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लुलू मॉल: नमाज़ व हनुमान चालीसा साजिश तो नहीं?, योगी सरकार सख्त

लुलू मॉल: नमाज़ व हनुमान चालीसा साजिश तो नहीं?, योगी सरकार सख्त

क्या लुलू मॉल को फ्लॉप करने और इसे विवादास्पद बनाने के लिए कोई साजिश रची गई है? अफसरों व मुख्यमंत्री ने भी इस ओर इशारा किया है।

लखनऊ में एनआरआई कारोबारी युसुफ अली के लुलू मॉल में बीते बुधवार को नमाज़ पढ़ने का वीडियो वायरल हुआ और उसके बाद कई हिन्दूवादी संगठनों ने यहां हनुमान चालीसा, रुद्राभिषेक से लेकर सुंदर कांड के पाठ का एलान कर दिया। सरकार की लाख सख्ती के बाद भी दो युवकों ने तो मॉल में बैठकर हनुमान चालीसा पढ़ डाली। 

वैश्विक निवेश सम्मेलन आयोजित कर 10 लाख करोड़ रुपये का निवेश लाने में जुटी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इन घटनाओं को लेकर असहज हो गयी है। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब तक दो बयान जारी कर इन घटनाओं को बड़ी साजिश करार देते हुए सख्त कारवाई के लिए अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। 

मंगलवार को भी मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि मॉल में हुई घटना बड़ी साजिश की ओर इशारा करती है और ऐसा करने वाले बख्शे नहीं जाएंगे।

मॉल में जबरन हनुमान चालीसा पढ़ने की कोशिश कर रहे बीस युवकों को गिरफ्तार किया गया है जिनमें एक अरशद अली भी शामिल है जबकि मंगलवार को सीसीटीवी फुटेज के आधार पर नमाज़ पढ़ने वाले चार लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। 

लखनऊ पुलिस ने बयान जारी कर कहा है कि नमाज़ पढ़ने व उसका वीडियो जारी करने वाले गिरफ्तार चारों युवक मुसलिम ही हैं।

 - Satya Hindi

लुलू मॉल के खिलाफ साजिश

लुलू मॉल का उद्घाटन बीते रविवार  को खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था। लखनऊ में बने इस मॉल पर 2000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है और पहले ही हफ्ते मं यहां 7 लाख से ज्यादा लोग पहुंचे हैं। मॉल की लोकप्रियता का आलम यह है कि बड़ी पार्किंग होने के बावजूद भीड़ के चलते आसपास की सड़कें गाड़ियों से भर जा रही हैं और घुसने के लिए लोगों की लाइन लग रही है। 

लुलू मॉल के आसपास के पॉश गोमतीनगर इलाके में मौजूद कई बड़े शापिंग मॉल में इसके खुलने के बाद से सन्नाटा पसरा है। 

इन हालात में लुलू मॉल को फ्लॉप करने और इसे विवादास्पद बनाने के लिए किसी साजिश से इंकार नहीं किया जा सकता है। खुद सरकार के अधिकारियों व मुख्यमंत्री ने भी इस ओर इशारा किया है।

मुसलिम कर्मचारियों की अफवाह

लखनऊ में लुलू मॉल के उद्घाटन के साथ ही सोशल मीडिया पर एक मुहिम चलायी गयी जिसमें बताया गया कि लुलू मॉल में 80 फीसदी से ज्यादा मुसलिम पुरुष कर्मचारी हैं जबकि बाकी 20 फीसदी महिला हिंदू कर्मचारियों को रखा गया है। इस तथ्य की पड़ताल किए बिना कई हिंदू संगठनों ने इसके खिलाफ आवाज उठानी शुरु कर दी जिनमें अयोध्या के बड़बोले संत स्वामी परमहंसाचार्य व हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास भी शामिल थे। 

बात इतनी ज्यादा बढ़ी कि लुलू मॉल के निदेशक जयशंकर को प्रेस रिलीज जारी कर सफाई देनी पड़ी। प्रेस रिलीज में बताया गया कि मॉल में 80 फीसदी हिंदू कर्मचारी व 20 फीसदी में सिख, मुसलिम व ईसाई धर्मों के लोग हैं।

नमाज़ पढ़ने वालों पर भी संदेह

लुलू मॉल में नमाज़ पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस और प्रबंधन ने जब सीसीटीवी की पड़ताल की तो हैरतअंगेज तथ्य सामने आए। सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा है कि नमाज़ पढ़ने वाले युवक मॉल में न तो खरीददारी करने आए थे न ही घूमने। उन्होंने मॉल में घुसते ही बस नमाज़ पढ़ने की जगह की तलाश करनी शुरु कर दी। गार्ड द्वारा रोके जाने पर वो दूसरे मॉल पर चले गए और खाली जगह देखते हुए आनन-फानन में नमाज़ पढ़ने का स्वांग किया और वीडियो बनाकर चलते बने। 

नमाज़ पढ़ने वाले युवकों ने इसकी दिशा की भी परवाह नहीं की और गलत दिशा में बैठ कर जल्दी-जल्दी नमाज़ पढ़ी। मंगलवार को सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जिन चार युवकों को पकड़ा गया है उनमें से एक तो पड़ोसी जिले सीतापुर का रहने वाला है।

निवेशकों पर होगा गलत असर

प्रदेश की योगी सरकार ने जिस धूम धड़ाके के साथ देश के इस सबसे बड़े मॉल के खुलने का प्रचार किया था ताजा विवाद से उस पर आंच आ रही है। सरकार को इस विवाद से निवेशकों पर गलत असर पड़ने का अंदेशा है। इसी के चलते सरकार से लेकर प्रशासन तक इस मामले में सख्ती दिखा रहा है। खुद मुख्यमंत्री ने इस विवाद का जल्द से जल्द पटाक्षेप करने को कहा है और अब तक लुलू मॉल से संबंधित पुलिस क्षेत्र के कई अधिकारी हटाए जा चुके हैं। हनुमान चालीसा पढ़ने वालों से लेकर नमाज़ अदा करने वालों तक को गिरफ्तार किया जा रहा है और मॉल में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ायी गयी है। 

योगी सरकार जनवरी में वैश्विक निवेश सम्मेलन की तैयारी कर रही है और इसके जरिए 10 लाख करोड़ रुपये का निवेश जुटाने का लक्ष्य रखा गया है।

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