सुप्रीम कोर्ट के फ्लोर टेस्ट के आदेश और स्पीकर एनपी प्रजापति द्वारा कांग्रेस के 16 बाग़ी विधायकों के इस्तीफ़े मंजूर कर लिए जाने के बाद मध्य प्रदेश की 15 महीने पुरानी कमलनाथ सरकार के बच पाने की संभावनाएँ लगभग ख़त्म हो गई हैं। फ्लोर टेस्ट के लिए दो बजे का समय सुनिश्चित किया गया है। चूँकि राजनीति में कई बार असंभव बात भी संभव हो जाया करती है, लिहाज़ा मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस के मैनेजर्स हार मानने को तैयार नहीं हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ के पास अब ‘तीन रास्ते’ ही नज़र आ रहे हैं।
तमाम ताज़ा राजनीतिक हालातों के बाद अब यही सवाल हैं, ‘क्या करेंगे कमलनाथ क्या कमलनाथ अपनी सरकार को बचाने में कामयाब हो पायेंगे ये और ऐसे अनेक सवाल आम जनता से लेकर मीडिया तक और राजनैतिक से लेकर प्रशासनिक गलियारों तक में उठ रहे हैं। वैसे, कमलनाथ सरकार का जाना तो उसी दिन तय हो गया था जिस दिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का ‘हाथ’ छोड़कर बीजेपी का भगवा दुपट्टा अपने गले में डाल लिया था। सिंधिया ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह की 'ऊँगली पकड़ने' के ठीक पहले अपने खेमे के 19 विधायकों को बीजेपी को ‘सौंप’ दिया था।
बीजेपी के साथ जाने के बाद इन 19 विधायकों ने बेंगलुरू के रिसार्ट से अपने इस्तीफ़े स्पीकर को भेज दिये थे। इन विधायकों के त्यागपत्र के बाद सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस के एक अन्य तथा मंत्री पद नहीं देने से दुःखी दिग्विजय सिंह समर्थक दो वरिष्ठ विधायकों ने इस्तीफ़े देकर रही-सही कसर भी पूरी कर दी थी।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद से मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस के प्रबंधकों के चेहरे लटक गये। लटके चेहरों को देखकर लगने लगा था कि ऊपरी तौर पर भले ही बहुमत होने का कांग्रेस के लोग दावा करें, लेकिन अंदर से सभी ने हार मान ली है।
कमलनाथ के पास क्या बचे हैं रास्ते
मुख्यमंत्री नाथ के पास अब बचे हैं, ये तीन रास्ते-
पहला - फ्लोर टेस्ट के लिए जाने के पहले ही मुख्यमंत्री पद से कमलनाथ इस्तीफ़ा दे दें और विपक्ष में बैठें।दूसरा - फ्लोर टेस्ट दें। इसमें भले ही हार मिले। कहने को होगा - बीजेपी ने विधायकों की तथाकथित खरीद-फरोख्त कर चुनी हुई उनकी सरकार को कैसे सत्ताच्युत किया। सदन में हार के बाद प्रतिपक्ष बनकर सरकार की कदम-कदम पर घेराबंदी और खाली हुई 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव जीतने के लिए पूरा दम लगाया जाए। इसमें जीत कर सत्ता में वापसी की जा सकती है। माना जा रहा है कि जोड़तोड़ की सरकार बहुत दिनों तक ठीक से चल नहीं पाएगी। असंतुष्टों को साधने का मौक़ा कांग्रेस को भी आगे ज़रूर मिलेगा। लिहाज़ा फ़िलहाल विपक्ष में बैठा जाए।
तीन - ‘हम नहीं तो तुम भी नहीं’ फ़ॉर्मूले पर आगे बढ़ें। यानी सभी 92 कांग्रेस के विधायक अपने इस्तीफ़े दे दें। सामूहिक इस्तीफ़ों से मध्यावधि चुनाव के हालात बनेंगे। जानकार कहते हैं, मध्यावधि के हालात पैदा करना आसान हो सकता है - लेकिन नये सिरे से सरकार में आने के लिए 116 सीटें फिर जीत पाना क़तई आसान नहीं होगा। जानकार यह भी बताते हैं, ‘सत्ता में वापसी के लिए कमलनाथ और कांग्रेस के लिए आसान राह प्रतिपक्ष में बैठकर नई बनने वाली बीजेपी की सरकार के लिए गड्ढे खोदना और संभावित अंतर्कलह का फायदा उठाकर रिक्त हुई 24 सीटों के उपचुनाव पर फोकस करने वाला मार्ग ज़्यादा आसान होगा।’
ऐसे बच सकती है कमलनाथ सरकार
मुख्यमंत्री कमलनाथ के पास अपनी सरकार को बचाने का एक रास्ता यह भी है कि वह भी बीजेपी विधायकों में सेंध लगा दें। स्पीकर द्वारा 16 बाग़ी विधायकों के इस्तीफ़े मंजूर कर लिये जाने के बाद सदन में सदस्यों की कुल संख्या अब 206 बची है। इस नंबर पर बहुमत साबित करने के लिए 104 विधायकों की ज़रूरत होगी।
कांग्रेस के पास 92 विधायक हैं। बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलियों का समर्थन सरकार को प्राप्त है। बीजेपी के एक विधायक नारायण त्रिपाठी भी कांग्रेस के साथ खड़े नज़र आ रहे हैं। बहुमत साबित करने वाले टेस्ट में ये सभी आठ विधायक कांग्रेस का साथ देंगे तो भी कांग्रेस का संख्याबल 100 ही हो पायेगा। रास्ता यही बचता है कि बीजेपी के चार विधायक कांग्रेस के पक्ष में वोट करें।
एक अन्य ‘गणित’ कमलनाथ सरकार के बचने का यह भी है कि बीजेपी के नौ विधायकों को सदन से अनुपस्थित करा दिया जाए। यदि बीजेपी के नौ विधायक वोटिंग के वक़्त सदन से नदारत हो जाएँ तो कमलनाथ की सरकार नंबर गेम में बच जाएगी।
चूँकि बीजेपी ने अपने विधायकों को ‘नज़रबंद’ कर रखा है, लिहाज़ा चाहकर भी सत्तारूढ़ दल इस तरह के ‘खेल’ (भाजपा विधायकों के खेमा बदलवाने) में सफल होता नज़र नहीं आ रहा है। कांग्रेस, बीजेपी और सपा ने व्हिप जारी कर रखी है। साफ़ है कि किसी ने भी व्हिप का उल्लंघन किया तो उसका ‘राजनीतिक कैरियर’ तबाह हो सकता है।
12 बजे कमलनाथ की प्रेस कॉन्फ़्रेंस
फ्लोर टेस्ट के पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ दोपहर 12 बजे प्रेस से बात करेंगे। ऐसा माना जा रहा है कि प्रेस कॉन्फ़्रेंस में मुख्यमंत्री 15 महीनों के कार्यकाल में किए गए अपने कामकाज और सरकार की उपलब्धियाँ गिनायेंगे।
यह भी तय माना जा रहा है कि उनकी सरकार को अस्थिर करने को लेकर प्रेस कॉन्फ़्रेंस में वह बीजेपी पर निशाना भी साधेंगे। मुख्यमंत्री बतायेंगे कि उनकी सरकार को गिराने के लिए प्रतिपक्ष बीजेपी ने किस तरह का खेल खेला।