पेगासस जासूसी मामले और किसान आंदोलन को लेकर कांग्रेस समेत विपक्षी दलों का हमलावर रूख़ जारी है। संसद की कार्यवाही शुरू होने पर संसद के दोनों सदनों में हंगामा हुआ और लोकसभा और राज्यसभा को 12 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा। कार्यवाही शुरू हुई तो हंगामा जारी रहा और लोकसभा को 12.30 बजे और राज्यसभा की कार्यवाही को 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
लेकिन दोनों सदनों में हंगामा होता रहा और लोकसभा की कार्यवाही को 2 बजे तक और फिर दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया। इसी तरह राज्यसभा में हंगामा जारी रहने पर पहले इसे 3.30 बजे और फिर दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया।
कार्यवाही शुरू होने से पहले कई विपक्षी दलों के नेताओं ने बैठक की। पेगासस जासूसी मामले और किसान आंदोलन को लेकर संसद से सड़क तक माहौल बेहद गर्म है और विपक्षी दलों ने अपनी सियासी क़दमताल से सरकार को संकट में डाल दिया है। मानसून सत्र में हर दिन संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा व शोरगुल हुआ है। संसद का यह सत्र 13 अगस्त तक चलेगा।
लोकसभा में देश की आज़ादी के लिए जान न्यौछावर करने वालों को श्रद्धांजलि दी गई। 9 अगस्त के दिन को एतिहासिक माना जाता है क्योंकि इस दिन महात्मा गांधी ने अगस्त क्रांति या अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी।
ओबीसी विधेयक बड़ा क़दम
मोदी सरकार की ओर से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय को लेकर लाए जा रहे संविधान संशोधन विधेयक को विपक्ष ने समर्थन दिया है। यह विधेयक केंद्र शासित प्रदेशों को यह ताक़त देता है कि वे अपनी ओबीसी जातियों की सूची ख़ुद बना सकते हैं। इस विधेयक को संसद के दोनों सदनों में रखा जाना है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में महाराष्ट्र सरकार के उस फ़ैसले को खारिज कर दिया था जिसमें उसने मराठा समुदाय को आरक्षण दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अनुच्छेद 342-ए के तहत सिर्फ़ केंद्र सरकार को ही इस बात का अधिकार है कि वह ओबीसी जातियों की केंद्रीय सूची को तैयार करे।
लेकिन एक बार संसद जब संविधान के अनुच्छेद 342-ए और 366 (26) सी को संशोधित कर देगी तो इससे हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को यह ताक़त मिलेगी कि वे ख़ुद ही ओबीसी की सूची में जातियों को जोड़ सकेंगे।
विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश
कुछ दिन पहले राहुल गांधी ने विपक्षी दलों के नेताओं को नाश्ते पर बुलाया था और इसके बाद सभी नेता साइकिल से संसद पहुंचे थे। कांग्रेस ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह विपक्ष को एकजुट करने के काम में जुटी है।जंतर-मंतर पर डटे किसान
केंद्र सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों की संसद जारी है। इस संसद का आयोजन संसद से कुछ ही दूरी पर स्थित जंतर-मंतर पर किया जा रहा है। किसानों की यह संसद 13 अगस्त तक चलेगी। बारिश के बीच भी किसान आंदोलन और संसद में डटे हुए हैं।निर्णायक होंगे किसान
पंजाब में सात महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं और दिल्ली के बॉर्डर्स पर चल रहे किसान आंदोलन का चुनाव नतीजों में बेहद अहम रोल रहेगा। इसलिए कांग्रेस और अकाली दल इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे हैं। किसानों ने एलान किया है कि मिशन यूपी-उत्तराखंड में जुटेंगे और इसके जरिये हर घर तक पहुंचेंगे।
माना जा रहा है कि किसानों के आंदोलन से बीजेपी को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सियासी नुक़सान हो सकता है क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के तराई वाले इलाक़े में इस आंदोलन का ख़ासा असर है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 120 विधानसभा सीटें आती हैं जबकि 70 सीटों वाली उत्तराखंड की विधानसभा में से 20 सीटें तराई में पड़ती हैं।