बिहार में 30 लोकेशन पर राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी एनआईए ने छापे मारे। वो टेरर एंगल से फुलवारी शरीफ मामले की जांच के सिलसिले में बिहार पहुंची है। कहा गया है कि जिन लोगों को पकड़ा गया है, उनके निशाने पर पीएम मोदी थे। एनआईए ने इतने बड़े पैमाने पर कभी छापे नहीं मारे थे। बिहार के कुछ इलाके में कथित तौर पर पीएफआई से जुड़े लोगों की तलाश की जा रही है।विभिन्न मीडिया रपटों में एनआईए छापे की जानकारी दी गई है।
न्यूज एजेंसी और अन्य मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि छपरा, दरभंगा, अररिया, मुजफ्फरपुर और पटना सहित कई स्थानों पर अभी भी एनआईए का तलाशी अभियान चल रहा है। ये छापे कथित तौर पर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़े एक संदिग्ध आतंकी मॉड्यूल की जांच के सिलसिले में मारे गए हैं। कुछ मीडिया रपटों में एनआईए सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि पीएफआई के कथित सदस्यों के पास बेहद आपत्तिजनक दस्तावेज पाए गए हैं। इस संगठन पर मार्शल आर्ट ट्रेनिंग की आड़ में हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने का का आरोप है और भारत को 2047 तक 'इस्लामिक राज्य' बनाने का लक्ष्य तय किया गया है। इस जानकारी के सामने आने के बाद एनआईए ने इसकी जांच अपने हाथ में ले ली।
एएनआई न्यूज एजेंसी को सूत्रों ने बताया कि नालंदा में सलीम अख्तर के घर और अरिया में एहसान परवेज के घर की तलाशी एनआईए ने ली है। एनआईए ने 28 जुलाई को भी पटना, दरभंगा, पूर्वी चंपारण, नालंदा और मधुबनी जिलों में छापेमारी की और डिजिटल सबूत जुटाए थे।
पुलिस के मुताबिक 12 जुलाई को पुलिस स्टेशन फुलवारी शरीफ में यह मामला दर्ज किया गया था। लेकिन बाद में केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर एनआईए ने 22 जुलाई को धारा 120, 120 बी, 121, 121 ए, 153 ए, 153-बी और 34 के तहत मामला फिर से दर्ज किया। बिहार पुलिस ने पाया था कि पीएफआई के कथित सदस्यों के प्रतिबंधित संगठन सिमी से कथित संबंध थे। पुलिस ने इस सिलसिले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया था और करीब 26 संदिग्धों की पहचान की थी।
निशाने पर पीएम मोदी थेः पुलिस जांच ने संकेत दिया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके निशाने पर थे। पटना पुलिस ने अतहर परवेज और मोहम्मद जलालुद्दीन को फुलवारी शरीफ इलाके से गिरफ्तार किया था।
उसके बयान पर बाद में मार्गूब दानिश, अरमान मलील और शब्बीर के रूप में पहचाने गए तीन और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। आरोप है कि वे कथित तौर पर एक आतंकी मॉड्यूल चला रहे थे और मुस्लिम युवाओं का ब्रेनवॉश कर रहे थे। परवेज सिमी का सदस्य बताया जाता है और युवाओं को ट्रेनिंग देता था। परवेज के भाई मंजर आलम को पटना के गांधी मैदान बम विस्फोट के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था जो 2013 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली के दौरान हुआ था। आलम बोधगया विस्फोट में भी शामिल था। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है।
मोहम्मद जलालुद्दीन भी सिमी का सदस्य बताया जाता है। पुलिस ने दावा किया है कि उन्होंने पीएम की रैली के दौरान आतंकी हमले को अंजाम देने की कोशिश की थी। पुलिस ने जलालुद्दीन और परवेज के पास से दस्तावेज बरामद किए थे जिसमें लिखा था कि वे 2047 तक भारत को इस्लामिक स्टेट बना देंगे। दोनों युवकों को शारीरिक प्रशिक्षण देने के बहाने पटना में उनका ब्रेनवॉश कर रहे थे। वे कथित तौर पर मुस्लिम युवकों को हिंदू समुदाय के खिलाफ भड़का रहे थे।