राम मन्दिर पर हंगामे के बीच असदुद्दीन ओवैसी ने सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि हिम्मत है तो मोदी सरकार मन्दिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाकर दिखाए। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर सुनवाई अगले साल जनवरी तक टलने और आरएसएस और बीजेपी के नेताओं की बयानबाज़ी पर वे प्रतिक्रिया दे रहे थे।सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अयोध्या मामले की सुनवाई टल गई है। कोर्ट अब जनवरी के पहले हफ़्ते में मामले की सुनवाई की अगली तारीख़ तय करेगा। लेकिन इस ख़बर के बाद राजनीति गरमा गई। एक-के-बाद-एक बीजेपी से लेकर संघ के नेता तक अयाेध्या में राम मन्दिर बनाने की बात कहने लगे। आरएसएस तो सरकार को राम मन्दिर पर अध्यादेश लाने को कह चुका है। इस बयानबाज़ी में एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी भी कूद गए।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट शुरू से कह रहा है कि यह टाइटल सूट है। अब जब चीफ़ जस्टिस की बेंच ने कह दिया है कि जनवरी में अगली सुनवाई होगी तो किसी तरह का सवाल नहीं होना चाहिए।'
फ़ैसले के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेन्स में उन्होंने कहा कि 'अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला सबको मानना पड़ेगा। कोर्ट के फ़ैसले का विरोध करना ठीक नहीं है। देश किसी की मर्ज़ी से नहीं, बल्कि संविधान से चलता है।' उन्होंने पूछा कि बीजेपी अध्यादेश के नाम पर कब तक अयोध्या मामले पर डराएगी। ओवैसी ने मोदी सरकार को यह कह कर चुनौती दी कि अगर 56 इंच का सीना है तो सरकार अध्यादेश लाकर दिखाए।ओवैसी ने बीजेपी के नेता गिरिराज सिंह पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी को गिरिराज सिंह को अटॉर्नी जनरल बना देना चाहिए और वह सीजेआई के सामने कहेंगे कि हिंदुओं का सब्र टूट रहा है। गिरिराज सिंह ने सोमवार को कोर्ट में सुनवाई से पहले बयान दिया था कि अब हिंदुओं का सब्र टूट रहा है; मुझे भय है कि इसका परिणाम क्या होगा।गिरिराज सिंह ने कहा था, 'देश का दुर्भाग्य है कि हिन्दुओं को प्रताड़ित होना पड़ा। आज़ादी के तुरंत बाद हिन्दू-मुसलिम के नाम पर देश का बँटवारा हुआ। उस समय अगर कांग्रेस ने हिन्दुओं के आस्था का केंद्र प्रभु श्री राम का मंदिर बनवा दिया होता तो आज यह दुर्दशा नहीं होती। जवाहरलाल नेहरू ने वोट की खातिर इसे विवादित बनाकर रखा। अब भी कांग्रेस इसे विवादित बनाए रखना चाहती है।'
कोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि यह मामला अर्जेंट सुनवाई के तहत नहीं सुना जा सकता है। चीफ़ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने अब इस मामले के लिए जनवरी 2019 की तारीख़ तय की है। उस दिन यह भी तय होगा कि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ही मामले की सुनवाई करेगी या इसके लिए किसी नई पीठ का गठन किया जाएगा।