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शिवराज की पुलिस ने बजरंग दल वालों पर डंडे बरसाए, अब थानेदार को हटाया

शिवराज की पुलिस ने बजरंग दल वालों पर डंडे बरसाए, अब थानेदार को हटाया

मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार की पुलिस को आखिर बजरंग दल और विहिप सदस्यों पर लाठीचार्ज क्यों करना पड़ा? जानिए, विवाद होने पर अब इसने क्या क़दम उठाया।

मध्य प्रदेश की व्यावसायिक नगरी इंदौर में गुरुवार देर शाम उत्पात मचाने, पत्थरबाजी करने और वाहनों में तोड़फोड़ करने वाले बजरंग दल कार्यकर्ताओं को राजनीतिक घेराबंदी के बीच शुक्रवार ते छोड़ दिया गया। उस क्षेत्र के थानेदार को राज्य की सरकार ने हटा दिया, जिनके क्षेत्र में यह उत्पात हुआ। एडीजी स्तर के अफसर से जांच कराये जाने का एलान प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने किया।

पूरा मामला दिलचस्प और चौंकाने वाला है। इंदौर के पलासिया थाने पर बजरंग दल कार्यकर्ता प्रदर्शन करने पहुंचे थे। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि क्षेत्र में खुले आम नशीले पदार्थों की अवैध बिक्री हो रही है। कारोबार चल रहा है। बार-बार शिकायत के बावजूद पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। नशे के कारोबारियों एवं माफिया को पकड़ा नहीं जा रहा है। पुलिस से सांठगांठ होने का आरोप भी प्रदर्शनकारियों ने लगाया था।

पुलिस का कहना है कि ज्ञापन देने की आड़ में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी थाने पहुंच गए थे। थाना पहुंचे प्रदर्शनकारियों को आश्वस्त किया गया था कि उनके आवेदन पर अतिशीघ्र कार्रवाई की जायेगी और शिकायतों को दूर कर दिया जाएगा। बताया गया है कि बातचीत के बीच प्रदर्शनकारी आक्रोशित हो गए। थाने के सामने भारी ट्रैफिक वाली रोड पर धरने पर बैठ गए। प्रदर्शनकारी मांग कर रहे थे कि इंदौर के पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर मौके पर आयें, शिकायतों को सुनें, नशा कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई करें।

पुलिस के कई बार आग्रह करने पर भी ये नहीं उठे तो जबरिया उठाने के साथ पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा। इसके बाद बात बिगड़ गई। बलपूर्वक ढकेलने पर प्रदर्शनकारी उग्र हो गए। उन्होंने थाने के करीब स्थित 56 दुकान बाजार में हंगामा किया। लोगों पर पत्थर फेंके। वाहनों में तोड़फोड़ की। पुलिस ने काबू में करना चाहा तो उन्हें भी निशाना बनाया। कुल चार पुलिस वाले घायल हुए। दो को ज्यादा चोट आयी।

उधर पुलिस ने दौड़ा-दौड़ाकर प्रदर्शनकारियों को पीटा। लाठी चार्ज में कई प्रदर्शनकारी बुरी तरह चोटिल हुए। बजरंग दल और विहिप के 15 प्रदर्शनकारियों को पकड़ कर पुलिस ने जेल भेज दिया। जेल पहुंचाये जाने के बाद भी प्रदर्शनकारी शांत नहीं हुए। अनेक आरोप लगाते हुए उन्होंने जेल में भूख हड़ताल शुरू कर दी।

प्रदर्शनकारी काफ़ी देर तर अड़े रहे कि दोषी पुलिस वालों पर कार्रवाई नहीं होने और नशे का कारोबार थमने की ख़बरें नहीं मिलने तक वे अन्न-जल ग्रहण नहीं करेंगे।

पूरे घटनाक्रम की भनक लगी तो भाजपा नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे, भाजपा नगर उपाध्यक्ष व हिंद रक्षक संगठन के राष्ट्रीय संयोजक एकलव्य सिंह गौड़ और अन्य नेता थाने एवं जेल पहुंचे। गिरफ्तार कार्यकर्ताओं से बातचीत की।

रात को ही भोपाल फोन किया गया। भोपाल से ‘निर्देश’ पहुंचने पर पुलिस का रवैया ‘नरम’ पड़ा। जेल में बंद प्रदर्शनकारियों को आनन-फानन में आधी रात के बाद मेडिकल कराने के लिए अस्पताल लाया गया। अलसुबह करीब 4 बजे सभी गिरफ्तार प्रदर्शनकारियों को जमानत पर छोड़ दिया गया।

राज्य के गृहमंत्री और सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने शुक्रवार को मीडिया को ब्रिफिंग में बताया, ‘कानून और व्यवस्था की स्थिति से निपट पाने में असफल रहने वाले थाने के इंचार्ज के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।’ गृहमंत्री के बयान के कुछ ही देर बाद पुलिस स्टेशन के इंचार्ज को थाने से हटा देने के आदेश जारी कर दिए गए। गृहमंत्री मिश्रा ने पूरे घटनाक्रम की जांच भोपाल से एडीजी स्तर के अधिकारी को भेजकर कराने की घोषणा भी की।

मध्य प्रदेश कांग्रेस ने की आलोचना

मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने कहा, ‘राज्य में कानून-व्यवस्था चौपट हो चुकी है। भाजपा और उसके अनुषांगिक संगठन भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। इंदौर में बजरंग दल एवं विहिप कार्यकर्ताओं द्वारा उपद्रव मचाना और पुलिस की एफआईआर के बाद भाजपा नेताओं द्वारा दबाव बनाकर आरोपियों को छोड़ दिया जाना, कांग्रेस के आरोप का पुख्ता प्रमाण है।’

के के मिश्रा ने कहा, ‘कर्नाटक में बजरंग दल और ऐसे कट्टरवादी अन्य संगठनों को बैन करने के कांग्रेस के कदम पर भाजपा बवाल मचा रही थी। अब बीजेपी शासित राज्य मध्य प्रदेश में बजरंग दल-विहिप क्या कर रहे हैं? उनसे जुड़ा काला पक्ष सामने आया तो कट्टरपंथी नेता एवं राज्य की सरकार, उपद्रव मचाने वालों को बचाने एवं मामले में लीपापोती करने में जुट गए।’

कौनसी धाराएं लगाईं, यह स्पष्ट नहीं

इंदौर में हंगामा करने वाले बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद के प्रदर्शनकारियों पर कौन-कौन सी धाराओं में मामला दर्ज किया गया, इसका ‘खुलासा’ पुलिस ने नहीं किया है। मीडिया द्वारा बार-बार किए गए सवालों के बावजूद पुलिस ने नहीं बताया कि क्या धाराएं लगाकर प्रदर्शनकारियों को जेल भेजा गया और पुलिस कमिश्नर को प्राप्त किन शक्तियों के तहत इन्हें छोड़ दिया गया।

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