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तिरुपति लड्डू विवाद के बीच अब सनातन धर्म रक्षा बोर्ड बनाने की मांग क्यों?

तिरुपति लड्डू विवाद के बीच अब सनातन धर्म रक्षा बोर्ड बनाने की मांग क्यों?

आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में प्रसाद के रूप में भक्तों को दिए जाने वाले लड्डू पर आख़िर विवाद क्या है और यह लगातार क्यों बढ़ता जा रहा है?

क्या सनातन धर्म इतना ख़तरे में है कि अब रक्षा करने की नौबत आन पड़ी है? आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में लड्डू पर बढ़े विवाद के बीच अब सनातन धर्म रक्षा बोर्ड बनाने की मांग उठी है। यह मांग किसी और ने नहीं, बल्कि आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने की है। 

जन सेना पार्टी के प्रमुख ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "अब समय आ गया है कि पूरे भारत में मंदिरों से जुड़े सभी मुद्दों पर विचार करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अविलंब ‘सनातन धर्म रक्षा बोर्ड’ का गठन किया जाए। सभी नीति निर्माताओं, धार्मिक प्रमुखों, न्यायपालिका, आम नागरिकों, मीडिया और अपने-अपने क्षेत्रों के अन्य सभी दिग्गजों द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर एक सार्थक बहस होनी चाहिए। मेरा मानना है कि हम सभी को किसी भी रूप में ‘सनातन धर्म’ के अपमान को रोकने के लिए अविलंब एक साथ आना चाहिए।"

उन्होंने कहा, 'पिछली सरकार के कार्यकाल दौरान, तिरुपति बालाजी प्रसाद में पशु मेद (मछली का तेल, सूअर की चर्बी और बीफ़ वसा) मिलाए जाने की बात के संज्ञान में आने से हम सभी अत्यंत विक्षुब्ध हैं। तत्कालीन वाईसीपी सरकार द्वारा गठित टीटीडी बोर्ड को कई सवालों के जवाब देने होंगे! इस सन्दर्भ में हमारी सरकार हरसंभव सख्त कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन, यह समूचा प्रकरण मंदिरों के अपमान, भूमि संबंधी मुद्दों और अन्य धार्मिक प्रथाओं से जुड़े कई मुद्दों पर चिंतनीय प्रकाश डालता है।'

यह विवाद तब सामने आया है जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने गुरुवार को आरोप लगाया कि पिछली वाई एस जगन मोहन रेड्डी सरकार ने तिरुमाला में लड्डू प्रसादम तैयार करने के लिए घी की जगह पशु की वसा का इस्तेमाल किया था। कथित तौर पर इसकी पुष्टि एक निजी लैब की रिपोर्ट में हुई है। 

गुजरात में केंद्र द्वारा संचालित राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र या सीएएलएफ़ की प्रयोगशाला की 17 जुलाई की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। इस रिपोर्ट को हाल ही में जारी किया गया है। इसमें कहा गया कि वाईएसआरसीपी के सत्ता में रहने के दौरान प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए घी में पशु वसा पाई गई।

लैब रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि घी में मछली के तेल, गोमांस की चर्बी और एक अन्य चर्बी के अंश मिले हैं। आख़िर वाली जो चर्बी है वह सूअर के वसायुक्त ऊतक को पिघलाने से बनता है।

नायडू के बेटे और आंध्र प्रदेश के आईटी मंत्री नारा लोकेश ने भी इसको लेकर बड़ा हमला किया है। उन्होंने कहा है, 'तिरुमाला में भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर हमारा सबसे पवित्र मंदिर है। मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि वाईएस जगन मोहन रेड्डी प्रशासन ने तिरुपति प्रसादम में घी की जगह जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया।'

मुख्यमंत्री ने एक दिन पहले अमरावती में विधायक दल की बैठक में कहा था, 'यहां तक ​​कि तिरुपति के लड्डू भी घटिया सामग्री से बनाए गए थे... उन्होंने घी की जगह पशु वसा का इस्तेमाल किया।' उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि अब घी सहित उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग किया जा रहा है, और यह कि प्रतिष्ठित मंदिर में सभी खाद्य प्रसाद अब बेहतर गुणवत्ता के हैं।

भाजपा विधायक टी राजा सिंह ने कहा, 'यह बात सामने आई है कि आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसीपी के शासन में पवित्र तिरुपति लड्डू प्रसादम में गोमांस की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह हमारी समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत पर सीधा हमला है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।'

वाईएसआरसीपी ने नायडू के आरोप को दुर्भावनापूर्ण करार दिया और कहा कि टीडीपी सुप्रीमो राजनीतिक लाभ के लिए किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं।

वाईएसआरसीपी नेता और राज्यसभा सदस्य सुब्बा रेड्डी ने आरोप लगाया कि नायडू ने अपनी टिप्पणियों से पवित्र तिरुमाला की पवित्रता और करोड़ों हिंदुओं की आस्था को गंभीर रूप से नुक़सान पहुंचाया है। सुब्बा रेड्डी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'तिरुमाला प्रसादम के बारे में उनकी टिप्पणी बेहद दुर्भावनापूर्ण है। कोई भी व्यक्ति ऐसे शब्द नहीं बोलेगा या ऐसे आरोप नहीं लगाएगा।' 

आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष वाई एस शर्मिला ने यह पता लगाने के लिए सीबीआई जांच की मांग की कि क्या मिठाई बनाने के लिए वास्तव में पशु के वसा का इस्तेमाल किया गया था। शर्मिला ने कहा कि नायडू के आरोपों से करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है, जो भगवान वेंकटेश्वर को पूज्य देवता मानते हैं। शर्मिला ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, 'तुरंत एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करें या सीबीआई से जांच कराएं कि क्या घी के बजाय पशु के वसा का इस्तेमाल किया गया था।' 

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