एमपी के ‘एक्स सुपर चीफ़ मिनिस्टर’ पर क्यों लग रहे गंभीर आरोप?

10:14 pm Dec 23, 2024 | संजीव श्रीवास्तव

शिवराज सरकार में सुपर चीफ़ मिनिस्टर करार दिए जाने वाले राज्य के पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस बुरी तरह से घिर गए हैं। मध्य प्रदेश में कुछ कारोबारियों पर इनकम टैक्स छापे के बाद बैंस पर तीखे हमले बोले जा रहे हैं। कांग्रेस ने सैकड़ों करोड़ के करप्शन के लिए रविवार को प्रेस कांफ्रेंस में दस्तावेज पेश करते हुए बैंस को कठघरे में खड़ा कर दिया है।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में इनकम टैक्स ने कुछ कारोबरियों के यहां 52 स्थानों पर छापेमारी की है। जिन कारोबारियों के यहां छापा पड़ा है, उनमें बिल्डर-डेवलपर्स, खनिज करोबारी और अन्य व्यवसाय करने वाले कारोबारी शामिल हैं। तीन कारोबारियों में से एक राजेश शर्मा नामक कारोबारी सबसे ज्यादा सुर्खियों में हैं। राजेश शर्मा के साथ इकबाल सिंह बैंस के नाम को कांग्रेस जोड़ रही है।

बता दें कि इकबाल सिंह बैंस भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1985 बैच के अफसर थे। शिवराज सरकार में वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेहद पसंदीदा और अत्याधिक खास अफसरों में शुमार रहे।

शिवराज सिंह के मुख्यमंत्री रहते, अधिकांशतः उनकी नियुक्ति मुख्यमंत्री सचिवालय में विभिन्न पदों पर रही। वे मुख्यमंत्री चौहान के संकट मोचक भी माने जाते थे। कमलनाथ की सरकार के गिरने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च 2020 को चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद को संभाला था। पद संभालने के ठीक बाद 24 मार्च 2020 को इकबाल सिंह बैंस को मध्य प्रदेश का मुख्य सचिव बनाया गया था।

इकबाल सिंह बैंस का रिटायरमेंट 30 नवंबर 2022 को हो जाना था। रिटायरमेंट के ठीक पहले शिवराज के मुख्यमंत्रित्वकाल में 30 मई 2022 तक छह महीने का एक्सटेंशन बैंस को मिला था। यह अवधि पूरी हुई तो दूसरी बार 30 नवंबर 2023 तक के लिए उन्हें चीफ सेक्रेट्ररी पद पर बनाये रखने के आदेश हुए थे।

शिवराज सिंह प्रयासरत थे कि तीसरी बार भी इकबाल सिंह को एक्सटेंशन मिल जाये। यह नहीं हो सका था। बाद में कहा गया, राज्य विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ आचार संहिता लग गई और शिवराज सिंह तीसरी बार सेवावृद्धि दिलाने में कामयाब नहीं हो सके।

राजनीतिक गलियारों और प्रशासनिक वीथिकाओं में इकबाल सिंह को सुपर चीफ मिनिस्टर करार दिया जाता था। शिवराज सरकार के मंत्री बैंस के कक्ष में प्रवेश के पहले अनेक बार सोचते थे। दबी जुबान में हरेक की शिकायत यही रहती थी, ‘शिवराज जी, बैंस के कंधे पर बंदूक रखकर चलाते हैं।’ इनकम टैक्स की हालिया रेड के बाद से कांग्रेस के आरोप हैं, राजेश शर्मा से जुड़ा पूरा गड़बड़झाला, बैंस का किया धरा है। उन्हीं का ब्रेन इस मसले में है।

मध्य प्रदेश विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने रविवार को भोपाल में एक प्रेस कांफ्रेंस करके कई दस्तावेज पेश करते हुए दावा किया है, ‘राजेश शर्मा तो मोहरा भर है, जितनी भी अनुपातहीन संपत्ति और दस्तावेज इनकम टैक्स ने उसके घर एवं अन्य ठिकानों से पकड़े हैं, उसके असल मालिक इकबाल सिंह बैंस हैं।’ 

हेमंत कटारे ने प्रेस कांफ्रेस में जमीन से जुड़ी रजिस्ट्री और ज्वाइंट वेंचर के दस्तावेज भी पेश किए हैं। इन्हें लेकर उनका आरोप है कि जमीनों के वास्तविक मालिक बैंस एवं उनके परिजन हैं।

कटारे ने दस्तावेज प्रेस को देते हुए यह भी दावा किया कि कुणाल बिल्डर और राजेश शर्मा के बीच सेन्ट्रल पार्क प्रोजेक्ट संबंधी ज्वाइंट वेंचर होते ही महीने भर में तमाम वे स्वीकृतियां हो गईं, जिनके लिए दूसरे डेवलपर्स को महीनों-सालों तक जूते घिसने पड़ते हैं। कटारे ने कहा, ‘इस बात की जांच भी की जानी चाहिए कि महीने भर में एनजीटी, ग्राम पंचायत और अन्य अनापत्तियां आनन-फानन में प्रोजेक्ट के लिए कैसे मिलीं। किसके इशारे पर यह सब हुआ।’

कटारे ने ग्रीन बेल्ट और भोपाल की हैरिटेज बड़ी झील के डूब क्षेत्र में बनी बैंस, अन्य नौकरशाहों, राजनेताओं और रसूखदारों की कोठियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने सवाल उठाया, एनजीटी और अन्य एजेंसियों ने अनुमतियां क्यों दीं? यदि नहीं दीं तो कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही।

उन्होंने कहा, ‘लो डेनसिटी एरिया में निर्माण के नियम हैं। नियमों की अभूतपूर्व अनदेखी पर एक्शन क्यों नहीं लिया जा रहा है?’

20 हजार करोड़ के भ्रष्टाचार का दावा

हेमंत कटारे का दावा है कि पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की जायेगी तो पूरा घपला-घोटाला 20 हजार करोड़ से ज्यादा का निकलेगा।

कटारे का कहना है, ‘पूरे मामले को लेकर वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खत लिख रहे हैं। विधिवत शिकायत कर रहे हैं। शिकायत की प्रतियां, प्रवर्तन निदेशालय, केन्द्रीय जांच ब्यूरो, केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को भी भेजेंगे।’

दरअसल, इनकम टैक्स को छापे में बड़ी तादाद में बेनामी निवेश के दस्तावेज मिले हैं। नकदी राशि मिली है। जेवरात मिले हैं। लॉकर्स मिले हैं। कल से लॉकर्स खोलने का सिलसिला आरंभ होने के संकेत हैं। 

छापेमार कार्रवाई, तमाम आरोपों, कांग्रेस की प्रेस कांफ्रेंस के बाद भी इकबाल सिंह बैंस की ओर से कोई सफाई अभी सामने नहीं आयी है। पूरे मसले पर ‘सत्य हिन्दी’ ने बैंस से संपर्क करने का प्रयास किया। उनसे संपर्क नहीं हो सका।

राज्य की सरकार अथवा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से भी कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है। भाजपा का संगठन भी इस पूरे मामले में फिलहाल चुप्पी साधे हुए है।