आप और कांग्रेस नेताओं के एक-दूसरे दलों पर तीखे हमले के बीच ही दोनों दलों के बीच सोमवार को बैठक हुई। बैठक के बाद दोनों दलों की तरफ़ से जो कहा गया उसका संकेत दिल्ली में सीट बँटवारा संभव होने का मिलता है। दोनों दलों के नेताओं ने कहा कि चर्चा सकारात्मक और फलदायी रही।
तो सवाल है कि यह चर्चा कितनी फलदायी रही? क्या इतनी कि दोनों दल इंडिया गठबंधन के सहयोगी के रूप में दिल्ली, पंजाब और गुजरात में साथ मिलकर चुनाव लड़ सकें? इस सवाल का जवाब पाने से पहले यह जान लें कि बैठक के बाद कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक ने क्या कहा। उन्होंने कहा कि दो-ढाई घंटे तक विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा, 'इसमें अलग-अलग सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना भी शामिल थी। चर्चा जारी रहेगी और हम जल्द ही एक और बैठक करेंगे, जिसके बाद सीट-बंटवारे को अंतिम रूप से तय किया जाएगा।'
हालाँकि, उन्होंने यह साफ़ नहीं किया कि यह सीट बँटवारा किसी खास राज्य में ही होगा या फिर दिल्ली, पंजाब और गुजरात, तीनों में। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि आप के प्रमुख नेताओं के बैठक में शामिल नहीं होने से यह फ़ैसला नहीं लिया जा सका।
आप की ओर से राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) संदीप पाठक और दिल्ली के मंत्री आतिशी और सौरभ भारद्वाज ने बैठक में हिस्सा लिया। आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान गुजरात में चुनाव प्रचार कर रहे हैं और पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा देश में नहीं हैं। ये तीनों पहले इंडिया ब्लॉक की बैठकों का हिस्सा रहे हैं।
बैठक में गठबंधन को कारगर बनाने के लिए मिलकर काम करने का स्पष्ट निर्णय दोहराया गया। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार बैठक में शामिल एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि सीट-बंटवारे की व्यवस्था पर चर्चा नहीं हुई। उन्होंने कहा कि सीटों पर चर्चा का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि आप का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता जो आज बैठक का हिस्सा थे, उनके पास ऐसा करने का जनादेश नहीं है; यह हमें पहले ही बता दिया गया था।
कांग्रेस नेता के अनुसार, चर्चा मुख्य रूप से राजधानी के विभिन्न संसदीय क्षेत्रों के इर्द-गिर्द घूमती रही। उन्होंने कहा, 'हमने (कांग्रेस) चुनाव लड़ने के दृष्टिकोण से एक आम सचिवालय बनाने का सुझाव दिया है। इससे न केवल हम दोनों के बीच, बल्कि हमारे संबंधित कैडरों के बीच सहयोग के संदर्भ में भी सही संदेश जाएगा।'
आप सूत्रों ने अंग्रेजी अख़बार से कहा कि पार्टी ने पूर्वोत्तर दिल्ली पर दावा करने के लिए एक मजबूत केस बनाने की कोशिश की और वह राजधानी की सात संसदीय सीटों में से चार पर चुनाव लड़ने और बाकी कांग्रेस के लिए छोड़ने के पक्ष में थी। बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में वोट प्रतिशत के हिसाब से कांग्रेस को पाँच सीटों पर आप से ज़्यादा वोट मिले थे, जबकि आप को 2 सीटों पर कांग्रेस से ज़्यादा वोट मिले थे। बीजेपी ने सभी सातों सीटें जीतीं।
पंजाब को लेकर कुछ नहीं कहा गया है। लेकिन समझा जाता है कि पंजाब में सीटों का बँटवारा इतना आसान नहीं होगा। आप नेता और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने तो हाल ही में कह दिया था कि सभी सीटों पर आप चुनाव लडे़गी। मान ने कह दिया था कि दिल्ली और पंजाब में कोई माँ अपने बच्चे को सबसे छोटी कहानी 'एक थी कांग्रेस' सुना सकती है। इस पर कांग्रेस के एक नेता संदीप दीक्षित ने कह दिया था कि आने वाले समय में माँएँ अपने बच्चों को कहानी सुनाएँगी कि 'एक पार्टी थी जो तिहाड़ जेल में है'। पवन खेड़ा ने कह दिया था, 'वैसे एक भोजपुरी पिक्चर का नाम है 'एक था जोकर'। आपने तो देखी ही होगी?'
सितंबर 2023 में पंजाब कांग्रेस के नेताओं ने राज्य की 13 लोकसभा सीटों के लिए आप के साथ गठबंधन करने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध किया था। चंडीगढ़ के अलावा पंजाब में कुल 13 संसदीय सीटें हैं। फिलहाल पंजाब से कांग्रेस के छह सांसद हैं।
न्यूज़18 की एक रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2023 में पंजाब में विपक्ष के नेता और वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा था कि गठबंधन का मतलब 'डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करना' होगा। बाजवा ने कहा था, 'और हम कांग्रेस को ख़त्म नहीं करना चाहते।' बाजवा ने कहा था कि राज्य में आप सरकार जल्द ही कांग्रेस द्वारा गिरा दी जाएगी। उन्होंने कहा था, 'अगर हमें पंजाब में लोकसभा चुनाव में 10-11 सीटें मिलती हैं, तो हम आप सरकार को गिरा सकते हैं। आप के कई विधायक हमारे संपर्क में हैं। हमें जब भी मौका मिलेगा, हम उन्हें गिरा देंगे।'
बहरहाल, अब दोनों दलों के बीच बातचीत आगे बढ़ रही है और अब तक सकारात्मक संकेत दिया गया है। अब दूसरी बैठक के दौरान सीट-बँटवारे की व्यवस्था पर चर्चा होने की संभावना है, जो आने वाले दिनों में होने की उम्मीद है। कहा जा रहा है कि वह बैठक 10 या 11 जनवरी को होने की संभावना है।