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पंजाब चुनाव: दलित वोट की सियासत, राहुल-प्रियंका भी पहुंचे रविदास मंदिर

पंजाब चुनाव: दलित वोट की सियासत, राहुल-प्रियंका भी पहुंचे रविदास मंदिर

पंजाब में दलित समुदाय की आबादी 32-34 फीसदी है और इसमें बड़ी तादाद उन लोगों की है जो संत रविदास में आस्था रखते हैं। 

पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बीच गुरु रविदास जयंती के मौक़े पर बुधवार को तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं ने रविदास मंदिरों में जाकर मत्था टेका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के करोलबाग में स्थित रविदास मंदिर में पहुंचे। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी बुधवार को तड़के वाराणसी में स्थित गुरु रविदास की जन्म स्थली पर पहुंचे और शीश नवाया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी व महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी संत रविदास के मंदिर पहुंचे। 

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर में मौजूद श्रद्धालुओं के साथ भजन-कीर्तन किया और संत रविदास के नाम का पटका भी पहना। जबकि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने संत रविदास की प्रतिमा के सामने ध्यान लगाया और प्रार्थना की।

दरअसल, इसके पीछे एक बड़ी राजनीतिक वजह भी है। उत्तर प्रदेश के साथ पंजाब में भी संत रविदास को मानने वालों की एक बड़ी आबादी है। पंजाब में दलित समुदाय की आबादी 32-34 फीसदी है और इसमें बड़ी तादाद उन लोगों की है जो संत रविदास में आस्था रखते हैं। उन्हें पंजाब में रविदासिया भी कहा जाता है। 

इसके अलावा उत्तर प्रदेश में भी कुछ जगहों पर संत रविदास के अनुयायियों की एक बड़ी तादाद है।

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पंजाब में कांग्रेस ने रविदासिया समुदाय से आने वाले चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया है और उसकी कोशिश दलित मतों के बड़े हिस्से को अपने पाले में लाने की है। उसे उम्मीद है कि चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने से इस समुदाय के लोग बड़ी संख्या में उसके साथ आएंगे।

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संजय सिंह भी रविदास मंदिर पहुंचे।

मतदान की तारीख़ बदली 

यहां इस बात का भी जिक्र करना होगा कि पंजाब में पहले मतदान 14 फरवरी को होना था लेकिन संत रविदास जयंती के कारण इसे आगे बढ़ाने की मांग तमाम राजनीतिक दलों ने की थी और इसके बाद मतदान की तिथि को बढ़ाकर 20 फरवरी कर दिया गया था। क्योंकि संत रविदास के अनुयायी बड़ी संख्या में इन दिनों पंजाब से वाराणसी मत्था टेकने आते हैं और ऐसे में राजनीतिक दलों को चुनाव में नुकसान होने का डर था। 

इसलिए चुनाव आयोग ने उनकी इस मांग को स्वीकार किया था और मतदान की तिथि में बदलाव कर दिया था।

पंजाब में इस बार जोरदार चुनावी मुकाबला है और कांग्रेस को आम आदमी पार्टी और बाकी दलों से कड़ी चुनौती मिल रही है। 

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