। एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है।
राहुल गांधी का बयान
राहुल गांधी ने सितंबर में एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत का समर्थन किया था। राहुल गांधी ने उस दौरान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में उतरने की चर्चाओं के बीच दिया था क्योंकि यह कहा गया था कि अगर अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तो उन्हें राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी होगी। लेकिन इस तरह की खबरें आई थी कि अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं छोड़ना चाहते।
तब राहुल गांधी ने पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा था कि उदयपुर में हुए चिंतन शिविर में कांग्रेस ने जो संकल्प लिए थे, उन्हें उम्मीद है कि पार्टी उन पर कायम रहेगी। चिंतन शिविर में कांग्रेस ने पार्टी में एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत को लागू करने की बात कही थी। जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक ना होने के बाद खड़े हुए सियासी बवाल के बाद गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था और मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे।
कांग्रेस में अधीर रंजन चौधरी और जयराम रमेश दो ऐसे नेता हैं जिनके पास दो पद हैं। अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता हैं और वह पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं जबकि जयराम रमेश राज्यसभा में चीफ व्हिप हैं और पार्टी के कम्युनिकेशन विभाग के मुखिया भी हैं। ऐसे में क्या मल्लिकार्जुन खड़गे भी दोनों पदों पर बने रहेंगे।
बहरहाल, 7 दिसंबर से संसद का शीत सत्र शुरू होने वाला है और ऐसे में कांग्रेस को इसे लेकर जल्द फैसला करना होगा कि क्या वह किसी और सांसद को राज्यसभा में विपक्ष का नेता बनाएगी या फिर मल्लिकार्जुन खड़गे को ही इस पद पर बनाए रखेगी।
ये नाम हैं चर्चा में
राज्यसभा में नेता विपक्ष जैसे अहम पद के लिए कांग्रेस के भीतर पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, राष्ट्रीय महासचिव मुकुल वासनिक, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी के नाम चर्चा में हैं। दिग्विजय सिंह कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए भी तैयार थे और उन्होंने नामांकन फॉर्म भी खरीद लिया था लेकिन मल्लिकार्जुन खड़गे के चुनाव मैदान में उतरने के बाद वह चुनाव मैदान से हट गए थे। दिग्विजय सिंह कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में खड़गे के प्रस्तावक बने थे।
राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसे बड़े पद पर दलित समुदाय से आने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे को बैठाने के बाद यह माना जा रहा है कि राज्यसभा में नेता विपक्ष के पद पर किसी और समुदाय के नेता को प्रतिनिधित्व मिलेगा। ऐसे में मुकुल वासनिक की संभावनाएं कमजोर हो जाती हैं।
क्योंकि दिग्विजय सिंह कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव से हट गए थे और मल्लिकार्जुन खड़गे का समर्थन किया था, ऐसे में हो सकता है कि पार्टी उन पर दांव लगाए। यह इस लिहाज से भी मुफीद रहेगा कि मल्लिकार्जुन खड़गे दक्षिण से आते हैं और राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद उनके पास है, ऐसे में राज्यसभा में नेता विपक्ष के पद पर कांग्रेस उत्तर भारत से आने वाले किसी नेता का चयन कर सकती है। ऐसे दावेदारों में पहला बड़ा नाम दिग्विजय सिंह का है।
लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल से आते हैं, इसलिए भी इस बात की संभावना ज्यादा है कि कांग्रेस इस पद पर हिंदी भाषी राज्यों के किसी राज्यसभा सांसद को नियुक्त करेगी।