भारत में आंदोलनकारी किसान अपने कृषि उत्पादों के लिए एमएसपी की माँग कर रहे हैं। इस माँग पर विचार करने की आवश्यकता है।
दुनिया के लगभग हर देश में कृषि पर सब्सिडी दी जाती है।
ऐसा क्यों है कि कृषि को सब्सिडी देने की आवश्यकता होती है और सामान्य उद्योगों की तरह इसे बाज़ार के हवाले नहीं छोड़ा जा सकता?
इसका उत्तर यह है कि कृषि अन्य उद्योगों की तरह नहीं है। यह भोजन का उत्पादन करता है, जो हवा और पानी की तरह, अस्तित्व के लिए बिल्कुल अनिवार्य है। एक टीवी सेट, कार या रेफ्रिजरेटर की कमी के बिना, ज़िंदगी असुविधाजनक तो हो सकती है, असंभव नहीं। लेकिन कोई भी भोजन के बिना नहीं जी सकता। स्टील, सीमेंट आदि का उपयोग अन्य उद्योगों द्वारा किया जाता है, लेकिन भोजन का सेवन मानव शरीर द्वारा किया जाता है, और इसके बग़ैर ज़िंदगी निर्वाह करना लगभग नामुमकिन हो जायेगा।
आधुनिक उद्योग के आने के बाद जनसंख्या में बहुत वृद्धि हुई। इसके साथ खाद्य उत्पादन में भारी वृद्धि की आवश्यकता महसूस हुई। किसानों के लिए समस्या यह थी कि वे स्वयं अपने उत्पादों की तो ख़रीद नहीं कर सकते थे, उन्हें व्यापारियों पर निर्भर रहना पड़ता था। ये व्यापारी खेतों में पैदा हुई चीज़ों को बेचने के लिए गाँव से शहरों तक ले जाते थे, जो इन्हें थोक व्यापारियों को बेच देते थे और ये थोक व्यापारी इन्हें फुटकर व्यापारियों को बेचते थे और तब आम ग्राहक इन्हें खरीदते थेI
किसान अक्सर इन व्यापारियों की दया पर निर्भर था, और जो भी क़ीमत की पेशकश की गई थी उसे स्वीकार करना पड़ता था, अन्यथा उनकी उपज को बेचा नहीं जा सकता था। इस वजह से खेती ग़ैरलाभकारी बना दी गयी। इसीलिए किसानों और किसानी के लिए सरकार का सहयोग आवश्यक हो गया था, अन्यथा किसान खेती छोड़ देते, और फिर देश के बड़े हिस्से के भूखे रह जाने का संकट खड़ा हो जाता।
अतः 135 करोड़ की हमारी विशाल जनसंख्या को खिलाने के लिए कृषि उत्पादन के लिए एमएसपी अत्यंत आवश्यक है।
वीडियो में देखिए, किसानों को कम आँकना क्यों ख़तरनाक?
भारत सरकार ने कहा है कि वह एमएसपी को बनाए रखेगी। लेकिन मौखिक या लिखित आश्वासन का मतलब कुछ भी नहीं है, क्योंकि वे बाध्यकारी नहीं हैं। एमएसपी को एक क़ानूनी जामा पहनाना चाहिये, जिसमें एमएसपी से नीचे खरीदने वाले व्यापारियों के लिए दंड का प्रावधान होI
3 किसान क़ानून हाल ही में संसद द्वारा पास किए गए हैं, जिसमें महत्वपूर्ण दोष यह है कि जहाँ किसान अपनी उपज को कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन उसे क़ानूनन एमएसपी का संरक्षण नहीं है।