उत्तराखंड में योग गुरु रामदेव की कंपनी पतंजलि के पांच दवाइयों पर लगाया गया बैन चंद दिनों में ही वापस ले लिया गया। उत्तराखंड आयुर्वेद और यूनानी सेवा अथॉरिटी ने शनिवार को यह कहते हुए आदेश वापस ले लिया कि प्रतिबंध की घोषणा गलती से की गई थी।
द हिन्दू अखबार की रिपोर्ट में रविवार को यह जानकारी दी गई है। पतंजलि ने प्रतिबंध हटाने के लिए सरकार की तारीफ की और कहा कि विभाग में कुछ "अज्ञानी, असंवेदनशील और कम योग्य अधिकारी" आयुर्वेद की पूरी परंपरा को कलंकित कर रहे हैं।
द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक पतंजलि के बैनर तले काम करने वाली दिव्य फार्मेसी को 12 नवंबर को लिखे एक पत्र में, उत्तराखंड आयुर्वेदिक और यूनानी सेवाओं के लाइसेंस अधिकारी डॉ. जी.सी.एस जंगपांगी ने कहा कि विभाग दिव्य मधुग्रित, दिव्य आईग्रिट गोल्ड नामक पांच दवाओं के उत्पादन पर प्रतिबंध लगाने के अपने पिछले आदेश में संशोधन कर रहा है। आदेश में दिव्य थायरोग्रिट, दिव्य बीपीग्रिट और दिव्य लिपिडोम का उत्पादन जारी रखने की अनुमति दी गई है।
जब यह बैन लगा था, डॉ. जंगपांगी ने द हिंदू को बताया था कि पतंजलि को दवाओं का उत्पादन तुरंत बंद करने के लिए कहा गया है। उन्होंने द हिन्दू से कहा था- हमने एक टीम का गठन किया है जो दिव्य फार्मेसी के अधिकारियों द्वारा सैंपल हमें सौंपे जाने के बाद इन दवाओं की फॉर्मूलेशन शीट की समीक्षा करेगी। उन्हें एक नई फॉर्मूलेशन शीट जमा करने और एक सप्ताह के भीतर लेबल के दावे को संशोधित करने के लिए भी कहा गया है।
बहरहाल, प्रतिबंध हटाने की तारीफ करते हुए पतंजलि के प्रतिनिधियों ने शनिवार को कहा कि उत्तराखंड सरकार ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है। पतंजलि की ओर से कहा गया कि 30 वर्षों के निरंतर प्रयास और अनुसंधान के माध्यम से, पतंजलि संस्थानों ने, दुनिया में पहली बार, अनुसंधान और साक्ष्य-आधारित दवा के रूप में आयुर्वेदिक दवाओं की स्वीकृति पाई है।
पतंजलि के एक बयान में कहा गया है कि हमारे प्रधानमंत्री गुलामी के सभी संकेतों को मिटाकर हमारे देश को अपनी प्राचीन विरासत पर गर्व करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। कुछ अयोग्य अधिकारियों ने आयुर्वेद की परंपरा और प्रामाणिक शोध पर सवालिया निशान लगा दिया था, ताकि इसे पूरी तरह से धूमिल किया जा सके। पतंजलि को बदनाम करने का निंदनीय कृत्य जानबूझकर किया गया।
बता दें कि रामदेव टीवी पर पहले योग सिखाते थे। उनका योग मशहूर हुआ तो उन्होंने पतंजलि खड़ी कर दी। बाद में पतंजलि पाउडर, क्रीम से लेकर जीन्स तक बनाने लगी। रामदेव ने कोविड की दवा बनाने का दावा पेश कर दिया। रामदेव की कंपनी ने कोविड ठीक कर देने वाला काढ़ा बनाने का दावा किया। पतंजलि की शहद और देसी घी को लेकर सवाल उठे। रामदेव की कंपनियों के कई और उत्पाद भी इन दिनों काफी चर्चा में हैं। कुछ उत्पादों के खिलाफ शिकायतें हुई हैं। हाल ही में खबर आई थी कि पतंजलि काफी वित्तीय संकट से भी जूझ रही है लेकिन रामदेव ने इसका खंडन किया था और कहा था कि पतंजलि देश की नं. 1 एफएमसीजी कंपनी बनेगी।
रामदेव के खिलाफ एफआईआर
जून 2021 में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पुलिस ने योग गुरु रामदेव के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई। कोरोना इलाज में इस्तेमाल किए जाने वाली दवाओं के ख़िलाफ़ झूठी जानकारी फैलाने का आरोप रामदेव पर लगाया गया है। रायपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय यादव ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की छत्तीसगढ़ शाखा ने रामकृष्ण यादव उर्फ रामदेव के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई है। रामदेव के ख़िलाफ़ धारा 188 (सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू क़ानून के उल्लंघन), धारा 269 (जीवन के लिए ख़तरनाक रोगों को फैलाने में असावधानी), धारा 504 (जानबूझ कर शांति भंग करने और किसी का अपमान करने) और डिजास्टर मैनेंजमेंट एक्ट 205 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
शिकायत में कहा गया है कि रामदेव एक साल से भी अधिक समय से डॉक्टरों, भारत, सरकार, इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च और कोरोना के इलाज में लगे अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मियों के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म पर ग़लत जानकारी फैला रहे हैं और उनके धमकाने वाले बयान पोस्ट कर रहे हैं। यह भी कहा गया है कि सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो हैं, जिनमें रामदेव कथित तौर पर गुमराह करने वाले बयान दे रहे हैं।
शिकायत में यह भी कहा गया है कि एलौपैथी और दूसरी आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं के ख़िलाफ रामदेव के बयानों से 90 प्रतिशत से ज़्यादा कोरोना मरीजों की जान खतरे में पड़ सकती है।
रामदेव एलोपैथी के खिलाफ कुछ न बोलेंः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने 23 अगस्त 2022 को योग गुरु रामदेव को एलोपैथिक डॉक्टरों और आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने से मना किया। सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस एन.वी. रमना की बेंच ने एक आदेश में रामदेव से कहा कि उन्हें डॉक्टरों और उस सिस्टम के खिलाफ कुछ भी अपशब्द कहने का अधिकार नहीं है। यह बेहतर होगा कि वह अन्य मेडिकल प्रणालियों की आलोचना करने से दूर रहें।
सुप्रीम कोर्ट ने उस समय कहा था - हम उनका (रामदेव) सम्मान करते हैं। उन्होंने योग को लोकप्रिय बनाया है। लेकिन वो अन्य मेडिकल सिस्टम की आलोचना नहीं कर सकते। ... इसकी क्या गारंटी है कि उनकी (रामदेव) चिकित्सा प्रणाली बेहतर है और काम करेगी?