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रामपुर से नक़वी को नहीं मिला टिकट, आज़मगढ़ से लड़ेंगे निरहुआ

रामपुर से नक़वी को नहीं मिला टिकट, आज़मगढ़ से लड़ेंगे निरहुआ

लोकसभा और राज्यसभा का सदस्य न होने की सूरत में मुख्तार अब्बास नक़वी को केंद्रीय मंत्री पद छोड़ना होगा। बीजेपी अपने इस मुखर नेता को कहां एडजस्ट करेगी, इसे लेकर जोरदार चर्चा है।  

बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में 2 लोकसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों के नामों का एलान शनिवार को कर दिया है। रामपुर सीट पर घनश्याम लोधी को टिकट दिया गया है जबकि आजमगढ़ सीट पर जाने-माने भोजपुरी कलाकार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को उम्मीदवार बनाया गया है।

इस बात की जोरदार चर्चा थी कि बीजेपी रामपुर सीट से केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी को टिकट दे सकती है। क्योंकि नक़वी को इस बार बीजेपी ने राज्यसभा चुनाव में भी उम्मीदवार नहीं बनाया है। लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया। उनका राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त होने वाला है। 

आजमगढ़ सीट समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के विधायक चुने जाने की वजह से खाली हुई है जबकि आजम खान ने उत्तर प्रदेश विधानसभा का सदस्य चुने जाने की वजह से रामपुर लोकसभा सीट से इस्तीफा दिया है।

ऐसे में मुख्तार अब्बास नक़वी को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ेगा। बीजेपी के पास राज्यसभा में तीन मुसलिम नेता थे लेकिन इस बार मुख्तार अब्बास नक़वी के साथ ही सैयद जफर इस्लाम और एमजे अकबर को भी पार्टी ने उम्मीदवार नहीं बनाया। इनकी जगह पर भी किसी मुसलिम नेता को राज्यसभा नहीं भेजा गया है। 

लोकसभा में भी बीजेपी का कोई सांसद मुसलिम समुदाय से नहीं है।

एक और चर्चा 

मुख्तार अब्बास नक़वी को लेकर चर्चा इस बात की है कि बीजेपी उन्हें एनडीए की ओर से उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना सकती है। इस पद के लिए कर्नाटक के राज्यपाल और दलित नेता थावरचंद गहलोत का भी नाम चल रहा है।

बीजेपी ने इसके साथ ही त्रिपुरा में 4 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव, आंध्र प्रदेश, दिल्ली और झारखंड में एक 1-1 सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए भी उम्मीदवारों के नाम का एलान कर दिया है।

रामपुर उत्तर प्रदेश की एकमात्र ऐसी लोकसभा सीट है जहां मुसलिम मतदाताओं की संख्या 50% से ज्यादा है। इस सीट पर मुख्तार अब्बास नक़वी की सक्रियता लगातार बनी रही है। वह यहां से एकबार 1998 में लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। लेकिन 1999 और 2009 में उन्हें यहां हार भी मिली थी। उसके बाद पार्टी ने नक़वी को लोकसभा चुनाव लड़ने का मौक़ा नहीं दिया।

2019 में इस सीट पर सपा-बसपा और रालोद के गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर आजम खान चुनाव जीते थे।  

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