मनमोहन सिंह के निधन पर देश-दुनिया से श्रद्धांजलि संदेश आ रहे हैं। विभिन्न क्षेत्रों से आए भावभीनी श्रद्धांजलि संदेश उनके महान व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ कहते हैं। क्या दोस्त और क्या विरोधी। सबके सब उनकी विद्वता, ईमानदारी और उनके महान व्यक्तित्व को याद करते नहीं थक रहे हैं। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को कहा है कि मनमोहन सिंह का जीवन उनकी ईमानदारी और सादगी का प्रतिबिंब है। यह वही पीएम मोदी हैं जिन्होंने कभी कहा था कि 'बाथरूम में रेनकोट पहनकर नहाने की ये कला तो डॉक्टर साहब से ही सीखी जा सकती है।'
प्रधानमंत्री मोदी ने मनमोहन सिंह के बारे में पहले क्या-क्या कहा था, यह जानने से पहले यह जान लें कि उनके निधन के बाद पीएम ने क्या कहा है। पीएम मोदी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हर दल के नेताओं के लिए हमेशा उपलब्ध रहे। वह एक विलक्षण नेता और एक नेकदिल इंसान थे।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, 'डॉ. मनमोहन सिंह जी और मैं उस समय नियमित रूप से बातचीत करते थे जब वे प्रधानमंत्री थे और मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था। उनकी बुद्धिमत्ता और विनम्रता हमेशा देखने को मिलती थी।'
पीएम मोदी ने कहा कि मनमोहन सिंह का जीवन उनकी ईमानदारी, सादगी का प्रतिबिंब था। उन्होंने मनमोहन सिंह को सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक बताया, जिनकी बुद्धिमत्ता और विनम्रता हमेशा दिखाई देती थी। प्रधानमंत्री मोदी जो आज मनमोहन सिंह को लेकर इस तरह की तारीफ़ें कर रहे हैं, कभी उनपर जमकर हमला किया करते थे। वह भी संसद में। यह तब की बात है जब मनमोहन सिंह सत्ता में नहीं थे।
यह मामला है 2017 का। राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा चल रही थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी घेरा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनके कार्यकाल में इतने भ्रष्टाचार हुए, लेकिन उन पर एक दाग़ तक नहीं लगा।
तब उन्होंने कहा था, 'इस देश में आर्थिक क्षेत्र से शायद ही कोई दूसरा है, जो आज़ादी के बाद देश के 70 साल में से आधे वक़्त इतना वर्चस्व रख सका है। इन 70 में से 30-35 साल मनमोहन सिंह सीधे तौर पर वित्तीय फ़ैसलों से जुड़े रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'इस दौरान इतने सारे घोटाले हुए... हम लोग डॉ. साहब से काफ़ी कुछ सीख सकते हैं। इतना कुछ हुआ, लेकिन उनके दामन पर एक भी दाग़ नहीं लगा। बाथरूम में रेनकोट पहनकर नहाने की ये कला तो डॉक्टर साहब से ही सीखी जा सकती है।' जब मोदी मनमोहन सिंह को घेर रहे थे तो वह राज्यसभा में ही बैठे थे।
तब प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान पर काफी हंगामा हुआ था। कांग्रेस ने उनके बयान पर आपत्ति जताई और राज्यसभा से वॉकआउट कर गई थी। राहुल गांधी ने कहा था कि जब कोई प्रधानमंत्री अपने से कहीं ज़्यादा वरिष्ठ पूर्व प्रधानमंत्री का अपमान करता है तो वे संसद और राष्ट्र के सम्मान पर आघात है। वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम ने भी कहा था कि आज तक किसी प्रधानमंत्री ने किसी पूर्व प्रधानमंत्री पर इस तरह की टिप्पणी नहीं की थी।'
प्रधानमंत्री मोदी ने मनमोहन सिंह की महात्वाकांक्षी योजना मनरेगा को लेकर भी कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया था। यह मामला 2015 का है। तब पीएम मोदी को सत्ता में आए एक साल भी पूरा नहीं हुआ था। तब यह सवाल पूछा जा रहा था कि नयी नवेली मोदी सरकार क्या मनमोहन सरकार की मनरेगा योजना को जारी रखेगी?
इस पर लोकसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि यह योजना जारी रहेगी, लेकिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की विफलताओं के जीवंत स्मारक के रूप में।
उन्होंने विपक्षी बेंचों का मजाक उड़ाते हुए कहा, 'मेरी राजनीतिक प्रवृत्ति मुझे बताती है कि मनरेगा को बंद नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह आपकी विफलताओं का जीवंत स्मारक है। सत्ता में इतने सालों के बाद आप केवल इतना ही कर पाए हैं कि एक गरीब आदमी महीने में कुछ दिन गड्ढा खोदता है।'
बता दें कि इस रोजगार योजना को 2005 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की मनमोहन सरकार ने देश के ग्रामीण गरीबों को सामाजिक सुरक्षा देने के इरादे से शुरू किया था। कोई भी परिवार जो शारीरिक श्रम करने के लिए तैयार है, उसे 100 दिन के काम की गारंटी दी गई थी। नौ वर्षों में इस योजना ने 1,750 करोड़ से अधिक दिनों का रोजगार पैदा किया। लेकिन इस योजना में भ्रष्टाचार के आरोप लगे और इसकी आलोचना भी हुई। तब बीजेपी इसको मुद्दा बनाती रही थी।