पीएम इमरान के परमाणु हमले वाले बयान से क्यों पलट गया पाक?

07:19 am Sep 05, 2019 | रंजीत कुमार - सत्य हिन्दी

परमाणु हथियारों के पहले इस्तेमाल न करने को लेकर प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के बयान को ख़ुद उनके ही विदेश मंत्रालय ने खंडन कर फिर यह दिखाया है कि पाकिस्तान की परमाणु और सैन्य नीति पाकिस्तान के नागरिक प्रशासन यानी राजनेताओं द्वारा संचालित नहीं होती बल्कि पाकिस्तान की सेना ही यह तय करती है। वह यह हिमाकत कर सकती है कि अपने ही प्रधानमंत्री के बयान को नकार दे। इससे इन आरोपों को एक बार फिर बल मिला है कि पाकिस्तान के राजनेता और नागरिक प्रशासन पाकिस्तान की सेना की कठपुतली ही है।

प्रधानमंत्री इमरान ख़ान का बयान पाकिस्तान के परमाणु सिद्धांत के विपरीत था इसलिए सामरिक हलकों में इस बात को लेकर हैरानी हो रही थी कि क्या पाकिस्तान ने अपना परमाणु सिद्धांत पलट दिया है लेकिन इमरान ख़ान के बयान के एक दिन के भीतर ही पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने यह कह कर खंडन कर दिया कि प्रधानमंत्री के बयान को संदर्भ से बाहर जा कर उद्ध़ृत किया गया और पाकिस्तान की परमाणु नीति में कोई बदलाव नहीं आया है।

पाकिस्तान की परमाणु नीति साफ़ कहती है कि यदि पाकिस्तान पर किसी देश ने सैनिक आक्रमण किया और पाकिस्तान सेना उसका पारम्परिक हथियारों से मुक़ाबला नहीं कर सकती तो पाकिस्तान अपने ऊपर हो रहे आक्रमण को निरस्त करने के लिए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल हमलावर देश पर करेगा। पाकिस्तान की परमाणु नीति खुले तौर पर भारत की ओर निर्देशित है और इसके मद्देनज़र उसने अपने परमाणु सिद्धांत को चार भिन्न वर्गों में बाँटा है जिसे चार दहलीजों की संज्ञा दी गई है जिसके पार होते ही पाकिस्तानी सेना अपना परमाणु हथियार भारत के किसी शहर पर गिरा देगी।

किन हालात में परमाणु छोड़ सकता है पाक

यदि चार में से एक भी दहलीज को दुश्मन देश ने पार कर लिया तो पाकिस्तान उस देश पर परमाणु हमला कर देगा। पहली और दूसरी दहलीज सैन्य हमला से सम्बन्धित है। भारत के साथ युद्ध में यदि भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान के भीतर इतनी घुसपैठ कर ली और पाकिस्तान पर सैन्य वर्चस्व स्थापित करने की दिशा में अग्रसर होने लगा तो इसे रोकने के लिए पाकिस्तान भारत पर परमाणु हथियार चला देगा। दूसरी दहलीज को पार करना तब माना जाएगा जब युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सशस्त्र सेनाओं के एक बड़े हिस्से को भारत ने अपनी सैन्य ताक़त से निष्क्रिय कर दिया हो।

तीसरी दहलीज आर्थिक क्षेत्र से जुड़ी है जिसे तब पार किया माना जाएगा जब चारों ओर से पाकिस्तान की आर्थिक नाकेबंदी कर दी जाए और पाकिस्तान की नौसेना इस नाकेबंदी को तोड़ने में कामयाब नहीं हो सके और पाकिस्तान आर्थिक तौर पर तबाह होने लगे। या सिंध, झेलम और चेनाब नदियों से भारत पानी का बहाव पाकिस्तान की ओर रोक कर सिंधु जल समझौता को पूरी तरह तोड़ दे।

चौथी दहलीज राजनीतिक क्षेत्र की है जिसे पार किया तब माना जाएगा जब भारत पूरी तरह पाकिस्तान को अस्थिर कर दे और पाकिस्तान को भरोसा हो जाए कि भारत की वजह से पाकिस्तान की राजनीतिक अखंडता और सम्प्रभुता को चोट पहुँचेगी। मिसाल के तौर पर 1971 का बांग्लादेश प्रयोग पाकिस्तान के दूसरे विद्रोहग्रस्त राज्यों पर दोहराने की कोशिश नहीं की जाए।

भारत: ‘नो फ़र्स्ट यूज़’ पर पुनर्विचार

दूसरी ओर भारत ने अपने परमाणु सिद्धांत में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से साफ़ कहा है कि वह अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल तब तक नहीं करेगा जब तक कि उस पर किसी दुश्मन देश द्वारा पहला परमाणु हमला नहीं किया जाता है। इसके लिए भारत ने ‘नो फ़र्स्ट यूज़’ का परमाणु सिद्धांत घोषित किया था। लेकिन हाल में पाकिस्तान की ओर से जिस तरह प्रधानमंत्री स्तर पर भारत के साथ परमाणु युद्ध छिड़ने की धमकियाँ दी जाने लगी हैं उसके मद्देनज़र भारत की ओर से भी कुछ साल पहले तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और मौजूदा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह इशारा कर सनसनी फैला दी कि भारत पहले परमाणु हमला नहीं करने के परमाणु सिद्धांत की समीक्षा कर सकता है।

भारत के पास त्रिआयामी परमाणु क्षमता 

भारत ने पहले परमाणु हमला नहीं करने का वादा तब किया है जब उसे पता है कि चीन की परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलें भारत की ओर तैनात कर रखी गई हैं। हालाँकि चीन यह कहता है कि वह भी पहले परमाणु हमला कभी नहीं करेगा लेकिन इसकी नीतियों से संदेह पैदा होते हैं कि चीन वाक़ई में इसका ईमानदारी से पालन करेगा। दूसरी ओर भारत ने अपनी ‘नो फ़र्स्ट यूज़’ की नीति को अपनी त्रिआयामी परमाणु क्षमता से ताक़त प्रदान की है। भारत ने यह क्षमता हाल में ही हासिल की है। इस क्षमता की बदौलत दुश्मन देश को यह संदेश दिया जा सका है कि यदि वह भारत पर पहला परमाणु हमला कर देता है तो भारत के पास इसका जवाबी हमला करने की समुचित ताक़त है जो ज़मीन, आसमान या समुद्र कहीं से भी किया जा सकता है। भारत का परमाणु सिद्धांत यह भी कहता है कि भारत का जो ‘सेकंड स्ट्राइक’ यानी जवाबी परमाणु हमला होगा तो वह इतना ज़बर्दस्त होगा कि दुश्मन देश मटियामेट हो जाएगा।

पाकिस्तान के रणनीतिकारों का मानना है कि वह भारत से आर्थिक या  सैनिक युद्ध में टिक नहीं पाएगा इसलिए आत्मरक्षा में उसे प्रथम परमाणु हमला करने का अधिकार है। इसीलिए वह भारत के साथ जब भी तनाव का माहौल बनता है भारत के ख़िलाफ़ परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी देने लगता है ताकि भारतीय सेना पाकिस्तान की धरती से भारत के ख़िलाफ़ संचालित आतंकवादी हमलों के ख़िलाफ़ सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई न करे।