मध्य प्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों की घोषणा के ठीक पहले ओबीसी आरक्षण को लेकर राजनीति अब पूरे उफान पर है। सत्तारूढ़ दल बीजेपी और प्रतिपक्ष कांग्रेस ओबीसी आरक्षण को लेकर एक-दूसरे पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। उधर, 27 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर ओबीसी महासभा द्वारा शनिवार को बुलाया गया मध्य प्रदेश बंद बेअसर रहा।
ओबीसी महासभा की राज्य इकाई के प्रदेश बंद के आयोजन के बीच भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का सीएम हाउस में सम्मान किया गया। मध्य प्रदेश बीजेपी की ओबीसी इकाई ने सीएम के सम्मान कार्यक्रम का आयोजन रखा था।
सम्मान समारोह में ओबीसी वर्ग के पार्टी के सभी विधायक मौजूद रहे। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा सहित ओबीसी वर्ग के ज्यादातर नेताओं ने आयोजन में शिरकत की।
पंचायत चुनावों में ओबीसी वर्ग के आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पूरा श्रेय मुख्यमंत्री को देते हुए आयोजन के पहले जमकर आतिशबाजी की गई। पटाखे फोड़े गए। मुख्यमंत्री पर फूलों की बारिश की गई।
मुख्यमंत्री ने सम्मान समारोह में ओबीसी वर्ग का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा, ‘पंचायत चुनाव के बिना ओबीसी आरक्षण कराने का पाप करने वाली कांग्रेस ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने के सरकार के प्रयासों के बाद अब बंद करा रही है। राजनीति कर रही है।’
उधर, ओबीसी महासभा के आह्वान पर बुलाया गया बंद बेअसर रहा। भोपाल सहित राज्य के ज्यादातर जिलों में आम दिनों की तरह कामकाज हुआ। बाजार खुले रहे।
ग्वालियर-भिंड में बंद समर्थक सुबह घूम-घूमकर दुकानें बंद कराने का प्रयास करते नजर आये। शिवपुरी में भी बंद समर्थक बाजारों में घूमे। दुकानें बंद कराने का प्रयास किया। कुछ देर के लिए दुकानदारों ने शटर गिराये, लेकिन थोड़ी देर बाद यहां भी बाजार खोल दिए गए।
उधर, महासभा ने बंद को सफल बताया। नेताओं ने आरोप लगाया कि बीजेपी हो अथवा कांग्रेस दोनों ने ही ओबीसी आरक्षण मामले में अन्य पिछड़ा वर्ग को छला है। इस वर्ग को केवल और केवल वोट बैंक समझा है।
महासभा ने दावा किया कि पूरा राज्य बंद रहा। बंद समर्थकों ने कहा प्रदेश में ओबीसी की आबादी 56 फीसदी है। इसके आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए। हम 27 प्रतिशत से कम आरक्षण पर समझौता नहीं करेंगे।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने भी ओबीसी आरक्षण मामले में शिवराज सरकार के फेल हो जाने का आरोप मढ़ा। उन्होंने कहा, ‘हम जब सरकार में आये थे तब ओबीसी वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण घोषित कर दिया था। फैसला होने के पहले सरकार चली गई। शिवराज मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने कांग्रेस की सरकार का फैसला पलट दिया।’
कांग्रेस को कोर्ट जाना पड़ा। कोर्ट ने सरकार से पक्ष मांगा। मगर शिवराज सरकार ओबीसी वर्ग के हितों को कोर्ट के सामने ठीक ढंग से पेश करने में असफल रही। पहले बिना आरक्षण और दोबारा में महज 14 फीसदी आरक्षण का रास्ता ही बन पाया है। यह ओबीसी वर्ग के साथ अन्याय है।
मुख्यमंत्री चौहान ने अपने सम्मान के दौरान कमल नाथ के इस आरोप का जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में बीजेपी क्षेत्र में ओबीसी जनसंख्या के हिसाब से टिकट देने वाली है। अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ बीजेपी ने न तो पहले अन्याय किया था और ना ही आगे करेगी।'मुख्यमंत्री ने कहा, कांग्रेस ने ओबीसी वर्ग को केवल वोट बैंक माना और उपयोग किया है। अब ओबीसी वर्ग उनके छलावे में आने वाला नहीं है। कांग्रेस समर्थित आज का प्रदेश बंद इस बात का उदाहरण है।’