कर्नाटक चुनाव का असर मध्य प्रदेश में दिखने लगा है। उमस के साथ ही राजनीतिक तापमान बढ़ने लगा है। जानकारों का मानना है कि अगले पंद्रह दिन में मध्य प्रदेश की राजनीति में एक साथ कई धमाके हो सकते हैं।
दरअसल, भाजपा के आंतरिक सर्वे ने पार्टी की नींद उड़ा दी है। सर्वे में सामने आया है कि मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लीडरशिप में चुनाव हुये तो 70 से 75 से अधिक सीटें नहीं आयेंगी और पार्टी की हार बहुत ख़राब हो सकती है। यानी कर्नाटक की तरह ही एंटी इनकंबेंसी फैक्टर काम करने वाला है।
शिवराज को जनवरी में ही हटाया जाना था लेकिन संघ के दवाब के चलते उनको कुछ महीने दिये गये तब शिवराज ने राज्यभर में विकास यात्रा की शुरुआत की, लेकिन ये बुरी तरह फ्लॉप रही जिससे शिवराज का ग्राफ एकदम गिर गया है। अब चर्चा है कि शिवराज के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष बी डी शर्मा को भी बदला जायेगा। दो दिन पहले ही बीजेपी के केन्द्रीय ऑब्जर्वर आकर बैठक भी कर चुके हैं।
एमपी भाजपा में काफी खींचतान दिख रही है। बीजेपी नेताओं की चौकड़ी ने मिलकर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। यहां तक कि बीजेपी सांसद के पी यादव ने तो सिंधिया को मूर्ख तक बोल दिया है। बात इतनी बिगड़ी कि सिंधिया को सार्वजनिक तौर पर मंच से माफी मांगते हुए कहना पड़ा कि जो हुआ उसके लिए माफ करें।
असल में बीजेपी के कुछ नेताओं को लगता है कि कहीं सिंधिया को सीएम बनाकर भेज दिया गया तो उनकी दुकान बंद हो जायेगी। इसलिए गुना ग्वालियर क्षेत्र के बीजेपी के नेता ख़बरें चलवा रहे है कि सिंधिया नाराज़ हैं और कांग्रेस वापस जा सकते हैं। सिंधिया को अगर सीएम बनाया गया तो चुनाव भी उनके नाम पर ही लड़ा जायेगा ये बीजेपी के पुराने नेताओं के सहन नहीं हो रहा। इस तरह खुलकर बीजेपी के नेता आपस में भिड़ गये हैं। बीजेपी में अंदरखाने नये सीएम के लिए आदिवासी सांसद सुमेर सिंह सोलंकी का नाम चल रहा है जो संघ की पसंद हैं।
इस बीच कांग्रेस ने भी बीजेपी में चले गये विधायकों की वापसी की ख़बर को हवा देना शुरू कर दिया है। कांग्रेस के नेताओं का दावा है कि सिंधिया खेमे के साथ गये 26 में से 13 विधायक जुलाई के सत्र के बाद वापस जायेंगे। हालाँकि सिंधिया के साथ गये 26 में से 19 विधायक ही वापस लौट पाये थे। असल में कर्नाटक की तरह का खेल मध्य प्रदेश में बस शुरू ही होने वाला है।