मोदी सरकार ने मंगलवार 17 दिसंबर को लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन बिल पेश किया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दोनों विधेयक पेश किए। विपक्ष की ओर से कांग्रेस के नेतृत्व में भारी विरोध हुआ। विपक्ष ने कहा कि सिर्फ एक शख्स को खुश करने के लिए यह विधेयक लाया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार इस बिल पर चर्चा के लिए संसदीय समिति को भेज सकती है।
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विपक्ष ने विधेयक का विरोध करते हुए इस पर मत विभाजन की मांग की है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग और बाद में पेपर पर्चियों की गिनती के बाद, विधेयक पेश किए गए, जिसके पक्ष में 269 सदस्य और विरोध में 198 सदस्य थे। कुल 32 पार्टियां वन नेशन वन इलेक्शन कदम का समर्थन कर रही हैं, वहीं 15 विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं। आंध्र में तो सत्तारूढ़ टीडीपी और विपक्ष में जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी दोनों ही इस विधेयक के समर्थन में है।
अमित शाह ने संसद को बताया कि 'जब यह बिल कैबिनेट में आया तो पीएम मोदी ने कहा कि इसे संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा जाना चाहिए। लेकिन आईयूएमएल नेता ईटी मोहम्मद बशीर, शिवसेना सदस्य अनिल देसाई ने विधेयक का पुरजोर विरोध किया और मांग की कि इसे जल्द से जल्द वापस लिया जाए।
हंगामे के बीच कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, 'ओएनओई (एक देश एक चुनाव) बिल चुनाव आयोग को राष्ट्रपति को सलाह देने की 'अवैध' शक्तियां देता है।'
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में कहा, “संविधान की सातवीं अनुसूची से परे यह बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है। भारतीय संविधान की कुछ विशेषताएं ऐसी हैं जो इस सदन की संशोधन शक्ति से भी परे हैं। आवश्यक विशेषताओं में से एक संघवाद और हमारे लोकतंत्र की संरचना है। इसलिए कानून और न्याय मंत्री द्वारा जो बिल पेश किए गए हैं वे पूरी तरह से संविधान की मूल संरचना पर हमला करते हैं और इस सदन की विधायी क्षमता से परे हैं और इसलिए उनका विरोध करने की जरूरत है।
टीडीपी सांसदों ने विधेयक को अपना अटूट समर्थन देते हुए कहा कि यह देश भर में चुनाव की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करेगा। वहीं शिवसेना (यूबीटी), आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी जैसे विपक्षी दलों ने सरकार से बिल को तुरंत वापस लेने का आग्रह किया। एनडीए सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से बिल को संयुक्त संसदीय समिति को भेजने का आग्रह किया। एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह विधेयक देश की सभी क्षेत्रीय पार्टियों को अकेले खत्म कर देगा और इसे केवल "सर्वोच्च नेता के अहंकार को संतुष्ट करने" के लिए पेश किया जा रहा है।
लोकसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि बीजेपी देश में 'तानाशाही' लाने की कोशिश कर रही है।