टीएमसी जब तमाम तरह की समस्याओं का सामना कर रही है, उसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पवन वर्मा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे की सूचना ट्वीट के जरिए टीएमसी चीफ ममता बनर्जी को दी है।
पवन वर्मा का टीएमसी से बाहर निकलना पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि उन्होंने न केवल पार्टी की वॉर रूम रणनीति का नेतृत्व किया, बल्कि राष्ट्रीय मुद्दों पर पार्टी की स्थिति को भी मजबूती से आगे बढ़ाया।
पवन वर्मा ने ट्विटर पर ममता और पार्टी के लोगों को पार्टी में प्यार और प्रभावित होने के लिए धन्यवाद दिया और साथ ही संपर्क में रहने की उम्मीद की।
पवन वर्मा का पार्टी से जाना ऐसे समय में आया है जब तृणमूल कांग्रेस कई चुनौतियों से घिरी हुई है। भ्रष्टाचार और धन के गबन को लेकर पार्टी के शीर्ष नेताओं और ममता के कुछ करीबी सहयोगियों को सीबीआई और ईडी सहित जांच एजेंसियों द्वारा जांच का सामना करना पड़ रहा है।
ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी को ईडी जांच का सामना करना पड़ रहा है, जबकि पार्टी के नंबर 2 पार्थ चटर्जी करोड़ों के स्कूल नौकरियों के घोटाले में ईडी की हिरासत में हैं। एक और टीएमसी दिग्गज और कट्टर ममता समर्थक अनुब्रत मंडल को एजेंसियों ने गौ तस्करी में कथित भूमिका के लिए पकड़ा है।
क्या जेडीयू में जाएंगे नीतीश कुमार के साथ अपने मतभेदों को लेकर जेडीयू छोड़ने के बाद पवन वर्मा ममता के नेतृत्व वाली टीएमसी में शामिल हो गए थे। पवन वर्मा सेकुलर छवि के हैं और धर्मनिरपेक्षता के मुद्दों पर कभी अपनी लाइन नहीं बदलते हैं। जेडीयू ने जैसे ही बीजेपी के प्रति गर्मजोशी दिखाई और भगवा पार्टी के अभियान के आगे झुक गए तो पवन वर्मा नीतीश से नाराज हुए और जेडीयू छोड़कर चले गए। अब नीतीश जबकि बीजेपी का साथ छोड़कर तमाम धर्मनिरपेक्ष ताकतों के साथ खड़े हो गए हैं तो पवन वर्मा मुख्यधारा की राजनीति की तरफ लौट रहे हैं।
इधर ममता बनर्जी पार्टी की समस्याओं और भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरने के बाद पीएम मोदी से मिली हैं और उनका स्टैंड भी बदल रहा है तो ऐसे समय में पवन वर्मा ने उन्हें भी नमस्ते कर दिया। समझा जाता है कि पवन वर्मा जेडीयू में या फिर किसी प्रमुख पार्टी में जा सकते हैं। पवन वर्मा अपनी प्रतिबद्धता के चलते उसी पार्टी में रहते हैं जो बीजेपी की धर्मनिरपेक्षता विरोधी नीतियों का विरोध कर सके।