बिहार में राजनीतिक घमासान मचा है। मीडिया रिपोर्टों में कयास तो ये लगाए जा रहे हैं कि दो दिन में सरकार में उथल-पुथल हो सकती है। दो दिन में क्यों? ऐसी क्या जल्दी है कि दो दिन में ही यह सब पूरा कर दिया जाए? इस सवाल और कयास के पीछे जवाब यह है कि 12 अगस्त से खरमास शुरू हो रहा है और खरमास में आम तौर पर शुभ काम नहीं किए जाते हैं। तो सवाल है कि आख़िर यह खरमास क्या है और क्या इसी वजह से बिहार में इतनी जल्दी राजनीतिक उथल-पुथल मची है?
उत्तर भारत में हिंदू कैलेंडर के अनुसार खरमास एक अशुभ महीना है। इसको एक अशुभ वक़्त माना जाता है और इसमें आम तौर पर शुभ कार्य नहीं शुरू किए जाते हैं। मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में खरमास को विशेष तौर पर माना जाता है।
जो लोग ज्योतिष को मानते हैं उनका खरमास को बेहद अहम मानते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है तो उस समय से लेकर मकर राशि में प्रवेश करने तक खरमास लग जाता है।
कहा जाता है कि खरमास में खर का अर्थ 'दुष्ट' होता है और मास का अर्थ महीना होता है, इसे आप 'दुष्टमास' भी कह सकते हैं। साल में खरमास का महीना दो बार लगता है।
खरमास में क्या है मान्यता
- खरमास के महीने में मांगलिक कार्यक्रम जैसे मुंडन, गृह प्रवेश, विवाह आदि संस्कार कार्य नहीं किए जाते हैं।
- इस महीने में कोई भी नया कार्य शुरू नहीं किया जाता है।
- खरमास के महीने में मकान, जमीन, प्लॉट या रियल स्टेट से जुड़ी चीजें नहीं खरीदने की मान्यता है।
- खरमास के महीने में नए कपड़े और आभूषण भी नहीं पहनने की मान्यता है।
तो क्या इसी खरमास महीने के अशुभ से बचने के लिए बिहार में दो दिनों के अंदर कुछ उथल-पुथल होने वाला है? ऐसा कयास इसलिए भी लगाया जा रहा है कि हाल में ऐसी कुछ घटनाएँ ही ऐसी घटी हैं।
कहा जा रहा है कि जेडीयू ने मंगलवार को विधायकों और सांसदों की बैठक बुलाई है। इसी बीच ख़बर यह भी है कि आरजेडी ने भी अपने विधायकों को सोमवार शाम तक पटना में बुलाया है और मंगलवार को बैठक होनी है। कुछ मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि नीतीश कुमार ने सोनिया गांधी से बात की है। एक दिन पहले ही रविवार को नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हुए थे। और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने बीजेपी पर तीखा हमला किया है।
एक घटनाक्रम जेडीयू के पूर्व नेता और नीतीश के क़रीबी रहे आरसीपी सिंह को लेकर घटा। जेडीयू ने पिछले महीने आरसीपी सिंह को राज्यसभा सीट देने से इनकार कर दिया था। इसी को लेकर आरसीपी सिंह ने जदयू को अलविदा कह दिया।
पद छोड़ते हुए आरसीपी सिंह ने कहा था, 'मेरे खिलाफ एक साजिश है क्योंकि मैं केंद्रीय मंत्री बना। मैं सिर्फ इतना कहूंगा कि ईर्ष्या का कोई इलाज नहीं है।' आरसीपी सिंह ने जदयू को डूबता जहाज बताते हुए कहा था, 'नीतीश कुमार अपने सात जन्म में भी प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे।'
इस पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह जवाबी हमला करने उतरे। हाल के दिनों में नीतीश के खिलाफ दो साजिशों का दावा करते हुए ललन सिंह ने कहा कि आने वाले चुनावों में दोनों पार्टियां एक साथ लड़ेंगी या नहीं, यह सवाल अनसुलझा है। उन्होंने कहा, 'कौन जानता है कि कल क्या होगा? कल मेरे साथ कुछ भी हो सकता है। क्यों 2024, 2029 के बारे में पूछें या बात करें?'
ललन सिंह ने कहा, 'हाल के दिनों में नीतीश कुमार के खिलाफ दो साजिशें रची गईं- एक 2020 का चिराग मॉडल, जो हमारी विधानसभा सीटों को 43 पर लाने के लिए ज़िम्मेदार था। दूसरी साज़िश अभी चल ही रही थी और शुरुआत में ही इसे नाकाम कर दिया गया।'