क्वीन विक्टोरिया के नुमाइंदों ने जहाँ-जहाँ की धरती पर पैर रखे, वहाँ-वहाँ के देशों में क्रिकेट एक धर्म है। और सोशल मीडिया इस धर्म का नया कथावाचक। इससे पहले कथा बांचने का काम अख़बार, क्रिकेट सम्राट, विजडन इत्यादि जैसी पत्रिकाएँ करती थीं। इस कथा में कालांतर से एक कहानी-विधा चली आ रही है- प्राचीन काल में ऋषि विवियन रिचर्ड्स ध्यानमग्न होकर बैटिंग कर रहे थे। पर ग्रेग थॉमस ने अपनी गेंदों से उनका ध्यान तोड़ काफ़ी परेशान कर दिया। विव किंकर्तव्यविमूढ़ हो गए। ऐसा लगा गेंद उनको दिख नहीं रही थी। तत्पश्चात थॉमस उवाच- “गेंद गोल है, लाल है, मार के दिखाओ”। अगली गेंद पर विव ने इतनी जोर से मारा कि गेंद स्टैंड में खो गई। अब ऋषि विव ने थॉमस से कहा- “तुम्हें तो पता ही है गेंद कैसी है, खोज के लाओ।” इस विधा को स्लेजिंग कहते हैं।
टिम पेन स्लेजिंग को जीवित कर रहे हैं
अमूमन मैं क्रिकेट नहीं देखती, बस अति-भावुकता वाले देशभक्ति से ओत-प्रोत भारत-पाकिस्तान के मैचों में जनता का उत्साह देखकर कुछ देर बैठ जाती हूँ। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर जनता में एक नये किस्म का उत्साह देख रही हूँ- ऑस्ट्रेलिया पुरुष क्रिकेट टीम के कप्तान टिम पेन द्वारा स्लेजिंग जैसी विधा को पुनर्जीवित कर देने का दिसंबर कांड। टिम पेन ने पहले तो भारतीय खिलाड़ी मुरली विजय से कहा- “तुम्हारा कप्तान विराट कोहली अच्छा खिलाड़ी तो है, पर मुझे नहीं लगता कि एक इंसान के तौर पर तुम उसे पसंद करोगे।” फिर रोहित शर्मा से कहा- “अगर तुम इस गेंद पर छक्का मार दो तो मैं तुम्हारी मुंबई इंडियंस टीम में आ जाऊँगा।” पूरी जनता लहालोट हो रही है कि टिम पेन ने इतने अच्छे से स्लेजिंग की वरना स्टीव वॉ और रिकी पोंटिंग वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम तो गाली ही देने लगती थी।
पत्नि को तो बख़्श दो!
मैंने स्लेजिंग का इतिहास पढ़ा। इसके बाद मुझे स्लेजिंग की दो कुख्यात घटनाएँ याद आईं- 2008 में ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी एंड्रयू सायमंड्स और हरभजन सिंह वाला मंकीगेट कांड। जो कि संभवतया गाली से शुरू होकर रेसिस्ट कमेंट तक पहुँच गया था। दूसरा, इस घटना के दस साल बाद ऑस्ट्रेलिया के ही डेविड वॉर्नर और साउथ अफ्रीका के खिलाड़ियों के बीच हुई स्लेजिंग। वॉर्नर की पत्नी को लेकर साउथ अफ्रीका के खिलाड़ी और दर्शकों ने बहुत भद्दी-भद्दी बातें कहीं जिसके जवाब में वॉर्नर और स्टीव स्मिथ जैसे खिलाड़ियों ने बॉल टेंपरिंग जैसे दुस्साहसी और मूर्खतापूर्ण काम को अंजाम दिया और अंततः टीम से ही बैन कर दिये गये। ये ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय शर्म का विषय बन गया।
तुम उस बदसूरत वेश्या से डेट कर रहे थे!
ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के मैच के दौरान मार्क वॉ ने एडम परोरे से कहा- “मैं तुमको कई वर्षों से जानता हूँ। तुम तब भी बेकार थे और अब भी बेकार हो।” परोरे ने कहा- “हाँ, और मुझे याद है कि तुम उस बूढ़ी बदसूरत वेश्या को डेट कर रहे थे। और अब तुमने उससे शादी कर ली है।” इसके बाद परोरे ने और भी गालियाँ दीं। इसी तरह
ऑस्ट्रेलिया के ही ग्लेन मैकग्रॉ और वेस्टइंडीज के रामनरेश सरवन के बीच हुई तक़रार ने इतना ख़राब रूप ले लिया कि मैकग्रॉ ने सरवन को धमकी दे दी- 'मेरी पत्नी के बारे में फिर कुछ बोला, तो मैं तुम्हारा गला काट दूँगा।'
- महेंद्र सिंह धोनी और आशीष नेहरा के खेल का भी एक वीडियो इंटरनेट पर मिलता है जिसमें कथित तौर पर नेहरा जी धोनी को गंदी गाली देते नजर आते हैं।
महिला क्रिकेट में स्लेजिंग
महिला क्रिकेट की स्लेजिंग को अभी उस तरीके से प्रस्तुत नहीं किया गया है जैसे पुरुष क्रिकेट की स्लेजिंग को अमर बनाया जाता है। भारत की हरमनप्रीत कौर ने अगस्त 2017 में मुंबई के एक इवेंट में बताया था कि वह हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी सब में स्लेजिंग करती हैं। पर यह भी कहा कि स्लेजिंग का मतलब गाली देना नहीं है, वह तो बस अपनी साथी खिलाड़ियों की मदद करने और विपक्षी खिलाड़ियों की हिम्मत तोड़ने के लिए की जाती है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनकी पूर्व कोच इस स्लेजिंग को पसंद नहीं करती थीं पर अगर गेंदबाज़ को फ़ायदा होता था तो टीम करती थी। मिताली राज ने भी स्लेजिंग पर कहा था कि यह गाली ना होकर बल्लेबाज़ का मनोबल तोड़ने का प्रयास होता है।
हालाँकि महिला क्रिकेट देखकर यह आवश्यक नहीं लगता कि स्लेजिंग ज़रूरी ही है। मैंने इधर कई महिला क्रिकेट के कई मैच देखे। ये सारे मैच उसी तरह से खेले जा रहे थे, जिन मैचों को लेकर आज की पीढ़ी नॉस्टैल्जिक होती रहती है। अक्सर मैं देखती हूं कि अस्सी और नब्बे के दशक के मैचों को लेकर लोग ख़ूब उत्साहित रहते हैं। भले ही उस दौर में कम रन बनते हों, किताबी शॉट लगते हों, कम शतक बनते हों, पंद्रह ओवर तक खिलाड़ी टिककर खेलते हों, लोग उसी दौर को याद करते हैं। अगर महिला क्रिकेट की बात करें तो अभी यह उसी दौर सरीखा है। उस नॉस्टैल्जिया को महिला क्रिकेट ने पुनर्जीवित कर दिया है।
बैट में शिट लगी है, देख तो लो!
अगर स्लेजिंग से गाली-गलौज को हटा दें तो कुछ बहुत अच्छे वाकये भी हुए हैं। इनमें से एक का ज़िक्र मैं विवियन रिचर्ड्स वाले किस्से में कर चुकी हूँ। वेस्टइंडीज और भारत के मैच में ओपनर रहनेवाले सुनील गावस्कर चौथे नंबर पर आए। तब तक अंशुमन गायकवाड़ और दिलीप वेंगसरकर जीरो के स्कोर पर ही आउट हो चुके थे। विवियन रिचर्ड्स ने गावस्कर से कहा- “भाई, फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम किस नंबर पर आए हो। स्कोर अभी भी जीरो ही है।”
माइक विटनी एक मैच में रिप्लेसमेंट प्लेयर के रूप में खेल रहे थे। रवि शास्त्री को धमकाते हुए उन्होंने कहा कि क्रीज़ में ही रहो वरना इस थ्रो से तुम्हारा सिर फूट जाएगा। रवि ने कहा- 'जितना तेज़ बोलते हो, उतनी तेज़ बॉलिंग कर लेते तो बारहवें खिलाड़ी नहीं रहते तुम।'
- सबसे रोचक वाक़या ऑस्ट्रेलिया के डेनिस लिली का है। लिली ने कई खिलाड़ियों से एक ही तरह की स्लेजिंग की थी। लिली खेल रहे बल्लेबाज़ से अचानक कहते कि तुम्हारे बैट के छोर पर ‘शिट’ लगा हुआ है। बल्लेबाज़ हड़बड़ाकर अपना बैट उठा के देखता। तब लिली कहते कि इधर नहीं, ऊपर वाले छोर पर लगा है। बाद में ग्लेन मैकग्रॉ ने भी इस ट्रिक को आज़माया था।
स्लेजिंग का नुक़सान
कई बार स्लेजिंग उल्टा भी पड़ जाता है। 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के एंड्रयू फ्लिंटॉफ़ ने युवराज सिंह से बहस की थी और नतीजन युवा खिलाड़ी स्टुअर्ट ब्रॉड के एक ओवर में युवराज ने छह छक्के मार दिए। इसी तरह 2003 के एकदिवसीय वर्ल्ड कप में शोएब अख्तर की स्लेजिंग के बाद सचिन तेंदुलकर ने छक्का मार दिया था।
इस साल वॉर्नर और स्टीव स्मिथ के बैन होने के बाद नये ऑस्ट्रेलियाई कप्तान टिम पेन ने अप्रैल में कहा था कि हमारी टीम अब स्लेजिंग नहीं करेगी। जून में इनको कोच जस्टिन लैंगर ने भी यही बात दोहराई थी। छह महीने बाद भारत के साथ मैच खेलते हुए टिम पेन ने स्लेजिंग को पुनर्जीवित कर दिया है। हालाँकि सुनील गावस्कर ने कहा कि भारत के खिलाड़ी संत नहीं हैं, इस सीरीज में स्लेजिंग की शुरुआत इन्होंने ही की।
विराट कोहली ने स्लेजिंग करते हुए टिम से कहा कि चुप करो वरना सीरीज़ में 2-0 हो जाएगा। यह अलग बात है कि वह अगला मैच ख़ुद ही हार गए और 1-1 हो गया।
गावस्कर ने संभवतः इसीलिए कहा था कि भारतीय खिलाड़ियों का टेम्परामेंट स्लेजिंग के लिए नहीं है, ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की तरह।
विपक्षी टीम ऑस्ट्रेलिया की हो
ऑस्ट्रेलिया के टेंपरामेंट की बात करें तो पूर्व ऑस्ट्रेलियाई विकेटकीपर इयान हीली की भतीजी एलिसा हीली ऑस्ट्रेलियाई महिला टीम से खेलती हैं और अपने देश में काफ़ी मशहूर हैं। एलिसा हीली ने 2017 की एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में एशेज़ सीरीज़ ट्रॉफ़ी के बारे में कह दिया- “will bring the bitch back” (हम इस कुतिया को वापस लाएँगे) तब इस बात को काफ़ी उठाया गया था कि क्या ऐसा बोलना सही है। पर एलिसा ने यह कहा कि ऑस्ट्रेलिया की टीम से “नाइस” होने की उम्मीद ना रखी जाए। एलिसा हीली ने ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटर मिशेल स्टार्क से शादी की है। दोनों की प्यारी-सी लव स्टोरी भी है। यहाँ यह मज़ाक के लहज़े में प्रश्न उठता है कि स्लेजिंग के लिए मशहूर यह ऑस्ट्रेलियन टीम के खिलाड़ी पति-पत्नी के रूप में आपस में स्लेजिंग भी करते होंगे क्या
क्या स्लेजिंग फ़नी होता है
अगर गाली-गलौज ना किया जाए और ख़राब बातें ना बोली जाएँ तो स्लेजिंग रोचक भी हो सकता है। स्लेजिंग के दौरान खिलाड़ियों की बॉडी-लैंग्वेज बहुत फ़नी होती है। हालाँकि यह ज़रूरी नहीं है कि इससे फ़ायदा ही होगा। पर मैदान में मज़ा आ सकता है।- मनोबल गिराने के लिए स्लेजिंग तो महाभारत में भी हुई थी। यह अलग बात है कि महाबली कर्ण के लिए उनकी अपनी टीम के ही लोग स्लेजिंग कर रहे थे और उनका मनोबल तोड़ दिया गया।
अंततः अगर खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी की तरह का है तो स्लेजिंग का कोई फ़ायदा नहीं। और स्लेजिंग करनेवाला व्यक्ति फ़्रस्ट्रेट हो जाएगा। और स्लेजिंग का मज़ा जाता रहता है।