मुकेश अंबानी के घर के बाहर खड़ी की गई स्कॉर्पियो कार में मिले विस्फोटक के मामले में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। इस मामले में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी एनआईए ने एनकाउंटर स्पेशलिस्ट रहे सचिन वाजे को गिरफ्तार किया था। एनआईए की जांच में पता चला है कि घटना के दिन सीसीटीवी में जिस स्कॉर्पियो कार के पीछे इनोवा कार दिखी थी, दरअसल उस कार का इस्तेमाल सचिन वाजे कर रहे थे। एनआईए अब सचिन वाजे के साथ काम करने वाले एक सब-इंस्पेक्टर और एक कांस्टेबल से पूछताछ कर रही है।
इस मामले में भले ही एनआईए ने सचिन वाजे को गिरफ्तार कर लिया है लेकिन स्कॉर्पियो कार में विस्फोटक रखने की क्या वजह थी ये अब तक साफ नहीं हुआ है। एनआईए सचिन वाजे से दो दिन से पूछताछ कर यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर सचिन वाजे ने इस घटना को अंजाम क्यों दिया।
क्या इस घटना में सचिन वाजे को सिर्फ मोहरा बनाया गया? क्या इसका मास्टरमाइंड कोई और है, इसी का पता लगाने में एनआईए जुटी हुई है। एनआईए अपराध का मोटिव पता करने में जुटी है और एक साथ कई लाइन पर उसकी तहक़ीक़ात जारी है ।
पहली थ्योरी
सचिन वाजे से जब एनआईए ने पूछताछ में स्कॉर्पियो कार में विस्फोटक रखने का सवाल किया था, तो पहले तो वाजे ने विस्फ़ोटक रखने से इनकार कर दिया लेकिन बाद में जब एनआईए ने कड़ाई से पूछताछ की तो वाजे ने कहा कि पिछले काफी समय से उसके ऊपर कोई ध्यान नहीं दे रहा था जिसके चलते लाइम लाइट में आने के लिए उसने इस तरह की घटना की साजिश रची। हालांकि वाजे का यह कुबूलनामा एनआईए के अधिकारियों के गले से नीचे नहीं उतर रहा है। क्योंकि एनआईए के अधिकारियों का कहना है कि वाजे देश के बड़े उद्योगपति की सुरक्षा के साथ इस तरह का खतरा मोल नहीं ले सकता है। इसलिए एनआईए ने वाजे की इस थ्योरी को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।
दूसरी थ्योरी
मुंबई के राजनीतिक गलियारों में एक दूसरी थ्योरी यह भी चल रही है कि सचिन वाजे को दरअसल इस घटना के लिए सिर्फ इस्तेमाल किया गया है जबकि इस घटना का मास्टरमाइंड कोई और है। सचिन वाजे से जब एनआईए ने इस बारे में पूछताछ की तो उसने कहा कि वह तो इस घटना का छोटा सा प्यादा है, बड़ी मछली कोई दूसरी है। वैसे, एनआईए इस केस में बड़ी मछली की ही तलाश कर रही है कि किसके सहयोग से सचिन वाजे ने इस घटना को अंजाम दिया।
सचिन वाजे साल 2006 से निलंबित चल रहे थे उस दौरान वाजे ने शिव सेना ज्वाइन कर ली थी। इसके बाद सचिन वाजे ने कई कंपनियां शुरू कीं, जिसमें कंस्ट्रक्शन की एक कंपनी शामिल थी। जैसे ही महाराष्ट्र में शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनी वैसे ही मुंबई पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह ने वाजे को मुंबई पुलिस में बहाल कर दिया। जबकि वाजे को हाई कोर्ट के आदेश के बाद निलंबित किया गया था ऐसे में निलंबन वापस लेकर परमवीर ने वाजे पर बहुत बड़ा दांव खेला।
परमवीर ने वाजे को मुंबई क्राइम ब्रांच की सबसे स्पेशल यूनिट- क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट का चीफ बना दिया। यहीं से वाजे की क्राइम ब्रांच में तूती बोलने लगी और वह जो चाहते वह क्राइम ब्रांच में हो जाता था।
सचिन वाजे सुशांत सिंह राजपूत केस से लेकर टीआरपी घोटाला केस या कंगना रनौत जैसे अहम केस खुद हैंडल करने लगे। मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली स्कॉर्पियो कार में विस्फोटक मिलने की जांच भी परमवीर ने सचिन वाजे को ही दी थी और वही इस घटना की जांच कर रहे थे।
परमवीर के क़रीबी थे वाजे
मुंबई क्राइम ब्रांच के कुछ अधिकारी दबी जुबान में कहते हैं कि वाजे मुंबई पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह के इतने खास थे की क्राइम ब्रांच में अगर किसी का तबादला करना होता था तो परमवीर वाजे से ही सलाह लेते थे। ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर एनआईए के अनुसार जब वाजे ने अपना जुर्म कुबूल कर ही लिया है कि स्कॉर्पियो गाड़ी में विस्फोटक उन्होंने ही रखा था तो इस बात की जानकारी परमवीर सिंह को जरूर रही होगी। यही कारण है कि एनआईए के अधिकारी अब इस मामले में मुंबई पुलिस कमिश्नर से भी पूछताछ कर सकते हैं।
वैसे कुछ राजनेता आपस में यह भी चर्चा कर रहे हैं कि कहीं अंबानी परिवार को डराने के लिए इस तरह की साजिश को अंजाम दिया गया हो और इसके बदले में कुछ रकम ऐंठने की भी बात हो सकती है। क्योंकि इसका लिंक दिल्ली की तिहाड़ जेल से भेजे गए एक टेलीग्राम मैसेज से साफ हो जाता है। जिसमें एक आतंकी संगठन का नाम लिखकर अंबानी परिवार से मांग की गई थी कि उनका मकसद अंबानी परिवार को नुकसान पहुंचाना नहीं है। उस मैसेज में पैसे के लेनदेन की बात भी कही गई थी।
मनसुख हिरेन।
तीसरी थ्योरी
महाराष्ट्र की राजनीति में तीसरी और सबसे बड़ी थ्योरी यह चल रही है कि केंद्र सरकार एजेंसियों के दम पर मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र एटीएस को बदनाम करके सरकार को अल्पमत में लाने की कोशिश कर रही है। इस थ्योरी का जवाब शिव सेना और एनसीपी के बड़े नेता दे चुके हैं।
शिव सेना सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि केंद्र सरकार केंद्रीय एजेंसियों के दम पर मुंबई पुलिस और एटीएस को बदनाम कर सरकार पर अनावश्यक दबाव डालने का प्रयास कर रही है।
राउत से सहमत हैं पवार
संजय राउत तो सचिन वाजे के समर्थन में पूरी तरह से खड़े दिखाई दे रहे हैं। राउत का कहना है कि सचिन वाजे काफी ईमानदार अफसर रहे हैं। उधर, एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने भी संजय राउत की हां में हां मिलाते हुए कहा कि केंद्र सरकार का राज्य के इस केस में हस्तक्षेप कुछ संदेह पैदा करता है। पवार ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस तरह का हस्तक्षेप सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के मामले में भी कर चुकी है लेकिन वहां पर केंद्र को मुंह की खानी पड़ी थी।
बहरहाल, मुकेश अंबानी के घर के बाहर स्कॉर्पियो में विस्फोटक रखने के पीछे की वजह भले ही अभी तक साफ नहीं हो लेकिन इस घटना से महाराष्ट्र में सियासी हलचल काफी तेज हो गई है। सोमवार को शरद पवार ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से हालिया घटनाक्रम पर चर्चा की। उसके बाद पवार ने एनसीपी कोटे के मंत्रियों के साथ बैठक की।
बताया जा रहा है कि शरद पवार ने अपने मंत्रियों को सख्त आदेश दिया है कि वह इस घटना पर मीडिया में बोलने से बचें। शरद पवार खुद संसद के बजट सत्र को छोड़कर मुंबई में डेरा डाले हुए हैं और इस घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं।
नीतेश राणे का सनसनीखेज आरोप
उधर, बीजेपी विधायक नीतेश राणे ने सचिन वाजे पर पिछले आईपीएल में सट्टेबाजों से हफ्ता लेने का गंभीर आरोप लगाया। राणे ने कहा कि पिछले साल आईपीएल शुरू होने से पहले वाजे ने मुंबई के सट्टेबाज़ों पर कार्रवाई नहीं करने के एवज में 150 करोड़ रुपये की माँग की थी।
राणे ने साथ ही शिव सेना के युवा नेता वरुण सरदेसाई पर आरोप लगाया कि जैसे ही वरुण को पता लगा कि वाजे ने सटोरियों से 150 करोड़ रुपये की डिमांड की है तो उसमें से अपना हिस्सा मांगने के लिए वरुण सरदेसाई ने वाजे को फोन किया था। राणे ने एनआईए से वाजे और सरदेसाई की कॉल डिटेल निकालने की मांग की है।
राणे ने यह भी आरोप लगाया कि वाजे का गॉड फादर कौन है, इस बात की जांच होनी चाहिए। वरुण सरदेसाई ने राणे द्वारा लगाए गए आरोपों को सिरे से नकार दिया है। सरदेसाई ने साथ ही राणे पर क्रिमिनल केस करने का भी एलान किया है।