गंभीर हालत में मरीज को खाट पर अस्पताल ले गए थे और निधन होने पर खाट पर ही शव को वापस लाना पड़ा। यानी मरीज को न तो एंबुलेंस से किसी तरह की सहायता नसीब हुई और न ही मरीज के निधन के बाद शव को शव वाहन। परिवार की महिलाएँ शव को खाट पर लेकर घर लौटीं।
सोशल मीडिया पर साझा किया गया वीडियो संवेदनाओं को कुरेदने वाला है। वीडियो में दिखता है कि रोती-बिलखती चार महिलाएँ खाट को कंधों या सिर पर ले जा रही हैं।
यह मामला मध्य प्रदेश के रीवा ज़िले का है। पूछे जाने पर महिलाओं ने बताया कि बीमार पड़ने पर वे अपने रिश्तेदार को जिले के रायपुर गांव स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गई थीं। लेकिन महिला की हालत बिगड़ती गई और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
महिलाओं ने आरोप लगाया कि शव को घर वापस ले जाने के लिए स्वास्थ्य केंद्र ने उन्हें शव वाहन नहीं दिया। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार एक महिला ने कहा, 'हमने शव को खाट पर ले जाने का फ़ैसला किया। न तो स्वास्थ्य केंद्र और न ही प्रशासन ने हमारी मदद की।'
एक अन्य महिला ने कहा, 'हम वैसे ही घर वापस जा रहे हैं जैसे हम आए थे।'
महिलाओं के आरोप पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी एल मिश्रा ने कहा कि स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी शव वाहन या ऑटो की व्यवस्था करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन परिवार ने शव को खाट पर ले जाने का फ़ैसला किया और जल्दी में निकल गए। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार डॉ. मिश्रा ने कहा, 'यह कोई बड़ी बात नहीं है, हमारे पास इलाक़े में शव वाहन नहीं है।'
छत्तीसगढ़ में भी दिखी थी असंवेदनशीलता
मध्य प्रदेश की तरह का ही एक मामला हाल ही में छत्तीसगढ़ में आया था। एक व्यक्ति को अस्पताल में मृत उसकी बेटी के साथ यूँ ही छोड़ दिया गया था! उसे अपने घर जाने के लिए अपनी बेटी के शव को 10 किलोमीटर कंधे पर ले जाना पड़ा था।
वह मामला छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले का था। अपनी सात वर्षीय बेटी के शव को कंधे पर उठाए एक व्यक्ति का वीडियो वायरल हुआ था। उस घटना को लेकर अस्पताल और छ्त्तीसगढ़ के प्रशासन पर सवाल उठे तो स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने जांच के आदेश दिए। स्वास्थ्य मंत्री ने ट्वीट में निधन पर शोक जताते हुए यह भी दावा किया था कि शव वाहन के लिए ख़बर कर उसे चिकित्सालय बुला भी लिया गया था, लेकिन शोक संतप्त परिवार ने शव को खुद से ले जाने का निर्णय लिया।