पश्चिम बंगाल के सियासी रण में एक तरफ़ ममता बनर्जी हैं तो दूसरी ओर नरेंद्र मोदी और अमित शाह। पिछले तीन सालों से चल रही इस सियासी अदावत ने अब गंभीर रूप ले लिया है। इससे विपक्ष की एकता को भी बल मिला है और विपक्ष ने इसे मौक़ा मिलने पर ज़ाहिर भी किया है। पहले इस सियासी अदावत को समझने की कोशिश करते हैं।
लोकसभा चुनाव से दो साल पहले ही बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में ज़मीन पर काम करना शुरू कर दिया था। बीजेपी को अपना आधार बनाने के लिए तृणमूल से लड़ाई लड़नी थी। लेकिन ममता बनर्जी राज्य में बीजेपी को सियासी घुसपैठ करने के लिए ज़मीन नहीं दे रही थीं। ऐसे में यह लड़ाई बढ़ती गई और कुछ समय पहले जब पश्चिम बंगाल सरकार ने शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हेलिकॉप्टर बंगाल में उतरने पर रोक लगा दी थी, तो उसके बाद यह और तेज़ हो गयी थी।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, बीजेपी को इस बार उत्तर प्रदेश में एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन के कारण ख़ासा नुक़सान हो सकता है। बीजेपी की कोशिश है कि वह इसकी भरपाई बंगाल से कर ले।
जानकारों का कहना है कि बीजेपी राज्य में धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण की कोशिशों में जुटी हुई है। इसलिए चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने एक चुनावी रैली में कहा, ‘बंगाल में लोगों को जय श्री राम कहने पर गिरफ़्तार कर लिया जाता है। तो मैंने सोचा कि मैं ख़ुद ही दीदी को जय श्री राम बोल दूँ।’ अमित शाह ने भी एक रैली में कहा था कि अगर कोई जय श्री राम का उद्घोष करता है तो ममता दी नाराज हो जाती हैं। शाह ने कहा था, ‘मैं जय श्रीराम के नारे लगा रहा हूँ और ममता बनर्जी में हिम्मत है तो मुझे गिरफ़्तार करके दिखाएँ।’ शाह यह भी दावा करते रहे हैं कि ममता बनर्जी राज्य में बीजेपी को जीतने से नहीं रोक सकतीं।
बता दें कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप वायरल हुई थी जिसमें ममता ‘जय श्री राम’ का उद्घोष करने पर लोगों पर नाराज़ हो रही थीं। धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण की रणनीति के तहत नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने यह मुद्दा उठाया था।
कुछ दिन पहले अमित शाह के रोड शो में जो बवाल हुआ, उसके बाद ममता ने भी जोरदार पलटवार किया है। ममता का कहना है कि बीजेपी बंगाली अस्मिता का अपमान कर रही है। इसमें ममता को बीएसपी सुप्रीमो मायावती, एसपी प्रमुख अखिलेश यादव, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और कांग्रेस के नेताओं का साथ मिला है। इसके लिए ममता ने सभी का आभार भी जताया है। ममता ने यह भी कहा है कि चुनाव आयोग पूरी तरह बीजेपी और मोदी-शाह के दबाव में काम कर रहा है।
ममता बनर्जी ने पहले भी यह कहा था कि आज इमर्जेंसी से भी बुरा हाल है, प्रेस समेत सबके बोलने की आज़ादी छीन ली गई है। उन्होंने मोदी की तुलना हिटलर और मुसोलिनी से की थी।
मायावती ने ममता बनर्जी का बचाव करते हुए कहा कि मोदी, शाह के निशाने पर ममता बनर्जी हैं। मायावती ने कहा कि यह बेहद ख़तरनाक और ग़लत व्यवहार है, जो देश के प्रधानमंत्री की मर्यादा के ख़िलाफ़ है। मायावती ने कहा, ‘बंगाल में पीएम मोदी की आज दो रैलियाँ हैं, तो चुनाव आयोग ने प्रचार पर सुबह से क्यों नहीं बैन लगाया। चुनाव आयोग दबाव में काम कर रहा है।’
आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है कि चुनाव आयोग बीजेपी की सेल की तरह काम कर रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस लड़ाई में ममता जी को उनका पूरा समर्थन है।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘लोकतंत्र के इतिहास में आज काला दिन है। पश्चिम बंगाल पर चुनाव आयोग के आदेश में अनुच्छेद 14 और 21 के अंतर्गत जरूरी प्रक्रिया का अनुपालन नहीं हुआ है। सुरजेवाला ने कहा कि आज प्रजातंत्र पर मोदी व अमित शाह के द्वारा सीधे हमला बोला जा रहा है लेकिन चुनाव आयोग, असहाय और असमंजस की स्थिति में नज़र आ रहा है। चंद्रबाबू नायडू ने भी कहा है कि चुनाव आयोग की प्रतिष्ठा दाँव पर है।आपको याद दिला दें कि फ़रवरी में सीबीआई कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ करने के लिए उनके घर पहुँची थी। ममता बनर्जी ने सीबीआई के इस क़दम की तीख़ी निंदा की थी और आनन-फानन में वह राजीव कुमार के घर जा पहुँची थीं और वहीं धरने पर बैठ गईं थीं। तब भी विपक्षी दलों ने खुलकर ममता का साथ दिया था।
पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों पर वामदलों, बीजेपी और टीएमसी में इस बार कड़ी टक्कर है और टीएमसी, बीजेपी को रोकने की पूरी कोशिश कर रही है। सियासी जानकारों का कहना है कि ममता ने विपक्ष के नेता के तौर पर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है। जानकार मानते हैं कि ममता ही अकेली ऐसी नेता हैं, जो नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी का मजबूती से सामना कर सकती हैं।