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पाक अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा है, वहां के हिंदू और मुसलमान भी हमारे हैंः अमित शाह 

पाक अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा है, वहां के हिंदू और मुसलमान भी हमारे हैंः अमित शाह 

गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा है कि पाक अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा है। वहां रहने वाले सभी लोग भारतीय हैं। इसमें हिंदू-मुसलमान का सवाल ही पैदा नहीं होता है। वहां जो मुसलमान हैं, वो भी हमारे हैं, और जो हिंदू हैं, वो भी हमारे हैं। 

गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को एक बार फिर कहा है कि पाक अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा है। वहां रहने वाले सभी लोग भारतीय हैं। इसमें हिंदू-मुसलमान का सवाल ही पैदा नहीं होता है। वहां जो मुसलमान हैं, वो भी हमारे हैं, और जो हिंदू हैं, वो भी हमारे हैं। उन्होंने कहा कि यह बात मैंने संसद में भी बोली है।

 ये बातें उन्होंने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में दिए गए एक साक्षात्कार में कही है। इसमें गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि सीएए में एनआरसी का कोई जिंस या वायरस मौजूद नहीं है। इसमें नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है, इसमें नागरिकता देने का प्रावधान है। 

इस देश के अल्पसंख्यकों को विपक्ष भड़का रहा है। मैं मुस्लिम भाई-बहनों से विनती करता हूं कि इनकी बात मत मानिएगा। ये फिर से आपसे  राजनीति कर रहे हैं। सीएए से किसी  भी व्यक्ति की नागरिकता जा नहीं सकती, जो शरणार्थी आएं हैं उन्हें इससे नागरिकता मिल सकती है। इस पर बहुत भ्रम है। मैं कहता हूं कानून को डाउनलोड करें, यह सभी भाषाओं में उपलब्ध है, आप भी पढ़ पाएंगे और इसे समझिए। 

जाति जनगणना और गैर ओबीसी वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को अहम पद दिए जाने के सवाल पर अमित शाह ने कहा कि राहुल गांधी को कुछ एनजीओ कुछ पकड़ा देते हैं, और वे बोलते रहते हैं। उन्होंने कहा कि देश का प्रधानमंत्री OBC हैं, लेकिन राहुल गांधी को दिखाई नहीं पड़ता। 

देश की कैबिनेट में 27 OBC मंत्री हैं, लेकिन उन्हें दिखाई नहीं पड़ता। राहुल गांधी को मालूम ही नहीं है कि वो क्या बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी भी ओबीसी प्रधानमंत्री बनाया क्या, कभी 27 मंत्री रखे क्या, इसके आंकड़े राहुल गांधी दें। 

अमित शाह ने कहा कि पश्चिम बंगाल में हम 25 से ज्यादा सीटें जीतेंगे और ये हो कर रहेगा। संदेशखाली को लेकर कहा कि जब कैंसर की गांठ बड़ी हो जाती है तब दिखती है।  वहां पूरी व्यवस्था खोखली हो गई है। 

उन्होंने कहा कि जब स्टेट तुष्टिकरण के आधार पर चले, स्टेट जब वोट बैंक की राजनीति के आधार पर चले तब न लॉ एंड आर्डर ठीक हो सकता है, न समुचित विकास हो सकता है और न स्टेट का भविष्य उज्जवल हो सकता है। वहां पर स्टेट स्पांसर घुसपैठ हो रही है वोट बैंक बढ़ाने के लिए। 

लाखों-करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार हो रहे हैं। किसी मंत्री के घर से 51 करोड़ रुपये मिलने के बाद राज्य की मुख्यमंत्री ईडी पर सवाल उठाती है अपने मंत्री पर सवाल नहीं उठाती। 

कालाधन समाप्त करने के लिए लाया गया था इलेक्टोरल बॉन्ड 

इलेक्टोरल बॉन्ड को भारतीय राजनीति से कालाधन समाप्त करने के लिए लाया गया था। कोई मुझे समझा दे कि इलेक्टोरल बॉन्ड के आने से पहले किस तरह से चंदा आता था। कैश में जो चंदा आता था उसमें आज तक किसी का नाम जाहिर हुआ है क्या। परंतु एक धारणा बनाई जा रही है कि इलेक्टोरल बॉन्ड से भाजपा को बड़ा फायदा हुआ है। 

अमित शाह ने कहा कि, भारतीय जनता पार्टी को करीब 6 हजार के बॉन्ड मिले हैं। कुल बॉन्ड करीब 20 हजार करोड़ के हैं, तो 14 हजार करोड़ के बॉन्ड कहां गए। टीएमसी को 1600 करोड़ के मिले, कांग्रेस को 1400 करोड़, बीआरएस को 1200  बीजेडी को 775 करोड़ के मिले और डीएमके को 639 करोड़ के मिले। 

अब अगर 303 सांसद, 11 करोड़ सदस्यों वाली पार्टी को 6 हजार करोड़ के बॉन्ड मिले और 242 सांसद जिन पार्टियों के हैं उन्हें 14 हजार करोड़ के बॉन्ड मिले। उन्होंने कहा कि बॉन्ड का धन कालाधन नहीं है। गोपनीयता इसलिए रखी गई थी कि दानकर्ता को कोई परेशान नहीं करे।

अमित शाह ने कहा कि हमारे पास 10 वर्ष का ट्रैक रिकॉर्ड है और अगले 25 वर्ष का एजेंडा है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में 300 पार कर जायेंगे और एनडीए 400 से ज्यादा सीटें जीतेगा।  बहुत सारी पार्टियों को तोड़ने के सवाल पर अमित शाह ने कहा कि हमने किसी पार्टी को नहीं तोड़ा है। 

बहुत सारी पार्टी पुत्र-पुत्री के मोह में टूट गई है। उद्धव जी चाहते थे कि उनके बेटे सीएम बने, क्योंकि उनके कुनबे में कोई भी आदित्य ठाकरे को नेता स्वीकार नहीं कर रहा था। पवार जी भी अपनी बेटी को नेता बनाना चाहते थे, लेकिन बहुत सारे लोग इससे सहमत नहीं थे, इसलिए वो निकले। पुत्र-पुत्री मोह ने एनसीपी और शिवसेना को तोड़ा है।

उन्होंने कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन के पीछे नरेन्द्र मोदी जी और भाजपा का विचार ये है कि इस देश में बार-बार चुनाव होते रहते हैं और जनता चुनावों में बिजी रही है और इससे रिपिटेड खर्च होता है। साथ ही कोड ऑफ कंडक्ट के कारण विकास के बहुत सारे कार्य रूक जाते हैं। वन नेशन, वन इलेक्शन इसी के लिए एक सॉल्यूशन है।

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