शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी गुरुवार को गोवा पहुंचे। पिछली ऐसी यात्रा दिसंबर 2016 में हुई थी, जब पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री सरताज अजीज ने हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में भाग लेने के लिए अमृतसर की यात्रा की थी। उनसे पहले 2014 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने भारत आए थे। इससे पहले विदेश मंत्री के स्तर पर पाकिस्तान का एक प्रतिनिधिमंडल 2011 में भारत आया था, उस समय पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी थीं।
पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी एससीओ की बैठक के लिए गुरुवार को जब गोवा पहुंचे तो उनका स्वागत भारतीय राजनयिक जेपी सिंह (संयुक्त सचिव, पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान डेस्क) ने किया। बता दें कि जून 2001 में शंघाई में स्थापित एससीओ के आठ पूर्ण सदस्य हैं, जिनमें इसके छह संस्थापक सदस्य, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। भारत और पाकिस्तान 2017 में पूर्ण सदस्य के रूप में इसमें शामिल हुए।
भुट्टो जरदारी की यह यात्रा भारत और पाकिस्तान के बीच कई मुद्दों पर जारी तनाव के बीच हुई है। दोनों देशों के बीच जो तनाव के मुद्दे हैं उसमें पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को कथित समर्थन जारी रखना भी शामिल है।
एक सवाल जो बार बार सामने आ रहा है, वह यह कि क्या एससीओ की बैठक से इतर भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की बैठक होगी? पीटीआई की रिपोर्ट में एससीओ काउंसिल ऑफ फॉरेन मिनिस्टर्स कॉन्क्लेव से जुड़े लोगों के हवाले से कहा गया है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर और भुट्टो जरदारी के बीच द्विपक्षीय बैठक की कोई योजना नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तानी पक्ष से इसके लिए कोई अनुरोध नहीं किया गया था।
भारत रवाना होने से पहले भुट्टो ने एक वीडियो बयान जारी किया था जिसमें उन्होंने कहा था, 'भारत के गोवा के रास्ते में हूँ। शंघाई सहयोग संगठन में पाकिस्तान प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करूँगा। इस बैठक में शामिल होने का मेरा फ़ैसला एससीओ चार्टर के प्रति पाकिस्तान की मज़बूत प्रतिबद्धता को दिखाता है।'
उन्होंने आगे कहा, 'मेरी यात्रा के दौरान, जो विशेष रूप से एससीओ पर केंद्रित है, मैं मित्र देशों के अपने समकक्षों के साथ रचनात्मक चर्चा के लिए तत्पर हूं।'
बता दें कि ये वही बिलावल भुट्टो हैं जिन्होंने भारत के प्रधानमंत्री मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। बिलावल भुट्टो ने ओसामा बिन लादेन का ज़िक्र करते हुए गुजरात दंगों से जोड़ते हुए प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ निजी टिप्पणी की थी। तब भारत ने उस पर कड़ा ऐतराज जताया था और इसने बिलावल के बयान को 'पाकिस्तान के लिए भी एक नया निचला स्तर' बताया था।
बिलावल की वह टिप्पणी तब आई थी जब भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में आतंकवाद को समर्थन देने को लेकर पाकिस्तान पर तीखा हमला किया था। उन्होंने कहा था कि ‘आतंकवाद का सामयिक केंद्र’ अब भी बेहद सक्रिय है। हालाँकि जयशंकर ने किसी देश का नाम नहीं लिया था, लेकिन उनका इशारा स्पष्ट तौर पर पाकिस्तान की ओर था।