बिहार के कद्दावर नेता पप्पू यादव पिछले 20 मार्च को कांग्रेस में इस उम्मीद से शामिल हो गए थे कि उन्हें कांग्रेस के टिकट पर पूर्णिया से लड़ने का मौका मिलेगा लेकिन राजद ने इस सीट पर बीमा भारती को उतार कर कांग्रेस और पप्पू यादव की परेशानी को बढ़ा दिया है।
राजद ने बिना कांग्रेस की सहमति लिए इस सीट पर अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। राजद की इस घोषणा से अब बड़ा सवाल यह उठने लगा है कि क्या पप्पू यादव किसी अन्य सीट से चुनाव लड़ेगे?
यह सवाल गुरुवार को जब मीडिया ने पप्पू यादव से पूछा तो उन्होंने कहा कि दुनिया छोड़ दूंगा लेकिन पूर्णिया सीट नहीं छोड़ूंगा। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि किसी भी हाल में वह पूर्णिया सीट नहीं छोड़ेंगे।
उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष से वह पूर्णिया के हर वर्ग के लोगों का आशीर्वाद ले रहे हैं। सभी का आशीर्वाद उनके साथ है। पूर्णिया मेरी मां है और मुझे मेरी मां से अलग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मैंने अपने परिवार को भी कह दिया है कि पूर्णिया ही मेरे लिए सब कुछ है।
पप्पू यादव ने कहा है कि पिछले दिनों राजद सुप्रीमो लालू यादव से उनकी मुलाकात हुई थी। उस मुलाकत में लालू यादव ने उन्हें मधेपुरा सीट से चुनाव लड़ने और पार्टी का विलय राजद में करने को कहा था जिसपर मैंने इंकार कर दिया था।
अब कांग्रेस को तय करना है। माना जा रहा है कि पप्पू यादव ने पूर्णिया सीट को लेकर चल रहे विवाद के बीच गेंद अब कांग्रेस आलाकमान के पाले में कर दी है। पप्पू यादव जिस मजबूती से पूर्णिया सीट के लिए अड़े हुए हैं और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी जो संकेत दिए हैं उससे लग रहा है कि इस सीट के कारण कांग्रेस और राजद के रिश्तों तल्खियां आ सकती हैं।
कांग्रेस को पप्पू यादव से बिहार में काफी उम्मीद है, उम्मीद इस बात को लेकर है कि उनके आने से बिहार के सीमांचल और कोसी इलाके में कांग्रेस को मजबूती मिलेगी। लेकिन जिस सीट पर पप्पू यादव चुनाव लड़ना चाहते हैं उसी पर राजद ने अपना उम्मीदवार खड़ा कर के पप्पू यादव और कांग्रेस को मुश्किलों में डाल दिया है।
पप्पू यादव के इस बयान से साफ है कि अगले कुछ दिनों में पूर्णिया सीट को लेकर कांग्रेस और राजद के बीच कोई समझौता नहीं होता है तब इस सीट पर दोनों दलों के बीच दोस्ताना मुकाबला देखने को मिल सकता है। अगर ऐसा हुआ तो इसका सीधा फायदा भाजपा को होगा।