प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फिरोजपुर दौरे को लेकर सुरक्षा में हुई चूक के आरोपों के मामले में पंजाब सरकार ने 2 सदस्यों की एक उच्चस्तरीय कमेटी बना दी है। दूसरी ओर ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में कहा गया है इस बात को सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसा फिर से ना हो।
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने याचिकाकर्ता से कहा है कि वह इस याचिका की एक कॉपी को पंजाब की चरणजीत सिंह चन्नी सरकार के पास भी भेज दें। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कल सुनवाई कर सकता है।
पंजाब सरकार की ओर से बनाई गई उच्चस्तरीय कमेटी 3 दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इस कमेटी में पंजाब और हरियाणा कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस मेहताब गिल और गृह और न्याय मंत्रालय के प्रधान सचिव अनुराग वर्मा शामिल हैं।
इस घटना को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के तमाम नेता आमने-सामने आ गए हैं। पंजाब में 2 महीने के भीतर विधानसभा के चुनाव होने हैं और ऐसे में यह मुद्दा खासा गर्म हो गया है।
उधर, इस मामले में गृह मंत्रालय ने पंजाब पुलिस पर कुछ और आरोप लगाए हैं। गृह मंत्रालय के एक अफसर ने कहा है कि प्रदर्शनकारियों के बारे में खुफिया इनपुट होने के बाद भी पंजाब पुलिस ने ब्लू बुक को फॉलो नहीं किया और प्रधानमंत्री के जाने के लिए कोई आकस्मिक रास्ता तैयार नहीं किया।
स्पेशल प्रोटक्शन ग्रुप यानी एसपीजी की ब्लू बुक में प्रधानमंत्री की सुरक्षा से जुड़ी बातें होती हैं।
एनडीटीवी के मुताबिक गृह मंत्रालय के अफसर ने कहा कि ब्लू बुक के मुताबिक राज्य सरकार की पुलिस को किसी विपरीत हालात के लिए एक आकस्मिक रास्ता तैयार रखना होता है, जैसे हालात पंजाब में बने।
उन्होंने कहा कि खुफिया विभाग के अफसर लगातार पंजाब पुलिस के संपर्क में थे और उन्हें प्रदर्शनकारियों के बारे में अलर्ट भेज रहे थे। अफसर ने कहा कि पंजाब पुलिस के अफसरों ने आश्वस्त किया था कि वीआईपी को पूरी सुरक्षा दी जाएगी।
अफसर ने कहा कि एसपीजी प्रधानमंत्री के आस पास रहती है जबकि सुरक्षा से जुड़े बाकी इंतजाम राज्य सरकार के द्वारा किए जाते हैं और कोई भी अचानक बदलाव होने पर राज्य की पुलिस एसपीजी को इस बारे में बताती है और उसी हिसाब से वीआईपी शख्स के मूवमेंट में बदलाव होता है।