कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गाँधी और उनके बेटे मौजूदा अध्यक्ष राहुल गाँधी की दिक़्क़तें काफी बढ़ सकती हैं। एकसाथ दो घटनाएँ उनके गले की हड्डी बन गई हैं और ये आने वाले लोकसभा चुनाव में उनके लिए बड़ी परेशानी का सबब भी बन सकता है। अगस्ता वेसटलैंड का घोटाला मनमोहन सिंह की सरकार के समय में सामने आया था। अब उसके प्रमुख आरोपी क्रिश्चन मिशेल को दुबई से देर रात भारत लाया गया है। मिशेल पर आरोप है कि 3,600 करोड़ के रक्षा घोटाले में उन्होंने घूस खाई है।
उधर, सुप्रीम कोर्ट से भी सोनिया राहुल का बड़ा झटका लगा है। अदालत ने 2011-12 के आयकर मामले में दोनों के ख़िलाफ़ केस की जाँच करने का रास्ता साफ़ कर दिया है। यह मामला नैशनल हेरल्ड अख़बार से जुड़ा है। दोनों नेताओं पर आरोप है कि उन्होने यंग इंडिया के शेयर लेने के बाद उसका पूरा ब्योरा आयकर विभाग को नहीं दिया है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में सोनिया-राहुल की अपील ठुकरा दी थी और आयकर विभाग के उनके ख़िलाफ़ केस खोलने को सही ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फ़ैसले को सही बताया। हालाँकि यह कह कर सुप्रीम कोर्ट ने थोड़ी राहत भी दी है कि आयकर विभाग केस की जाँच तो कर सकता है पर उसपर फ़ौरन कोई कार्रवाई नही कर सकता। इसके लिए उसे कोर्ट के आदेश का इंतज़ार करना होगा। मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी।
सोनिया-राहुल का नाम लेने का दबाव?
अगस्ता वेस्टलैंड मामले में नेहरू-गांधी परिवार पर आरोप है कि उसने इस सौदे को प्रभावित करने की कोशिश की। इस बारे में मिशेल ने ये आरोप जुलाई महीने में लगाए थे कि मोदी सरकार के जाँच अोधिकारी उनपर सोनिया-राहुल का नाम लेने का दबाव डाल रहे हैं। मिशेल ने कहा था कि भारत सरकार के कुछ अफ़सर उनसे दुबई में पूछताछ के दौरान मिले थे। इन अफ़सरों ने उनको एक बीस पेज का दस्तावेज़ पढ़ने के लिए दिया और कहा कि वे उसपर दस्तखत कर दें। मिशेल के मुताबिक़ शुरू के तीन-चार पेज पढ़ने के बाद उन्हें लगा कि यह उनका बयान नहीं है और उसमें दी गई जानकारी सही नहीं है। लिहाज़ा उन्होंने दस्तखत करने से इनकार कर दिया।यही आरोप उनकी वकील रोज़मेरी पैट्रीसिया ने भी दोहराए कि सोनिया-राहुल को फँसाने के लिए जाँच अधिकारी मिशेल पर दबाव बना रहे थे। पैट्रीसिया ने मिशेल के भारत प्रत्यर्पण के बाद एक बार फिर यह आरोप लगाया कि भारत के चुनावों के मद्देनज़र मिशेल को फँसाया जा रहा है।