मुंबई: हमास-इज़राइल पर पोस्ट के लिए स्कूल प्रिंसिपल से इस्तीफा मांगा: रिपोर्ट
एक रिपोर्ट के अनुसार इज़राइल-हमास संघर्ष पर ट्वीट करने के लिए मुंबई के एक स्कूल की प्रिंसिपल को इस्तीफा देने के लिए कह दिया गया है। हालाँकि, उन्होंने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। इस मुद्दे से सवाल खड़ा होता है कि क्या कहीं नौकरी करने वाले शख्स की अभिव्यक्ति की आज़ादी नहीं हो सकती है? यही सवाल अब प्रिंसिपल पूछ रही हैं।
दरअसल, यह मामला मुंबई के विद्याविहार के सोमैया स्कूल का है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार परवीन शेख वहाँ के एक निजी स्कूल में 12 साल से कार्यरत हैं। क़रीब सात साल पहले उनको प्रिंसिपल बनाया गया। तब तक सबकुछ सामान्य चलता रहा जब तक कि 'ऑपइंडिया' नाम की वेबसाइट ने 24 अप्रैल को उनकी पोस्ट पर एक रिपोर्ट प्रकाशित न कर दी। वेबसाइट की रिपोर्ट में परवीन के एक्स हैंडल के माध्यम से फिलिस्तीन समर्थक पोस्टों पर लाइक्स व कमेंट और हमास के प्रति सहानुभूति रखने वाली कुछ पोस्टों का ज़िक्र किया गया था। इसके बाद ही प्रिंसिपल पर कार्रवाई करने के लिए दबाव है।
परवीन शेख ने अंग्रेजी अख़बार से कहा कि वेबसाइट में उस रिपोर्ट के आने के बाद प्रबंधन ने उन्हें बुलाया और इस्तीफा देने को कहा। उन्होंने इस्तीफ़ा देने से इनकार कर दिया है और कहा है कि उन्होंने संस्थान के लिए अपना पूरा योगदान दिया है।
इस बीच छात्रों के माता-पिता का एक समूह स्कूल के ट्रस्ट के पास पहुंचा और परवीन शेख को उनकी 'ईमानदारी, पेशेवर रवैया और स्कूल को विकास की दिशा में आगे बढ़ाने में भूमिका' के लिए अपना समर्थन दिया। एक अभिभावक ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'कुछ विषयों पर उनके विचारों से कोई फर्क नहीं पड़ता।'
रिपोर्ट के अनुसार परवीन शेख ने कहा कि 26 अप्रैल को हुई एक बैठक में प्रबंधन ने मुझसे कहा कि यह उनके लिए एक कठिन निर्णय है और उन्होंने मुझसे इस्तीफा देने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि मैंने अगले कुछ दिनों तक काम करना जारी रखा, लेकिन प्रबंधन के प्रतिनिधियों ने मुझ पर इस्तीफा देने के लिए दबाव डाला। उन्होंने कहा, 'मैं लोकतांत्रिक भारत में रहती हूँ, मैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत का बहुत सम्मान करती हूँ क्योंकि यह लोकतंत्र की आधारशिला है। यह मेरी समझ में नहीं आ रहृा है कि मेरी अभिव्यक्ति से ऐसी दुर्भावनापूर्ण प्रतिक्रिया भड़केगी, उनके एजेंडे को बढ़ावा मिलेगा।'
उन्होंने कहा, 'प्रबंधन हमेशा मददगार और सकारात्मक रहा है। वे स्कूल के विकास और सफलता में मेरी भूमिका को मानते हैं और मेरे काम से खुश हैं। वे कहते हैं कि यह उनके लिए एक कठिन निर्णय है।' उन्होंने कहा कि जब तक उन्हें प्रबंधन द्वारा इसके बारे में सूचित नहीं किया गया तब तक वह वेब पोर्टल या रिपोर्ट से अनजान थीं।
रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने यह भी कहा कि सोमैया संस्था के कर्मचारियों की सार्वजनिक या राजनीतिक टिप्पणियों के लिए कोई औपचारिक प्रोटोकॉल नहीं है। उन्होंने कहा, 'मार्च में एक बैठक में यह साफ़ किया गया था कि कर्मचारी अपने निजी सोशल मीडिया खातों पर अपने व्यक्तिगत विचार रख सकते हैं, बशर्ते वे साफ़ तौर पर बताएं कि ये व्यक्तिगत राय हैं'।
सोमैया ट्रस्ट के एक प्रवक्ता ने शेख के उस बयान पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा गया है। प्रवक्ता ने कहा कि ट्रस्ट पहले से कही गई बातों से आगे कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेगा- 'आज (24 अप्रैल) हमारे संज्ञान में लाए जाने तक हम इससे अनजान थे। हम ऐसी भावनाओं से सहमत नहीं हैं। यह निश्चित रूप से चिंताजनक है। हम मामले की जांच कर रहे हैं।'